दूसरी बात यह कि पता नहीं आप लोगों को अटपटा लगा कि नहीं पर हमें तो ब्लॉगवाणी के बिना फिर एक बार लगभग चौबीस घंटे गुजारना बड़ा अटपटा लगा। खैर तकनीकी दिक्कत सुलझ गई और हमारा अटपटापन भी खत्म हो गया। भई, हमारे ब्राउसर के एक टैब में तो ब्लॉगवाणी चलते ही रहता है।
अब तीसरी और आखरी बात धनतेरस वाली। "धन त्रयोदशी" याने कि धनतेरस के दिन को सोना-चांदी व बर्तन खरीदने के लिये अत्यधिक शुभ दिन माना जाता है (पर हम इस बार नहीं खरीदने वाले क्योंकि हमारा एडसेंस वाला चेक अब तीन महीने में एक बार आता है और फिलहाल जेब खाली है)।
आजकल तो लोग धनतेरस के दिन भी पकाई गई मिट्टी याने कि लाल रंग के दिये जलाते हैं जबकि हमें याद है कि इस दिन सूर्यास्त के बाद घर के मुख्य द्वार में पूर्व की ओर मुख कर वाले कच्ची मिट्टी के ही तेरह दिये प्रज्वलित करके ही पूजा की जाती थी। अस्तु, समय के अनुसार परिपाटी भी बदलती जाती है।
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9 comments:
ब्लागवाणी फिर गायब है।
"धन त्रयोदशी" याने कि धनतेरस के दिन को सोना-चांदी व बर्तन खरीदने के लिये अत्यधिक शुभ दिन माना जाता है (पर हम इस बार नहीं खरीदने वाले क्योंकि हमारा एडसेंस वाला चेक अब तीन महीने में एक बार आता है और फिलहाल जेब खाली है)।
अरे अरे किस्तो पर ले आओ, आज् कल तो रिवाज है जी फ़िक्र नोट
आप को ओर आप के परिवार को दिपावली की शुभकामानाये
हा-हा-हा.. क्या अवधिया जी, जब देखो बच्चो को डराते रहते हो !एक बच्चा तो इंतना डर गया आपसे कि अपने बाप का नाम ही भूल गया और जब देखो अवधिया चाचा ...अवधिया चाचा ही पुकारता रहता है, मुझे तो डर है कि उसकी इन हरकतों से लोग कुछ गलत ना समझ बैठे, तोबा-तोबा ! खैर, मैं तीनो बाते एक ही सांस में पढ़ गया और आख़िरी में जोर से हँसा ! वैसे धन तेरस पर कुछ खरीदना नहीं चाहिए , धन तेरस का मतलब है धन को बचाओ और हम लाला लोगो की चिकनी चुपडी बातो में आकर धन उड़ा देते है ! तभी तो लाला लोग और मोटे हुए जा रहे है और हम पतले ! खैर, जब चेक आ जाए तभी खरीद लेना क्या फर्क पड़ता है ? दीपावली की शुभकामनाये !
ab aap teen post likhiye isake liye :)
तीनों बातें अच्छी.......
दीपोत्सव की बधाइयाँ
कमाल है ! कहाँ तो अच्छा भला तीन पोस्टों का जुगाड हो रहा था..लेकिन आपने तो एक ही में समेट दिया :)
ऎडसैंस की तरफ से हर सप्ताह आपकी जेब गर्म होती रहे:) इस मंगलकामना सहित आपको सपरिवार दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनाऎ!!!!!
आपको और आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं !
का अवधिया जी ..शीर्षक का कमी है ..पहले वाले का रख देते
पोस्ट हमारी शीर्षक तुम्हारा,
दूसरा
अबकी बार शीर्षक तुम्हारा, माल हमारा,
तीसरा
यार एक लास्ट शीर्षक भी रख दो,
क्या जाएगा तुम्हारा...।
वैसे इन एडसेंस वालों ने कहा है कि अब से जो भी पैसा आएगा वो सिर्फ़ गुल्लक में जमा किया जा सकता है। हां गुल्लक चांदी का होना चाहिये..खरीद लिये क्या।
अजय कुमार झा
टिप्पणी में शुभकामनाएं दे देता हूँ, और कुछ सुझ नहीं रहा... :)
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