"हाँ मैं फलाँ खान हिन्दू हूँ" कह देने से कोई मान लेगा क्या कि खाँ साहब हिन्दू हो गए हैं? अरे भाई! कितनी ही फिल्मों में अमरीश पुरी ने चीख-चीख कर कहा कि "मैं अच्छा आदमी हूँ", "मैं अच्छा आदमी हूँ" तो क्या लोगों ने मान लिया? उसको अच्छा आदमी तो किसी ने माना नहीं उल्टे उसकी धुलाई कर दी।
ब्लोगवाणी में अपने ही ब्लोग को क्लिकिया क्लिकिया कर 'आज अधिक पसंद प्राप्त' और 'आज अधिक पढ़े गये' वाली संख्याओं को बढ़ा देने से क्या ब्लोग पॉपुलर हो जाता है? नहीं होता भइया, इतना तो समझना चाहिए कि पीतल पर सोने का पानी चढ़ा देने से पीतल सोना नहीं हो जाता। वो कहते हैं ना "हर जो चीज चमकती है उसको सोना नहीं कहते"।
मैं अपने पाठकों से पूछना चाहता हूँ कि क्या किसी के दिखावे का हिन्दू बन जाने से उसकी कद्र बढ़ जायेगी?
हाँ यदि कोई सच्चा मुसलमान बनके दिखायेगा तो जरूर उसकी कद्र होने लगेगी।
क्यों ठीक कह रहा हूँ ना बन्धुओं?
चलते-चलते
सूराखअली के मित्रों को किसी ने बता दिया कि सूराख का मतलब छेद होता है। बस फिर क्या था सारे मित्र उन्हें छेदी छेदी कहने लग गए। अब सूराखअली बेचारे बड़े परेशान। वे इतने परेशान हुए कि अपना नाम ही बदल डालने का निश्चय कर लिया। पहुँच गए पण्डित जी के पास नाम बदलवाने के लिए (मौलवी जी के पास इसलिए नहीं गए क्योंकि मौलवी साहब ने ही तो उनका नाम सूराखअली रखा था)। पण्डित जी ने ज्योतिष की गणना की और बोले भाई हमारी गणना के अनुसार तो तुम्हारा नाम गड्ढासिंह बनता है। बेचारे सूराखअली की परेशानी और बढ़ गई मौलवी जी ने छेद ही बनाया था अब ये पण्डित जी तो छेदा से गड्ढा बना दे रहे हैं। अब क्या करें? सोचा, चलो पादरी से नाम बदलवा लेते हैं और पहुँच गए चर्च के फादर के पास। पादरी ने भी अपना हिसाब किताब लगाया और कहा, "डियर सन, हम तुम्हारा नाम Mr. Hole रख देते हैं।"
20 comments:
" हाँ भाई ' खान साहब को किसी ने भी हिन्दू नहीं माना है , ज्यादा चिल्लायेंगे तो अमरीशपुरी वाला उपचार दिया जायेगा | "
वैधानिक चेतावनी **** उपरोक्त टिप्पणी का सिवाय ' लसूढो ' के और किसी से सम्बन्ध नहीं है |
:) :( :P :D :$ ;)
जनाब.... हिन्दू कोई धर्म नही है.... इसलिये सलीम खान ने अपने आपको हिन्दु कहा था....
हिन्दुस्तान में रहने वाला हर इन्सान हिन्दु है
@ काशिफ़ आरिफ़/Kashif Arif
प्रचलित मान्यता के अनुसार हिन्दू धर्म है और इसके आधार पर ही हिन्दू मैरिज एक्ट बना है।
Jai Hind Avsdhiya ji.Jai hind jiye Hind
अब तो और बात आगे बढ गयी अब हिन्दु कोइ धर्म नही है मन्दिर क्या है ?
अवधिया जी आज कल तो आप क्या लिख देते हो और लोग क्य समझ लेते है
बहुत अच्छा विमर्श है। हिन्दू कौन है? कानूनी परिभाषाएँ भी इस की बहुत सी हैं। यदि गंभीरता से इस विमर्श को चलाया जाए। तो बहुत काम की चीजें निकल कर आ सकती हैं और मिसाल बन सकती हैं।
@ काशिफ़ आरिफ़/Kashif Arif
यदि हिन्दुस्तान में रहने वाला हर इन्सान हिन्दू है तो उनका विवाह भी हिन्दू मैरिज एक्ट के अन्तर्गत ही होना चाहिए। और आपकी जानकारी के लिए बता दूँ कि हिन्दू मैरिज एक्ट में एक से अधिक विवाह का कोई भी प्रावधान नहीं है। दूसरा विवाह सिर्फ पहली पत्नी की मृत्यु या उससे विधिवत सम्बन्ध-विच्छेद हो जाने की अवस्था में ही हो सकता है।
"यदि हिन्दुस्तान में रहने वाला हर इन्सान हिन्दू है तो उनका विवाह भी हिन्दू मैरिज एक्ट के अन्तर्गत ही होना चाहिए। और आपकी जानकारी के लिए बता दूँ कि हिन्दू मैरिज एक्ट में एक से अधिक विवाह का कोई भी प्रावधान नहीं है। दूसरा विवाह सिर्फ पहली पत्नी की मृत्यु या उससे विधिवत सम्बन्ध-विच्छेद हो जाने की अवस्था में ही हो सकता है।"
यहाँ वे कोई सार्थक तर्क नहीं देंगे ! अच्छी बात है कि मुस्लिम होते हुए भी खुद को हिन्दू कहते हो, मगर उस हिन्दू का अनुशरण कितना करते हो ? बस यूँ समझिये कि इस दुनिया का सबसे बड़ा कौम्युनल इस देश में Democracy और secularism का champion बना फिर रहा है !
आपका अंतिम कमेंट रोचक है अवधिया जी.
मुझे तो इस बहस मै भाग नही लेना, लेकिन असली सूराखअली अभी तक दिखा नही, ओर ना हि छेदी ही आया नाम बदल के :)
sahi baat hai......
HINDU wali post ke baad maine comment likha tha...inhone to khud ko hindu likh diya lekin kairanbi miya sawal uthane lage...to maine kaha k ISLAM ki pehchan kairanbi jaise logo se hi hogi, hindu saleem khan se nahi. khair, ab to apan ne waha jana hi chhod diya hai......
lekin ek baat kehna chahta hu AWADHIYA JI...pilibheet ka rehnewala musalman kis rang me ranga ho sakta hai, isko samajhna mushkil nahi hai. india-nepal border ka yeh district desh-virodhi gatividhiyo ke liye badnaam hai. yaha madarso me thik waisi hi taleem di jaati hai, jo saleem miya ke updesho me dikhti hai. pilibheet ke musalmano ne kaise halaat paida kiye honge, iska andaza VARUN GANDHI ke bhashno se lagaya ja sakta hai. ye bhi gaur karne ki baat hai ki VARUN ne jo baat local aur anti-social musalmano ke liya kahi (aur woh bhi hinduvo par hamla hone ki surat me), usey so called secular logo ne saare musalmano ke khilaf bataa diya. uske baad kitna sahi huwa aur kitna galat, sabhi ne dekha.
mujhe to yakeen hai ki ye shakhs ranga siyar hai, jiska maksad koyee islaam ka prachar aadi karna nahi he, bas kachra failana hai. arey, ye kya kha ke hindu banega. hindu hone ke liye bahut bada dil chahiye hoga. jitna tang iska nazariya hai. usko dekhte huwe to nahi lagta ki iske dil me itni jagah hogi ki dusre dharmo ka aadar karte huwe dusre logo ke saath ji sake.
आप से विनम्र निवेदन है कि आप इन जैसे लोगो के बारे में लिखकर अपना समय बर्बाद व इनको आगे लाने का काम नाकरें। आप ये सोचिये कि इनपर लगाम कैसे लगाई जाये।
अवधिया जी, आप तो कभी गलत कह ही नहीं सकते और खासकर इन छेदियों के बारे में तो बिल्कुल भी नहीं!!!
