"सीता की दुविधा ....." पोस्ट पर ब्लोगवाणी का अटके रहने का आज चौथा दिन है। पहले दिन तो हमने यही अनुमान लगाया कि शायद ब्लोगवाणी का रख-रखाव होने के कारण ऐसा है। फिर जब दूसरे दिन भी हालत नहीं बदली तो सोचने लगे कि ब्लोगवाणी किसी जटिल तकनीकी समस्या से जूझ रही होगी। तीसरे दिन आभास होने लगा कि ब्लोगवाणी बंद हो चुकी है। हमें आशा थी कि ब्लोगवाणी की ओर से ब्लोगवाणी के बंद होने का कारण दर्शाते हुए कुछ न कुछ वक्तव्य अवश्य आयेगा पर हमारी इस आशा पर अभी तक तो तुषारापात ही हुआ है।
ब्लोगवाणी क्यों बंद हुई यह तो ब्लोगवाणी वाले ही जानें पर हमें तो यही लगता है कि किसी कारण से उनकी भावनाओं पर आघात लग जाना ही इसका कारण हो सकता है। आलोचनाएँ तो सेवाव्रत धारण करने वालों को ही सहनी पड़ती है और उन्हें काँटों का ताज भी पहनना पड़ता है। अच्छे कार्य करने वालों को प्रायः प्रशंसा कम और आलोचना ही अधिक मिला करती हैं। हमारे छत्तीसगढ़ी में कहावत है "खेलाय-कूदाय के नाव नहि अउ गिराय-पराय के नाव" अर्थात् "किसी बालक को खिलाने वाले की प्रशंसा नहीं होती पर उसी व्यक्ति से यदि बच्चे को जरा भी चोट लग जाये तो उसे बुरा-भला जरूर कहा जाता है"। अस्तु, हम समझते हैं कि ब्लोगवाणी ने लंबे अरसे तक हिन्दी ब्लोगजगत की निस्वार्थ भाव से सेवा की है और इसके लिये वह धन्यवाद की पात्र है।
किन्तु, चाहे कोई ब्लोगवाणी का प्रशंसक रहा हो या फिर आलोचक, ब्लोगवाणी को सहज ही भुला देना किसी के लिये भी आसान नहीं है इसीलिये कुछ लोग खुश होकर भी उसे नहीं भुला पा रहे हैं और कुछ लोग मायूस होकर भी। वो कहते हैं ना "मुश्किलें होती हैं आसान बहुत मुश्किल से!"
हमारे लिये तो ब्लोगवाणी का बंद होना एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना ही है।
15 comments:
I am quite positive.. it will be back soon..
बहुत बच्चे है आस पास खेल खेल में खिलौना तोड़ देते है फिर उसे मिस करते है....
कहीं ये किसी दूसरे एग्रीगेटर का षडयंत्र तो नहीं है।
आगे बढने की होड में ऐसा भी हो सकता है या नहीं?
पहले तो कुछ ब्लागरों ने ब्लागवाणी पर उल्टे-सीधे तीर चलाये। अब कुछ दिन ब्लागवाणी बीमार हो गई तो सभी परेशान हो रहे हैं जी।
बेशक अन्य एग्रीगेटर बेहतर सेवा दे सकें और देते रहें, मगर ब्लागवाणी के कार्य और योगदान की तुलना नहीं हो सकती है।
आशा है कि ब्लागवाणी जल्द स्वस्थ होकर आयेगा।
प्रणाम
आलोचनाएँ तो सेवाव्रत धारण करने वालों को ही सहनी पड़ती है और उन्हें काँटों का ताज भी पहनना पड़ता है। अच्छे कार्य करने वालों को प्रायः प्रशंसा कम और आलोचना ही अधिक मिला करती हैं।
हम आपसे सहमत है गुरुदेव
सही कह रहे हैं अवधिया जी । बंद होने का हमें भी दुःख है । पर उम्मीद है , फिर शुरू होगी ।
अब हम क्या कहे हमे तो कुछ भी नही पता
ब्लागवाणी बंद नही हुई है। वह चालू है, उसने केवल नई फीड लेना बंद किया है।
अच्छे कार्य करने वालों को प्रायः प्रशंसा कम और आलोचना ही अधिक मिला करती हैं
-ये सही है. ब्लॉगवाणी जरुर वापस आये, यही कामना है.
आप भी पोस्ट पर पोस्ट लिख ब्लागवाणी को भाव दिये जा रहे हो।यहि तो चाहत है उसकि कि लोगो में उसका नाम तो हो कोई रोये प्रलाप करे! कुछ नहि होने वाला aब्लागवानी वापस आयी तो भी ब्लोगिन्ग ऐसे ही चलेगि नहिन आई तो भी नये ब्लोगर बनेन्गेऽअप जैसोन ने ही उसे सर पर चढा रखा है
ब्लागवाणी शीघ्र वापसी करे, यही इच्छा है।
हमारे लिए तो ब्लागवाणी के बिना, ब्लागिंग का सारा रस ही चला गया....कामना करते हैं कि जल्द वापसी हो.
सत्य वचन
.
.
.
मुझे सही-सही यह पता नहीं है कि ब्लॉगवाणी बंद हो गई है या कुछ नये और बेहतर रूप में फिर से वापस जल्द ही शुरू होगी।
परंतु यदि उल्टी-सीधी आलोचना से व्यथित हो संचालकों ने उसे बंद करने का निर्णय लिया है तो यह दुखद है...क्योंकि "कुत्तों के भौंकने से गजराज कभी भी अपना रास्ता नहीं बदलते"... ब्लॉगवाणी सभी हिन्दी संकलकों में निर्विवाद रूप से सबसे अच्छी सुविधा दे रहा था, इसमें संदेह नहीं।
आभार!
...
ब्लोगवाणी को दे दें यहीं पर विराम! ब्लोग लेखन जारी रखेंगे नही करेंगे आराम। कुछ न कुछ कारणों से बन्द होगा। उल्टी-सीधी आलोचना से व्यथित हो संचालकों ने उसे बंद करने का निर्णय लिया है तो यह दुखद है...क्योंकि "कुत्तों के भौंकने से गजराज कभी भी अपना रास्ता नहीं बदलते"... ब्लॉगवाणी सभी हिन्दी संकलकों में निर्विवाद रूप से सबसे अच्छी सुविधा दे रहा था, इसमें संदेह नहीं। प्रवीण शाह जी से सहमत।
ब्लागवाणी के बिना बहुत दिक्कत आ रही है चिठाजगत मे देर लगती है। ब्लागप्रहरी की प्रक्रिया समझ नही आयी।ईदली पर अभी पाठक कम हैं करें क्या सब अस्तव्यस्त हो गया है। मै तो अब अपने कमेन्ट देख कर बस उन पर ही जा रही हूँ बाद मे देखती हूँ कैसे करूँ । धन्यवाद । ब्लागवाणी से अनुरोध है कि वो हम जैसे लोगों के लिये पुन: आये।
Sir Jee,
ब्लागवाणी बंद नही हुई है। वह चालू है!!!
Post a Comment