Monday, August 9, 2010

एक पोस्ट फिल्मी गीतों भरा

फिल्मी गीतों पर आधारित यह एक हल्का-फुल्का पोस्ट है यारों बकवास लगे तो मुझे ना दोष देना और बोर लगे तो आगे पढ़ना छोड़ देना!

यदि आप याद करने की कोशिश करेंगे तो आपको याद आयेगा कि आपके जीवन में एक समय ऐसा था जब न किसी प्रकार की फिक्र थी न चिंता। था तो सिर्फ आह्लाद! वसन्त हो या पतझड़, प्रसन्नता के आवेग में नीला अम्बर झूमता सा प्रतीत होता था - झूमे रे नीला अम्बर झूमे....! उम्र के उस पड़ाव में किसी ने ऐसा जादू डाल रखा था कि मन का मोर मतवाला होकर नृत्य करने लगता था - मन मोर हुआ मतवाला किसने जादू डाला रे....! जीवन के इस मौज में बाइक लेकर इस बस्ती से उस बस्ती गाते हुए घूमा करते थे - बस्ती बस्ती पर्वत पर्वत गाता जाये बंजारा लेकर दिल का इकतारा....। किसी की मुस्कुराहटों पर निसार हो जाने, किसी के दर्द को अपना लेने, किसी के लिये दिल में प्यार होने को ही आप जिन्दगी समझा करते थे - किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार किसी का दर्द हो सके ले उधार किसी के वास्ते हो तेरे दिल में प्यार जीना इसी का नाम है....। आपको अपना दिल आवारा लगा करता था और पता ही नहीं था कि वह कब किस पर आ जायेगा - है अपना दिल तो आवारा न जाने किस पे आयेगा....

ऐसे में न जाने कब यौवन ने अपना जादू चलाया और मदन ने आपके हृदय में अधिकार जमा लिया। कहीं पर आपको आपकी सपनों की रानी दिखाई पड़ गई। किशोरावस्था और यौवनावस्था की उस वयःसन्धि उसकी यही हसरत हुआ करती थी कि वह पंछी बनकर आकाश में उड़ जाये - पंछी बनूँ उड़ती फिरूं मस्त गगन में....! आपका हृदय उसकी ओर खिंचते चला गया। आपको पूर्ण रूप से आभास था कि उसका हृदय भी आपके लिये आतुर रहा करता है पर न तो आप उस तक जा पाते थे और न ही वो आपको बुला पाती थी - हम से आया न गया उनसे बुलाया ना गया फासला प्यार में दोनों से मिटाया ना गया....। पर एक दिन जाने कैसे आपने क्या कह दिया और उसने क्या सुन लिया कि बात बन गई - जाने क्या तूने कही जाने क्या मैंने सुनी बात कुछ बन ही गई....!

अब तो आप प्रतिदिन उसके घर का चक्कर लगाने लगे। उसके घर की खिड़की के पास पहुँचने पर आपके होठों से अपने आप सीटी की आवाज निकल उठती थी। आपके सपनों की रानी यह देख कर कह उठती थी - शाम ढले खिड़की तले तुम सीटी बजाना छोड़ दो....। पर आप कहाँ मानने वाले थे? पहुँच ही जाया करते थे आँखें चार करने के लिये और नैनों के मिलते ही चैन उड़ जाया करता था - नैन मिले चैन कहाँ....

उसे भी यही लगने लग गया था कि किसी ने उसे अपना बना कर मुस्कुराना सिखा दिया है - किसी ने अपना बना के मुझको मुस्कुराना सिखा दिया....। उसके होठ मुस्कुरा उठते थे, कंगना खनक उठता था और उसकी सखियाँ कह उठती थीं - जानू जानू रे काहे खनके है तोरा कंगना....!

दोनों का मेल-मिलाप बढ़ता गया! दोनो का जीवन प्यार भरी घड़ियाँ बन गईं - जिंदगी प्यार की दो चार घड़ी होती है....। दोनों के दिलों के तार धड़कने लगे थे - धड़कने लगी दिल की तारों की दुनिया....। आप उससे उसके प्यार के विषय में पूछ बैठते थे और वह कह उठती थी - मुहब्बत ऐसी धड़कन है जो समझाई नहीं जाती....। आप उससे अपने प्यार को कभी ना भुलाने का वादा करने के लिए कहा करते थे - ये वादा करो चांद के सामने भुला तो ना दोगे मेरे प्यार को....

