Tuesday, August 10, 2010

टोनही मंत्र सिद्ध करने का दिन - हरेली

अमावस की घोर अंधेरी रात! घोर अंधेरा! नदी के उस पार श्मशान में बार-बार बंग-बंग करके जलती-बुझती कोई चीज!

छत्तीसगढ़ में शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जिसने कभी ऐसे दृश्य के बारे में ना सुना हो। उस जलती-बुझती चीज को टोनही बरना कहा जाता है। बताया जाता है कि प्रतिवर्ष हरेली अर्थात् श्रावण कृष्ण अमावस्या की रात्रि को टोनही औरतें जादू-टोना करने वाली औरतें अपना मंत्र सिद्ध करती हैं। उनका मंत्र ढाई अक्षरों का होता है जिसे सिद्ध करने के लिए वे हरेली की रात्रि को निर्वस्त्र होकर श्मशान-साधना करती हैं। मंत्र सिद्ध करते समय उनके मुँह में एक प्रकार की जड़ी होती है जिसके कारण उनके मुँह से टपकने वाली लार अग्नि के समान प्रज्वलित होते जाती है। एक जमाने में जब कभी भी छत्तीसगढ़ के किसी गाँव में हैजे का प्रकोप हुआ करता था तो उस प्रकोप को गाँव में लाने का आरोप इन टोनही औरतों पर अवश्य रूप से लग जाया करता था।

आज छत्तीसगढ़ में टोनही की अवधारणा तो समाप्तप्राय हो चुकी है किन्तु इनका डर शायद अभी भी बाकी है। यही कारण है कि आज के दिन प्रत्येक घर के दरवाजों में नीम की पत्तियों वाली छोटी-छोटी डंगाले टंगी हुई दिखाई देती हैं। रायपुर में तो आटो रिक्शा तक में भी नीम की ये डालियाँ टंगी हुई दिखाई दे रही हैं। वास्तव में हम अंध-विश्वास को तो दूर कर लेते हैं किन्तु अंध-विश्वास के कारण भय को अपने भीतर से नहीं भगा पाते। अज्ञात का डर मनुष्य को आरम्भ से ही सताता रहा है और शायद अन्त तक सताता ही रहेगा।

हरेली को छत्तीसगढ़ में एक विशिष्ट त्यौहार के रूप में मनाया जाता है। यह हिन्दू वर्ष (चैत्र-फाल्गुन) का प्रथम त्यौहार है जबकि होली अन्तिम! हरेली के दिन छत्तीसगढ़ में गाँव का बैगा गाँव की रक्षा करने के लिए ग्राम-देवता की पूजा करता है जिसके आयोजन के प्रत्येक ग्रामवासी सहयोग-राशि प्रदान करता है। दिन में त्यौहार की खुशियाँ मनाई जाती है किन्तु रात्रि को अत्यन्त भयावह माना जाता है।

15 comments:

संगीता पुरी said...

झारखंड में तो ऐसे किसी त्‍यौहार के बारे में नहीं सुना .. बस नवरात्र में बच्‍चों के गले में पंडितों के द्वारा मंत्र डालकर सरसों को पूजा के लिए उपयोग किए जाने वाले कपडे में बांधकर गले में पहनाया जाता है !!

36solutions said...

हरेली तिहार के आप ला गाड़ा गाड़ा बधई.

कौशल तिवारी 'मयूख' said...

हरेली तिहार के गाड़ा गाड़ा बधई.

सूर्यकान्त गुप्ता said...

हरेली तिहार के आप ला गाड़ा गाड़ा बधई.

ताऊ रामपुरिया said...

बधाई जी आपको,

रामराम.

Rahul Singh said...

नीम बेचारा आज सोचा होगा - 'फेर आगे रे ओई अलकर तिहार'

Rahul Singh said...

नीम बेचारा आज सोचा होगा - 'फेर आगे रे ओई अलकर तिहार'

शिवम् मिश्रा said...

हरेली के बधाई!

राज भाटिय़ा said...

हरेली तिहार की गाड़ा गाड़ा बधई.
हरेली तिहार की बहुत बहुत बधाई , ऊपर वाली बात तो दुसरो को देख कर लिख दी मतलब नही पता

प्रवीण पाण्डेय said...

रोचक जानकारी

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

उम्दा पोस्ट के लिए धन्यवाद


ब्लॉग4वार्ता की 150वीं पोस्ट पर आपका स्वागत है

ghughutibasuti said...

बहुत रोचक जानकारी दी है।
घुघूती बासूती

शरद कोकास said...

हम अन्धविश्वासोँ से बाहर कब निकलेंगे ?

Unknown said...

Bhai ye bareli matlab hariyali tyohar chattisgarh ka mukhya tyohar hai

Unknown said...

32 tarikh ko