प्रभा प्रशान्त से कह रही थी, "भैया, इस बार मैं राखी में सिर्फ आपको बुलाउँगी, प्रकाश भैया को नहीं?"
और जब प्रशान्त अपने छोटे भाई प्रकाश से मिला तो प्रकाश कहने लगा, "भैया इस बार मैं राखी में प्रभा बहन के घर, अगर वो बुलाएगी भी तो भी, नहीं जाउँगा।"
एक समय था जब प्रशान्त, प्रकाश और प्रभा के बीच आपस में इतना प्यार था कि एक दूसरे के बिना रह नहीं पाते थे। पर आज उनके रिश्तों में दरार आ गया है।
सही बात तो यह है कि आज कमोबेश हर परिवार में आपसी रिश्तों में दरार देखने को मिल जाता है। भाई-भाई, भाई-बहन, बाप-बेटे जो कभी एक-दूसरे पर जान छिड़कते थे के बीच वैमनस्य की गहरी खाई खुदी हुई दिखाई देती है।
क्यों होता है ऐसा?
क्यों आता है रिश्तों में दरार?
5 comments:
बस हो जाता है युं ही जब अहम टकराने लगता है।
सम्बंधों में खटास आने लगती है। संवादहीनता बढने लगती है। फ़िर सबसे बड़ी बात यह है कि पहल कौन करे? इन नाजुक रिश्तों को बड़ा कठिन है कायम रखना।
अच्छी पोस्ट
आभार
शायद ऐसे पर्व, त्यौहार इसलिये बनाये गये थे कि लोग अपने रिश्ते-नातेदारों से पूरे वर्ष में हुये किसी मनमुटाव, खटास को भुलाकर गर्माहट लायें और आपसी स्नेह, विश्वास की पुनर्स्थापना करें।
अब हो जाता उल्टा है।
प्रणाम स्वीकार करें
जानकारी के लिये धन्यवाद. शुभकामनायेँ
ये पैसा है पैसा
नही कोई इस जैसा ।
ये हो तो मुसीबत
ये ना हो मुसीबत ।
बहुत अच्छी प्रस्तुति---आभार
Post a Comment