आप तनहा होते थे तो आपके हृदय के द्वार पर कोई अपनी पायल की झंकार लिये आ जाया करता था - कौन आया मेरे मन के द्वारे पायल की झंकार लिये....

दिन-रात बेकरारी बनी रहती थी और मिलन होने पर ही बड़ी मुश्किल से करार आता था - बड़ी मुश्किल से दिल की बेकरारी को करार आया....। उसे एक अनजाना सा डर भी बना रहा करता था कि कहीं आप उसे छोड़ तो नहीं देंगे और वह आपसे कह उठती थी - चले जाना नहीं नैन मिलाके सैंया बेदर्दी....। जब कभी भी आप उसकी नजरों से छुप जाया करते थे वह प्यार के अनोखे दर्द से तड़प उठा करती थी - छुप गया कोई रे दूर से पुकार के दरद अनोखे हाय दे गया प्यार के....। अपने सामने आपको न पाकर उसे यही लगता था - जो दिल में खुशी बन कर आये वो दर्द बसा कर चले गये....। प्यार की शीतल जलन ने आप दोनों का चैन और आराम को छीन लिया था - हम प्यार में जलने वालों को चैन कहाँ आराम कहाँ....

और फिर अचानक आपको उससे दूर जाना पड़ गया था। उसने समझा था कि आप बहाना बना कर उससे दूर चले गए हैं - जाना था हमसे दूर बहाने बना लिये अब तुमने कितनी दूर ठिकाने बना लिये....। दिन-रात उसका हृदय सिर्फ आप को ही पुकारा करता था कभी वह कहती थी - आन मिलो आन मिलो श्याम साँवरे.... तो कभी - आ लौट के आजा मेरे मीत तुझे मेरे गीत बुलाते हैं....। शाम की तनहाइयाँ उसके गम को और भी बढ़ा दिया करती थी - ये शाम की तनहाइयाँ ऐसे में तेरा गम....। आपके पास ना होने से उसे चांद का निकलना भी न भाता था - चांद फिर निकला मगर तुम ना आये जला फिर मेरा दिल करूँ क्या मैं हाये....। अपनी अटारी पर बदरी को देखकर उसका दिल कह उठता था - जा री जा री ओ कारी बदरिया मत बरसो री मोरी अटरिया परदेस गये हैं सँवरिया....। उसे तो लगने लग गया था कि आपने उसे भुला दिया है - मोहे भूल गये साँवरिया....। आपकी जुदाई के गम में वह बरबस गुनगुना उठती थी - तेरी याद में जल कर देख लिया अब आग में जल कर देखेंगे....

उससे दूर के कारण आपका दिल भी रो उठता था - आज तुमसे दूर होकर ऐसे रोया मेरा प्यार चाँद रोया साथ मेरे रात रोई बार बार....। आपका दिल बार बार बस उसे ही पुकारा करता था - आ जा रे अब मेरा दिल पुकारा रो रो के गम भी हारा....। उसके इंतजार में आपकी जिन्दगी दर्द बन चुकी थी - आ जा के इंतजार में जाने को है बहार भी तेरे बगैर जिन्दगी दर्द बन के रह गई....। आपको सिर्फ यही लगा करता था - हम तुझसे मुहब्बत करके सनम हँसते भी रहे रोते भी रहे....

और फिर आप फिर वापस आए थे। जब आप शहर की सीमा में स्थित नदी के उस पार पहुँचे थे तो प्रसन्नता से वह कह उठी थी - उस पार साजन इस पार सारे ले चल ओ माझी किनारे....। उसकी आँखों की प्यास बुझ गई थी - घर आया मेरा परदेसी प्यास बुझी मेरे अखियन की....। आपके घर वापस आ जाने पर उसका जिया मचलने लगा था - जबसे बलम घर आये जियरा मचल मचल जाये....

फिर अन्ततः आपका प्यार परवान चढ़ा था। वो छोड़ बाबुल का घर मोहे पी के नगर आज जाना पड़ा.... कहते हुए आपके घर आ गई थी और अपने जनम को सफल बनाने के लिये आपसे अनुरोध किया था - आज सजन मोहे अंग लगालो जनम सफल हो जाये....

