Friday, April 1, 2011

क्यों मनाते हैं हम भारतीय अप्रैल फूल दिवस?

यदि हम किसी प्रकार का उत्सव मनाते हैं तो उसके पीछे कुछ न कुछ कारण अवश्य ही होता है, उत्सव मनाने के कारण या कारणों के पीछे कुछ न कुछ कहानी या कहानियाँ अवश्य ही जुड़ी होती हैं।

तो प्रश्न यह उठता है कि हम (यहाँ पर हम से मेरा मतलब हम भारतीयों से है) अप्रैल फूल दिवस क्यों मनाते हैं?

आखिर क्या कारण है हमारे द्वारा अप्रैल फूल दिवस मनाने का?

उपरोक्त प्रश्नों के उत्तर में सिर्फ यही कहा जा सकता है कि हमारे द्वारा अप्रैल फूल दिवस मनाने का सिर्फ और सिर्फ एक ही कारण है और वह यह कि हम अंग्रेजों के गुलाम रह चुके हैं इसलिए अंग्रेज जो भी उत्सव मनाते हैं उन उत्सवों को मनाने में हमें गर्व का अनुभव होता है। अंग्रेजों ने अपनी शिक्षा नीति के माध्यम से अपनी सभ्यता और संस्कृति को हमारे भीतर पूरी तरह से भर दिया है। अंग्रेजियत हमारे नस-नस में खून बन कर दौड़ रही है। हमें नहीं पता कि संस्कृत भाषा और हमारी संस्कृति किस चिड़िया का नाम है, हिन्दी भाषा हमारे लिए गौण हो चुका है। हमारे लिए महत्वपूर्ण हैं तो सिर्फ अंग्रेजी भाषा और अग्रेंजी सभ्यता एवं संस्कृति!

7 comments:

एक बेहद साधारण पाठक said...

"अंग्रेजियत हमारे नस-नस में खून बन कर दौड़ रही है। हमें नहीं पता कि संस्कृत भाषा और हमारी संस्कृति किस चिड़िया का नाम है, हिन्दी भाषा हमारे लिए गौण हो चुका है। हमारे लिए महत्वपूर्ण हैं तो सिर्फ अंग्रेजी भाषा और अग्रेंजी सभ्यता एवं संस्कृति!"

बिलकुल मन की बात कह दी आपने , भाषा के स्तर पर गुलामी तो फिर भी एक बार समझ में आती है पर हमारे देश में तो हर स्तर पर गुलामी की जा रही है , उस पर "तार्किक" होने का दावा अलग :))
खैर ...... उम्मीद ही की जा सकती है की "धीरे धीरे सब समझ जायेंगे"

आखिर उम्मीद पर दुनिया कायम है

aarkay said...

अप्रैल फूल में ऐसी मनानेवाली या न मनाने वाली कोई बात नहीं . न कोई पार्टी देता/लेता है , न कोई विशेष आयोजन किया जाता है . संक्षेप में एक दमड़ी खर्च किये बिना थोडा हंसी मजाक कर लेने में हर्ज़ ही क्या है . इसमें ग़ुलामीवाली भी कोई बात परिलक्षित नहीं होती और न ही cultural invasion है. कब तक हम हर बात पर पहरा बिठाने का प्रयास करते रहेंगे ?

anshumala said...

ये उत्सव नहीं है जो इसे मनाया जाये या न मनाया जाये ये तो बस एक दिन निर्धारित है हंसी मजाक के लिए हमारे यहाँ ये सब होली पर ये सब किया जाता है | जिसकी इच्छा हो इस दिन भी वही मजाक करे जिसकी नहीं है वो न करे |

नीरज मुसाफ़िर said...

ये गुलामी नहीं है गोदियाल साहब। यह तो दूसरों की कुछ अच्छी बातें हैं जिन्हें हमे स्वीकार करना चाहिये। हां, अगर किसी की गलत बात हो तो हमें उनसे दूर ही रहना चाहिये।

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

कम से कम फादर्स और मदर्स डे से तो बेहतर है, व्यवसायीकरण तो नहीं है उतना...

डॉ टी एस दराल said...

क्यों मनाते हैं ? क्योंकि अंग्रेजों के गुलाम रह चुके हैं । बात तो सही है ।
लेकिन अंग्रेज़ क्यों मनाते हैं ?

प्रवीण पाण्डेय said...

अंग्रेजी की मूर्खता का उत्सव बना लें इसे।