Monday, October 11, 2010

मक्खी मार रहे हैं दारू दुकान वाले

शाम होते ही जहाँ दारू दुकानों के सामने जो भीड़ इकट्ठी हो जाती थी वह अब देखने को भी नहीं मिल रही है। बार की रौनक भी नज़र नहीं आ रही है।  माता दुर्गा जो विराजमान हो गई हैं नौ दिनों के लिए! माता के प्रति लोगों की श्रद्धा ने ही शराबियों से नौ दिन तक शराब तक को भी छुड़वा दिया है। राष्ट्रीय पर्वों में तो सरकार दारू दुकान बन्द करवा देती है फिर भी लोग छुप-छुपाकर पीने की व्यस्था कर ही लेते हैं और नवरात्रि में आलम यह है कि छुपने-छुपाने की कोई आवश्यकता नहीं है फिर भी लोगों ने पीना बन्द कर दिया है। छत्तीसगढ़ी में एक हाना (लोकोक्ति) है - "सिखोवन बुद्धि उपजारन माया"! अर्थात् सिखाने से बुद्धि नहीं आती और उपजाने से माया नहीं उपजती। इसी प्रकार दारू दुकान बन्द करवा देने से लोग पीना नहीं छोड़ देते। पीना छोड़ने के लिए तो अपने भीतर से ही आदेश मिलना चाहिए और नवरात्रि में माँ दुर्गे लोगों के भीतर से अनायास ही आदेश दिलवा देती हैं न पीने के लिए। माँ नवदुर्गा के नवों रूपः
  1. शैलपुत्री
  2. ब्रह्मचारिणी
  3. चन्द्रघंटा
  4. कुष्मांडा
  5. स्कंधमाता
  6. कात्यायिनी
  7. कालरात्री
  8. महागौरी
  9. सिद्धिदात्री
समस्त जनों का कल्याण करे!

6 comments:

डॉ टी एस दराल said...

काश रोज रोज ही नवरात्रे हों । फिर तो सारे व्यसन बंद हो जायेंगे ।

प्रवीण पाण्डेय said...

चलिये कुछ दिन ही सही, सद्बुद्धि रहे।

राज भाटिय़ा said...

इन सब से पुछे कि क्या नो दिन ही मां के दिन होते हे, बाकी दिन क्या मां इन्हे नही देखती, काश इन्हे इतनी अकल आ जाये

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

यह तो लोगों के ऊपर निर्भर है...

ASHOK BAJAJ said...

काश यह वातावरण स्थाई हो जाता .

उम्मतें said...

व्यसन से मुक्ति का पर्व है ! बधाई !

दारू बेचनें वाले घाटे में कहाँ रहनें वाले हैं नवरात्रि खत्म होनें दीजिए सारा कोटा पूरा हो जायेगा :)