चलते-चलते

पोस्ट में उल्लेखित गीतः

  1. झूमे से नीला अम्बर झूमे.... (गायक/गायिका - लता मंगेशकर, तलत महमूद, संगीत - सलिल चौधरी, गीतकार - शैलेन्द्र, फिल्म - एक गाँव की कहानी, प्रदर्शन वर्ष -1957)
  2. मन मोर हुआ मतवाला किसने जादू डाला रे.... (गायक/गायिका -  सुरैया, संगीत - सचिन देव बर्मन, गीतकार - नरेन्द्र शर्मा, फिल्म - अफसर, प्रदर्शन वर्ष - 1950)
  3. बस्ती बस्ती पर्वत पर्वत गाता जाये बंजारा लेकर दिल का इकतारा.... (गायक/गायिका - बंजारा मोहम्मद रफी, संगीत - मदन मोहन, गीतकार - साहिर लुधियानवी, फिल्म - रेल्वे प्लेटफार्म, प्रदर्शन वर्ष -1955)
  4. किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार किसी का दर्द हो सके ले उधार किसी के वास्ते हो तेरे दिल में प्यार जीना इसी का नाम है.... (गायक/गायिका - मुकेश, संगीत - शंकर जयकिशन, गीतकार - शैलेन्द्र, फिल्म - अनाड़ी, प्रदर्शन वर्ष -1959)
  5. है अपना दिल तो आवारा न जाने किस पे आयेगा.... (गायक/गायिका - हेमन्त कुमार, संगीत - सचिन देव बर्मन, गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी, फिल्म - सोलवाँ साल, प्रदर्शन वर्ष -1958)
  6. उड़ती फिरूं मस्त गगन में.... (गायक/गायिका - लता मंगेशकर, संगीत - शंकर जयकिशन, गीतकार - हसरत जयपुरी, फिल्म - चोरी चोरी, प्रदर्शन वर्ष -1956)
  7. हम से आया न गया उनसे बुलाया ना गया फासला प्यार में दोनों से मिटाया ना गया.... (गायक/गायिका - तलत महमूद, संगीत - मदन मोहन, गीतकार - राजेन्द्र कृशन, फिल्म - देख कबीरा रोया, प्रदर्शन वर्ष -1957)
  8. जाने क्या तूने कही जाने क्या मैंने सुनी बात कुछ बन ही गई.... (गायक/गायिका - गीता दत्त, संगीत - सचिन देव बर्मन, गीतकार - साहिर लुधियानवी, फिल्म - प्यासा, प्रदर्शन वर्ष -1957)
  9. शाम ढले खिड़की तले तुम सीटी बजाना छोड़ दो.... (गायक/गायिका - चीतलकर, लता मंगेशकर, संगीत - सी.रामचन्द्र, गीतकार - राजेन्द्र कृशन, फिल्म - अलबेला, प्रदर्शन वर्ष -1951)
  10. नैन मिले चैन कहाँ.... (गायक/गायिका - लता मंगेशकर, मन्ना डे, संगीत - शंकर जयकिशन, गीतकार - शैलेन्द्र, फिल्म - बसंत बहार, प्रदर्शन वर्ष -1956)
  11. किसी ने अपना बना के मुझको मुस्कुराना सिखा दिया.... (गायक/गायिका - लता मंगेशकर, संगीत - शंकर जयकिशन, गीतकार - शैलेन्द्र, फिल्म - पतिता, प्रदर्शन वर्ष -1953)
  12. जानू जानू रे काहे खनके है तोरा कंगना.... (गायक/गायिका - आशा भोंसले, गीता दत्त, संगीत - सचिन देव बर्मन, गीतकार - शैलेन्द्र, फिल्म - इंसान जाग उठा, प्रदर्शन वर्ष -1959)
  13. जिंदगी प्यार की दो चार घड़ी होती है.... (गायक/गायिका - हेमन्त कुमार, लता मंगेशकर, संगीत - सी. रामचन्द्र, गीतकार - राजेन्द्र कृशन, फिल्म - अनाकली, प्रदर्शन वर्ष -1953)
  14. धड़कने लगी दिल की तारों की दुनिया.... (गायक/गायिका - आशा भोंसले, महेन्द्र कपूर, संगीत - एन दत्ता, गीतकार - साहिर लुधियानवी, फिल्म - धूल का फूल, प्रदर्शन वर्ष -1959)
  15. मुहब्बत ऐसी धड़कन है जो समझाई नहीं जाती.... (गायक/गायिका - लता मंगेशकर, संगीत - सी. रामचन्द्र, गीतकार - हसरत जयपुरी, फिल्म - अनारकली, प्रदर्शन वर्ष -1953)
  16. ये वादा करो चांद के सामने भुला तो ना दोगे मेरे प्यार को.... (गायक/गायिका - लता मंगेशकर, मुकेश, संगीत - शंकर जयकिशन, गीतकार - हसरत जयपुरी, फिल्म - राजहठ, प्रदर्शन वर्ष -1956)
  17. कौन आया मेरे मन के द्वारे पायल की झंकार लिये.... (गायक/गायिका - मन्ना डे, संगीत - मदन मोहन, गीतकार - राजेन्द्र कृशन, फिल्म - देख कबीरा रोया, प्रदर्शन वर्ष -1957)
  18. बड़ी मुश्किल से दिल की बेकरारी को करार आया.... (गायक/गायिका - शमशाद बेगम, संगीत - नौशाद, गीतकार - जां निसार अख्तर, फिल्म - नग़मा, प्रदर्शन वर्ष -1953)
  19. चले जाना नहीं नैन मिलाके सैंया बेदर्दी.... (गायक/गायिका - लता मंगेशकर, संगीत - हुस्नलाल भगतराम, गीतकार - राजेन्द्र कृशन, फिल्म - बड़ी बहन, प्रदर्शन वर्ष - 1950)
  20. छुप गया कोई रे दूर से पुकार के दरद अनोखे हाय दे गया प्यार के.... (गायक/गायिका - लता मंगेशकर, संगीत - हेमन्त कुमार, गीतकार - राजेन्द्र कृशन, फिल्म - चम्पाकली, प्रदर्शन वर्ष -1957)
  21. जो दिल में खुशी बन कर आये वो दर्द बसा कर चले गये.... (गायक/गायिका - लता मंगेषकर, संगीत - हुस्नलाल भगतराम, गीतकार - राजेन्द्र कृशन, फिल्म - बड़ी बहन, प्रदर्शन वर्ष - 1950)
  22. हम प्यार में जलने वालों को चैन कहाँ आराम कहाँ.... (गायक/गायिका - लता मंगेशकर, संगीत - मदन मोहन, गीतकार - राजेन्द्र कृशन, फिल्म - जेलर, प्रदर्शन वर्ष -1958)
  23. जाना था हमसे दूर बहाने बना लिये अब तुमने कितनी दूर ठिकाने बना लिये.... (गायक/गायिका - लता मंगेशकर, संगीत - मदन मोहन, गीतकार - राजेन्द्र कृशन, फिल्म - अदालत, प्रदर्शन वर्ष -1958)
  24. आन मिलो आन मिलो श्याम साँवरे.... (गायक/गायिका - गीता दत्त, मन्ना डे, संगीत - सचिन देव बर्मन, गीतकार - साहिर लुधियानवी, फिल्म - देवदास, प्रदर्शन वर्ष -1955)
  25. आ लौट के आजा मेरे मीत तुझे मेरे गीत बुलाते हैं.... (गायक/गायिका - लता मंगेशकर, संगीत - एस एन त्रिपाठी, गीतकार - भरत व्यास, फिल्म - रानी रूपमती, प्रदर्शन वर्ष -1957)
  26. ये शाम की तनहाइयाँ ऐसे में तेरा गम.... (गायक/गायिका - लता मंगेशकर, संगीत - शंकर जयकिशन, गीतकार - शैलेन्द्र, फिल्म - आह, प्रदर्शन वर्ष -1953)
  27. आ जाओ तड़पते हैं अरमां अब रात गुजरने वाली है.... (गायक/गायिका - लता मंगेशकर, संगीत - शंकर जयकिशन, गीतकार - हसरत जायपुरी, फिल्म - आवारा, प्रदर्शन वर्ष -    1951)
  28. चांद फिर निकला मगर तुम ना आये जला फिर मेरा दिल करूँ क्या मैं हाये.... (गायक/गायिका - लता मंगेशकर, संगीत - सचिन देव बर्मन, गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी, फिल्म - पेइंग गेस्ट, प्रदर्शन वर्ष -1957)
  29. जा री जा री ओ कारी बदरिया मत बरसो री मोरी अटरिया परदेस गये हैं सँवरिया.... (गायक/गायिका - लता मंगेशकर, संगीत - सी. रामचन्द्र, गीतकार - राजेन्द्र कृशन, फिल्म - आजाद, प्रदर्शन वर्ष -1955)
  30. मोहे भूल गये साँवरिया.... (गायक/गायिका - लता मंगेशकर, संगीत - नौशाद, गीतकार - शकील बदाँयूनी बैजू, फिल्म - बावरा, प्रदर्शन वर्ष -1953)
  31. तेरी याद में जल कर देख लिया अब आग में जल कर देखेंगे.... ( लता मंगेशकर, संगीत - हेमन्त कुमार, गीतकार - राजेन्द्र कृशन, फिल्म - नागिन, प्रदर्शन वर्ष -1954)
  32. आज तुमसे दूर होकर ऐसे रोया मेरा प्यार चाँद रोया साथ मेरे रात रोई बार बार.... (गायक/गायिका - मुकेश, संगीत - उषा खन्ना, गीतकार - अन्जान, फिल्म - दायरा, प्रदर्शन वर्ष -1953)
  33. आ जा रे अब मेरा दिल पुकारा रो रो के गम भी हारा.... (गायक/गायिका - लता मंगेशकर, मुकेश, संगीत - शंकर जयकिशन, गीतकार - हसरत जयपुरी, फिल्म - आह, प्रदर्शन वर्ष -1953)
  34. आ जा के इंतजार में जाने को है बहार भी तेरे बगैर जिन्दगी दर्द बन के रह गई.... (गायक/गायिका - लता मंगेशकर, मोहम्मद रफी, संगीत - शंकर जयकिशन, गीतकार - शैलेन्द्र, फिल्म - हलाकू, प्रदर्शन वर्ष -1956)
  35. हम तुझसे मुहब्बत करके सनम हँसते भी रहे रोते भी रहे.... (गायक/गायिका - मुकेश, संगीत - शंकर जयकिशन, गीतकार - हसरत जायपुरी, फिल्म - आवारा, प्रदर्शन वर्ष -1951)
  36. उस पार साजन इस पार सारे ले चल ओ माझी किनारे.... (गायक/गायिका - लता मंगेशकर, संगीत - शंकर जयकिशन, गीतकार - हसरत जयपुरी, फिल्म - चोरी चोरी, प्रदर्शन वर्ष -1956)
  37. घर आया मेरा परदेसी प्यास बुझी मेरे अखियन की.... (गायक/गायिका - लता मंगेशकर, संगीत - शंकर जयकिशन, गीतकार - शैलेन्द्र, फिल्म - आवारा, प्रदर्शन वर्ष -1951)
  38. जबसे बलम घर आये लता जियरा मचल मचल जाये.... (गायक/गायिका - मंगेशकर, संगीत - शंकर जयकिशन, गीतकार - हसरत जायपुरी, फिल्म - आवारा, प्रदर्शन वर्ष -1951)
  39. छोड़ बाबुल का घर मोहे पी के नगर आज जाना पड़ा.... (गायक/गायिका - शमशाद बेगम, संगीत - नौशाद, गीतकार - शकील बदाँयूनी, फिल्म - बाबुल, प्रदर्शन वर्ष -1950)
  40. आज सजन मोहे अंग लगालो जनम सफल हो जाये.... (गायक/गायिका - गीता दत्त, संगीत - सचिन देव बर्मन, गीतकार - साहिर लुधियानवी, फिल्म - प्यासा, प्रदर्शन वर्ष -1957)

6 comments:

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

हा हा हा -
लगी आज सावन की फ़िर वो झड़ी

सावन के कुछ जियादा असर होगे हे
पोस्ट में गीत के झड़ी लग गे हे।
सिव झटी गिरी महाराज हां घलो बौरा जाही
अइसन ला पढ के,तनि ओखरो खियाल रखे कर।
बने लिखे हस गुरुदेव
जोहार ले

डॉ टी एस दराल said...

अच्छा परीक्षण किया है ।
बढ़िया गाने याद दिला दिए ।
आभार ।

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत जोरदार लगी ये पोस्ट.

रामराम.

प्रवीण पाण्डेय said...

यह तो बड़ा शोध का कार्य।

स्वप्न मञ्जूषा said...

भईया बहुत मेहनत की है आपने..
बहुत ही अच्छी पोस्ट..
धन्यवाद स्वीकार कीजिये...

संजय @ मो सम कौन... said...

अवधिया साहब,
खंडहर बता रहे हैं कि इमारत बुलंद थी...हा हा हा।
बुरा मत मानियेगा।