ब्लोगवाणी में एक बटन होता है पसंद वाला। याने कि यदि आपको किसी का लेख पसंद आया है तो आप इस बटन को क्लिक कर के बता सकते हैं कि आपने इस लेख को पसंद किया है। बड़े काम का है ये बटन! यह बटन बताता है कि किस लेख को कितने अधिक लोगों ने पसंद किया। अधिक पसंद पाकर ब्लोगर अधिक उत्साहित होता है और उसकी 'कुछ और अच्छा' लिखने की धुन बढ़ जाती है।
बहुत से लोग तो ब्लोगवाणी के हाशिये में अधिक पसंद किया गया देख कर ही लेख पढ़ जाते हैं। इसका मतलब है कि यह पसंद बटन अच्छे लेखों को आगे की ओर ठेलता है।
अब मैं आता हूँ असली बात पर। मैंने महसूस किया है कि इस अच्छे उद्देश्य वाले बटन का गलत प्रयोग भी किया जा सकता है और कहीं कहीं किया भी जा रहा है। भला कौन ब्लोगर नहीं चाहेगा कि उसे अधिक से अधिक पसंद मिले। उदाहरण के लिए मैं ही ब्लोगवाणी पर अपने लेख के आगे के पसंद बटन को कुछ कुछ अन्तराल में चटका देता हूँ। इस तरह से मेरे पोस्ट की पसंद संख्या बढ़ते जाती है और मेरा पोस्ट हाशिये में ऊपर बढ़ते जाता है।
तो मेरा ब्लोगवाणी वालों से एक अनुरोध है कि वे कुछ ऐसी व्यवस्था करें कि किसी भी कम्प्यूटर से पसंद वाली बटन में प्रत्येक 24 घंटे में सिर्फ एक बार ही चटका लगाया जा सके। एक से अधिक बार चटका लगाये जाने पर पसंद की संख्या न बढ़ पाये।
16 comments:
और यदि एक "गैंग" बनाकर अलग-अलग कम्प्यूटरों से किया जाये तो क्या होगा… :) :)
अब सुरेश जी, पुलिस चौकी खुल जाने से चोरी होना बन्द तो नहीं हो जाता, हाँ चोरियाँ कम अवश्य हो जाती हैं। :)
पसंद बटन पर क्लिक करके किसी पोस्ट पर जाया तो जा सकता है पर उस पर टिके रहना उस पोस्ट की गुणवत्ता पर निर्भर करता है.. आपने जो सुझाव दिया है उसके लिए हर व्यक्ति का लोगिन बनाना पड़ेगा.. जैसा कि चिट्ठाजगत में है.. परन्तु बार बार कोई लोगिन करना नहीं चाहता.. इसीलिए यह व्यवस्था है..
कुश जी, आपने मेरे अनुरोध पर ध्यान दिया इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद!
मैं एग्रीगेटर्स के तकनीक विषय में कुछ विशेष नहीं जानता। हाँ जैसा मुझे समझ में आया वैसा अनुरोध मैंने कर दिया। मेरे इस पोस्ट से यह अर्थ न लगाया जाए कि मैं ब्लोगवाणी में खामियाँ निकालने की कोशिश कर रहा हूँ। मैं तो ब्लोगवाणी का स्वयं एक प्रशंसक हूँ और अधिकतर किसी भी ब्लोग में इसी माध्यम से ही जाता हूँ।
कुश जी, जैसा कि डिग, ट्विटर आदि में है, 'इस कम्प्यूटर में मेरा लागिन याद रखें' जैसी व्यवस्था क्या ब्लोगवाणी में नहीं हो सकती?
जी पर ये तब तक रहती है जब तक किसी कंप्यूटर पर कुकीज सेव होती हो.. जैसे आपने कुकीज क्लियर की सब साफ़.. और हर कोई लोगिन करना भी पसंद नहीं करता.. पर आपका सुझाव बढ़िया है.. हालाँकि ब्लोग्वानी में अभी भी सुविधा है एक आई पी से एक ही क्लिक की पर लोग अपना नेट कनेक्शन बंद करके फिर से क्लिक कर देते है क्योंकि हर बार नेट कनेक्शन ऑन करने पर आपका आई पी बदल जाता है.. बहरहाल आपका सुझाव अच्छा है.. देखे क्या होताहै
सुन्दर व्यवस्था है, मगर बदमाशी के आगे लाचार है. मुझे नहीं लगता इससे उन्नत व्यवस्था फिलहाल सम्भव होगी.
मेरे सुझाव पर ध्यान देने के लिए पुनः धन्यवाद कुश जी!
जहाँ तक मैं समझता हूँ कि कूकीज़ के विषय में भी हमारे लोगों में से बहुत ही कम लोग ही जानते होंगे और शायद ही कभी कूकीज़ क्लीयर करते होंगे। इस प्रकार से सोचा जाए तो कूकीज़ कोई बहुत बड़ी समस्या नहीं साबित होगी।
अवधिया जी यहाँ हम जैसे भी अनजान हैं जिन्हे आज तक ये सम्झ नहीं आया कि ये पसंद वाला चक्कर क्या है धन्यवाद अब समझे
मै भी वही कहना चाहता हु जो Nirmla Kapilaji ने कहा है ।
अवधिया जी, हम भी इन मामलों में निपट बुद्धू हैं....वैसे एक बार हमने भी यूँ ही अपनी ही पोस्ट पर दोबारा से चटका लगाया था तो लिखा मिला कि "आप पहले ही पसंद कर चुके हैं"...
thanks ,useful information
thanks
अवधिया जी मेरे ब्लाग को भी ब्लागवाणी पर रजिटर कराने का उपचार बताने का कष्ट करें नया नया ब्लागर बना हूं एक बार घर आईये तो सही
http://chor-bazar.blogspot.com
अच्छी चर्चा। चलो आपके ब्लाग पर एक चटका लगाते चलें:)
आपकी बात सही है लेकिन इस बटन का इस्तेमाल हर ब्लोग्गर कर रहा है.....ठीक इसी तरह से
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