मुझको ब्लोगर बना दीजिये
मेरी रचना पढ़ा दीजिये
अच्छा लिखूँ मैं या ना लिखूँ
टिप्पणी तो करा दीजिये
लोकली मैं छपूँ ना छपूँ
नेट पर तो छपा दीजिये
पोस्ट चोरी का है ये मेरा
मत किसी को बता दीजिये
मूल गज़ल
लज़्ज़त-ए-गम बढ़ा दीजिये
आप यूँ मुस्कुरा दीजिये
कीमत-ए-दिल बता दीजिये
खाक लेकर उड़ा दीजिये
चांद कब तक गहन में रहे
आप ज़ुल्फें हटा दीजिये
मेरा दामन अभी साफ है
कोई तोहमद लगा दीजिये
आप अंधेरे में कब तक रहें
फिर कोई घर जला दीजिये
एक समुन्दर ने आवाज दी
मुझको पानी पिला दीजिये
मूल गजल सुनें:
13 comments:
भई ..वाह ..खूब लिखा है.
आभार .
बहुत अच्छी लगी यह प्रस्तुति....
bahut khoob lagi....
ब्लॉगिंग भी एक प्रकार से दीर्घकालिक गम ही है :)
बने गजल लिख डारे हस गा।
बिहनिया बिहनिया ले।
क्या बात है जी, बहुत सुंदर
मुन्नी बेग़म की ग़ज़ल और गायकी के क्या कहने ।
कम दमदार नहीं है, चोरी.
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (27/9/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com
वाह, इसे रूपान्तरण या स्क्रीनप्ले कहें, खराब न लगेगा।
पैरोडी बढ़िया लगी :)
बहुत सुंदर और उत्तम भाव लिए हुए.... खूबसूरत रचना......
:-)
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