जो इन्सान वन्दे मातरम नहीं बोल सकता,वो किस मुँह से अपने आपको हिन्दू कहता है।।
अवधिया जी, इनका असली रूप दिखाई देना तो अभी बाकी है......अभी तो सिर्फ मछलियों को दाना डाला जा रहा है!!!
@ haal-ahwaal
आपकी बात बिल्कुल सही है। मुझे भी यकीन है कि हिन्दी ब्लोग्स को माध्यम बनाकर योजनाबद्ध तरीके से प्रचार और विज्ञापन को जबरन थोपा जा रहा है। मैं किसी प्रकार के प्रचार का विरोध नहीं करता, करें वे अपने ब्लोग से प्रचार। जिन्हें उनका लिखा अच्छा लगता है वे अवश्य ही जायेंगे वहाँ उन्हे पढ़ने के लिए। मैं तो विरोध करता हूँ टिप्पणियों के द्वारा प्रचार करने का। ये अपने प्रचार के लिए दूसरों के ब्लोग का दुरुपयोग कर रहे हैं।
@ Mithilesh dubey
प्रिय मिथिलेश जी, आपकी टिप्पणी एक निवेदन नहीं बल्कि आपका मेरे प्रति स्नेह है!
मैं इनको आगे लाने का कार्य नहीं कर रहा हूँ बल्कि मुखौटे के पीछे इनका सही चेहरा दिखाने का काम कर रहा हूँ। ये अपने मतलब के लिए कुछ भी कर सकते हैं, दिखावे के लिए हिन्दू बन सकते हैं, हमारे धर्मग्रंथो से अपने मतलब का उद्धरण निकाल सकते हैं, अपने प्रचार के लिए टिप्पणियाँ कर कर के हमारे ब्लोग्स का दुरुपयोग कर सकते हैं। आखिर क्यों हम इन्हें मनमानी करने दें? यदि ये हमारे साथ प्रेमपूर्वक व्यवहार रखेंगे तो हम इन पर जान भी छिड़क सकते हैं किन्तु अपमानजनक व्यवहार को हम कदापि बर्दाश्त नहीं कर सकते।
मै यहाँ देवेदी जी की बात से सहमत हूँ कोई भी चर्चा निर्णायक होनी चाहिये तभी सब का असली चेहरा सामने आयेगा
यहाँ कुछ ऐसे भी हैं जो विवाह न करने के बावजूद विवाह के बारे में दी गयी राय पर अच्छी राय दे लेते हैं.
@ स्वच्छ संदेश: हिन्दोस्तान की आवाज़
आप जैसे विद्वान की बात मुझ जैसे मूर्ख के समझ में नहीं आ पाती। यदि स्पष्ट करें कि किसने विवाह न करने के बावजूद विवाह के बारे में दी गयी किस राय पर कौन सी अच्छी राय दी है तो शायद कुछ समझ पाऊँ।
यानी गुरुदेव, आप सर्फ़ और एरियल से लगातार धुलाई करते ही रहेंगे पटक-पटक कर… लगे रहिये… :) जब धुल-धुल कर एकदम साफ़ चकाचक हो जायें तब कड़ी धूप में एक बार सुखा भी दीजियेगा… हो सके तो कलफ़ भी लगाईयेगा… ये लोग ऐसे बाज नहीं आने वाले… :)
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अवधिया जी,
"हाँ यदि कोई सच्चा मुसलमान बनके दिखायेगा तो जरूर उसकी कद्र होने लगेगी।"
इसी 'सच्चे' शब्द को लेकर ही तो बहसें होती है।
चलते चलते में जो चुटकुला आपने सुनाया है उसकी शुरूआत आप यदि सूराख अली से न कर छेदी लाल से करते तो आपकी सदाशयता भी दिखती और लोग अन्यथा भी न लेते।
प्रवीण शाह
हाँ, मैं सेक्युलर हूँ।
sir ji, ye "लसूढो" kaun hai? maine kai baar likha dekha hai. mere jaankari se ye 1 jangli fal hota hai,
please batane ka kasht kare.
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