Sunday, May 18, 2008

न बोलते हुये भी बहुत कुछ बोलते हैं हम

बोलना क्या है? भावों तथा विचारों की अभिव्यक्ति। किन्तु भावों तथा विचारों को अभिव्यक्त करने के लिये मुँह से बोलना ही केवल एक माध्यम नहीं है। आपका पूरा शरीर आपके भावों और विचारों को अभिव्यक्त करता है। यदि आपने कभी रेलगाड़ी के जनरल बोगी में यात्रा की है तो याद करें कि क्या हुआ था। सीट पर बैठा व्यक्ति और फैल कर बैठ गया था। उसने बिना कुछ बोले आपको बता दिया कि वहाँ पर आपके बैठने की कोई गुंजाइश नहीं है, वह आपको जरा सी भी जगह नहीं देने वाला। आप पुस्तक पढ़ने में तल्लीन हैं और बच्चा वहाँ पर शोर मचा रहा है। आप सिर्फ क्रुद्ध भाव से बच्चे को घूरते हैं और बच्चा वहाँ से खिसक लेता है। आपने बच्चे को बिना कुछ कहे ही बता दिया कि वह आपको 'डिस्टर्ब' कर रहा है और बच्चे ने समझ भी लिया।

जब हम अकेले होते हैं, किसी प्रकार का 'काम्युनिकेशन' नहीं होता किन्तु एक से दो या अधिक व्यक्ति होते ही 'काम्युनिकेशन' स्वतः शुरू हो जाता है। हम हर पल एक दूसरे से काम्युनिकेट करते रहते हैं। आपके समक्ष चाहे कोई परिचित हो या अजनबी, आप उसके साथ काम्युनिकेट करेंगे ही और वह भी आप के साथ काम्युनिकेट करेगा। काम्युनिकेट करना हमारे व्यवहार का एक अभिन्न अंग है।

आपसी सम्बन्धों में मधुरता या कटुता इसी काम्युनिकेशन के ही परिणाम है। सही और उचित काम्युनिकेशन से सम्बन्धों में मधुरता बढ़ती है और गलत काम्युनिकेशन से कटुता। काम्युनिकेशन का हमारे जीवन में बहुत महत्व है। पिता-पुत्र, पति-पत्नी, भाई-भाई, मित्र-मित्र आदि में प्रेम या मनमुटाव का कारण भी यही काम्युनिकेशन है। हमारा काम्युनिकेशन हमारे व्यवहार को प्रदर्शित करता है।

काम्युनिकेशन को सीधा (direct) और स्पष्ट (clear) होना चाहिये अपरोक्ष तथा अस्पष्ट काम्युनिकेशन से हमेशा गलत संदेश जाने की आशंका बनी रहती है। यदि आप किसी को पाँच मिनट इंतजार करने के लिये कहकर आधे घंटे बाद वापस आते है तो यह आपका गलत काम्युनिकेशन होगा। गलत काम्युनिकेशन से संबंधों के बिगड़ने के पूरे अवसर बन जाते है।

एक सीधा व सरल व्यवहार वाला व्यक्ति बनने के लिये हमें हमेशा अपने काम्युनिकेशन का ख्याल रखना चाहिये।

2 comments:

समय चक्र said...

आपके विचारो से सहमत हूँ बढ़िया सोच धन्यवाद

samagam rangmandal said...

सम्प्रेषण निश्चित उपस्थिती मात्र से प्रारंभ हो जाता है। आपने सही लिखा...आभार...