Friday, October 19, 2007

जय दुर्गे मैया

(स्व. श्री हरिप्रसाद अवधिया रचित कविता)

जय अम्बे मैया,
जय दुर्गे मैया,
जय काली,
जय खप्पर वाली।

वरदान यही दे दो माता,
शक्ति-भक्ति से भर जावें;
जीवन में कुछ कर पावें,
तुझको ही शीश झुकावें।

तू ही नाव खेवइया,
जै अम्बे मैया।

सिंह वाहिनी माता,
दुष्ट संहारिणि माता;
जो तेरे गुण गाता,
पल में भव तर जाता।

तू ही लाज रखैया,
जय अम्बे मैया।

महिषासुर मर्दिनि,
सुख-सम्पति वर्द्धिनि;
जगदम्बा तू न्यारी,
तेरी महिमा भारी।

तू ही कष्ट हरैया,
जय अम्बे मैया।

(रचना तिथिः रविवार 12-10-1980)

No comments: