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विश्लेषण करने पर मुझे तो यही पता चलता है कि अधिकतर लोग एग्रीगेटर्स से ही आते हैं। इस बात में तो दो मत नहीं हो सकता कि एग्रीगेटर्स फिलहाल हम ब्लोगर्स के बीच में ही लोकप्रिय है, नेट में आने वाले सामान्य लोगों में से अधिकतर लोगों को अभी भी एग्रीगेटर्स के बारे में जानकारी नहीं है। इसका मतलब यही हुआ कि मेरे ब्लोग में अधिकतर अन्य ब्लोगर्स ही आते हैं।वैसे दूसरा पेज बताता है कि आठ-दस लोग गूगल सर्च, गूगल इमेजेस से भी मेरे ब्लोग में आये हुए हैं और यही वो लोग हैं जो कि कुछ खोजते खोजते मेरे ब्लोग में आए। यह बहुत अच्छी बात है कि हम ब्लोगर्स एक दूसरे के पोस्ट को पढ़ें किन्तु बाहरी पाठकों का हिन्दी ब्लोग्स में आना बहुत जरूरी है नहीं तो फिर वही मिसल हो जायेगी कि "जंगल में मोर नाचा किसने देखा"।
तो अब अब जरूरत है सर्च इंजिन्स से पाठक लाने की। मैं समझता हूँ कि सभी ब्लोगर बन्धु इस बात पर ध्यान देंगे और इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए भगीरथ प्रयास में जुट जायेंगे।
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"संक्षिप्त वाल्मीकि रामायण" का नया पोस्ट
23 comments:
हम भी statecounter पर नजर रखते हैं, और योजनाबद्ध् लगे हैं, नाम तो अपना बना लिया अब काम की तरफ ही ध्यान है, हमसे बडा ज्ञानी रैंकिंग में हो कोई हो तो करके दिखाये 3 पोस्ट में Rank-1 ब्लाग, नाम नहीं दे रहा जबकि जरूरी था,
काका सांकल खोल दो, पलीज
अवधिया जी,
किसी ऐसे मैग्नेटिक सॉफ्टवेयर का इजाद कीजिए, बस अपने कम्प्यूटर में लगाया और हर कोई अपने आप ही खिंचा चला आए...
जय हिंद...
bilkul sahi kaha aapne...
हमे तो खुशदीप की बात अच्छी लगी क्या हो सकता है ये भी?
अवधिया जी एक जोक सुनाने का मूड कर रहा है ;
लालू : इतने सारे लोग फुटबॉल को लात क्यों मार रहे है ?
संता : गोल करने के लिए .
लालू : ससुरा गोल ही तो है और कितना गोल करेंगे ?
खुशदीप जी और निर्मला जी,
लोगों को कोई सॉफ्टवेयर नहीं खींच सकता। खींच सकता है तो आपका लेखन! हमें जानने की कोशिश करना है कि लोग क्या पसंद करते हैं। लोगों की नब्ज पकड़ना है और ऐसा लिखना है कि लोग खिंचे चले आएँ। हमारी सबसे बड़ी कमजोरी यह है कि हम वो लिखते हैं जो हमें पसंद है जबकि हमें दूसरों की पसंद का ध्यान रख कर लिखना चाहिए।
वास्तव में हिन्दी लेखों के लिए सर्च इंजिन की सहायता से आनेवाले पाठक कम हैं !!
मुझे आपकी बात कहीं न कहीं ठीक लगती है एग्रीगेटर्स के जरिए तो ब्लागर्स ही आएँगे ये बात अलग है कि वे पाठक भी हैं पर हमें ऐसे पाठक भी चाहिए जो सर्च करते समय या कुछ ढूंढते समय हमारे ब्लाग्स पर आएं। एक तो हिन्दी में सर्च को बढ़ावा मिले और दूसरे सर्च इंजन ज्यादा से ज्यादा चीजों की खोज के समय ब्लाग्स को प्राथमिकता दें तो यह संभव है और यह होगा भी। जिस तादाद में लोग नेट और अब खासतौर पर हिन्दी में नेट का इस्तेमाल कर रहे हैं यह भी जल्द होगा
कैरानवी जी,
पेज रैंकिंग और SEO (Search Engine Optimization) के विषय में अच्छा लेख लिख कर अपने ज्ञान को लोगों में यदि बाँटें तो यह आपका एक सराहनीय कार्य समझा जायेगा और वह लेख आपके ज्ञान का सदुपयोग भी होगा। यहाँ पर तो बहुत से लोग ऐसे हैं जो यही नहीं जानते कि पेज रैंक क्या होता है।
क्या आप कभी खुद गूगल पर कोई
शब्द ड़ाल कर कोई ऐसा ब्लॉग खोजते हैं
जो संकलक पर नहीं हैं .
कमी हैं की हम सब ब्लॉग नहीं ब्लॉगर को
पढ़ते हैं
रचना जी,
गूगल में मैं तो क्या कोई भी आदमी किसी ब्लॉग को नहीं खोजता। कीवर्ड, जिस शब्द को सर्चबार में टाइप करके कुछ खोजा जाता है, किसी ब्लोग का नाम नहीं वरन मात्र शब्द या शब्द समूह होता है। हाँ मैं हिन्दी के शब्दों जैसे कि "रामायण", "वाल्मीकि", "आजाद काश्मीर" आदि से गूगल में कई बार खोजता हूँ पर किसी ब्लोग को नहीं खोजता, ब्लोग तो अपने आप सर्च रिजल्ट में आ जाते हैं।
शब्द ड़ाल कर कोई ऐसा ब्लॉग खोजते हैं
जो संकलक पर नहीं हैं .
मेरा कहने का तात्पर्य इतना ही था की
ब्लॉगर ब्लॉगर को पढता हैं
पाठक ब्लॉग पढता हैं और पाठक बहुत
कम कमेन्ट करता हैं और तभी करता
हैं जब उसको वो मिलता हैं जो सर्च करके
वो ब्लॉग तक आया हैं
संकलक से ऊपर उठ कर कितने ब्लॉग
कौन खोजता हैं
थैंक्स
धीरे धीरे सब काम होते है जी....
बहुत सुंदर लिखा.
धन्यवाद
अगली पोस्ट का इन्तेजार रहेगा.. कुछ कदम भी बताएं जो हम ब्लोगर्स मिल कर उठा सकते हैं..
अगली पोस्ट का इन्तेजार रहेगा.. कुछ कदम भी बताएं जो हम ब्लोगर्स मिल कर उठा सकते हैं..
हमने भी लिखा था - सर्च इंजन से पंहुचते पाठक।
हम तो रामभरोसे लिखने वालों में से हैं जी....अब हमारा लिखा चाहे कोई ब्लागर पढे या फिर सामान्य पाठक ।
वैसे समय आने पर खोज इन्जिनों से भी पाठक आने ही लगेंगें...
ये बात बिलकुल सच है की सर्च इंजन से अभी भी बहुत कम लोग हिंदी ब्लॉग पे आते हैं ....
प्रयास मैं तेजी लाने की आवश्यकता है ....
यह बात तो हमने भी नोट की है
पर एक बात बता दूँ कि हमारा आधा ट्राफ़िक सर्च इंजिन से ही आता है।
अवधिया जी आपका unpublished कमेंट का जवाब बहुत पसंद आया, Rank पर मैं जब कभी लिखूंगा आपके लिये लिखूंगा, फिलहाल तो जो यह नहीं जानते कि पेज रैंक क्या होता है। वह खंडेलवाल जी के निम्न लेख से जान लें
ब्लॉग रैंकिंग का कौनसा सिस्टम क्या कहता है..
http://tips-hindi.blogspot.com/2009/04/blog-post_11.html
डायरेक्ट लिंक
उम्मीद पे दुनिया कायम रह सकती है तो हम क्यों नहीं ?
जैसे जैसे हिंदी में खोज बढती जा रही है ब्लोग्स पर गूगल से पाठक भी बढ़ते जा रहे है मै स्टेट काउंटर और गूगल विश्लेषण का इस्तेमाल करता हूँ और मैंने पाया है कि मेरे ब्लॉग ज्ञान दर्पण पर पाठक ब्लॉग एग्रीगेटर के बजाय गूगल से ज्यादा आते है हाँ वे टिप्पणी नहीं करते पर पेज व्यू गूगल से आये पाठको से ही बढ़ता है | गूगल से पाठक आकर्षित करने के लिए अपने ब्लॉग के टेम्पलेट में मेटा टेग का इस्तेमाल कीजिये फिर देखिये महीने भर बाद आपके ब्लॉग पर गूगल से कितना ट्रेफिक आता है | मेटा टेग लगाने का तरीका यहाँ लिखा है http://easyvirus.blogspot.com/2009/04/customizing-blogger-meta-tag-title.html
Nice post thanks for share This valuble knowledge
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