Friday, October 30, 2009

हम खुश होते थे सोचकर कि एक साल में दो बार ईद की छुट्टियाँ मिलेंगी

साल में एक ही त्यौहार दो बार आये और दो बार छुट्टियाँ मिले तो क्या कोई खुश नहीं होगा। ईद, मोहर्रम आदि की छुट्टियाँ ऐसी हैं जिनकी कभी न कभी एक साल में दो बार मिलने की सम्भावना होती है, एक बार जनवरी में और एक बार दिसम्बर में।

क्यों होता है ऐसा?

ऐसा इसलिये होता है क्योंकि ये चन्द्र की गति के आधार पर बनाये गये कैलेंडर पर आधारित होते हैं। सूर्य की गति के आधार पर बनाये गये कैलेंडर में वर्ष लगभग 365 दिन का होता है क्योंकि पृथ्वी को सूर्य की परिक्रमा करने में लगभग 365 दिन लगते हैं। किन्तु चन्द्रमा को पृथ्वी का एक चक्कर लगाने में लगभग 29.58 दिन लगते हैं इसलिये चन्द्र की गति के आधार पर बनाये गये कैलेंडर के एक वर्ष में लगभग 355 दिन ही होते हैं। इस प्रकार से दोनों कैलेंडरों में प्रतिवर्ष लगभग 10 दिनों का अन्तर हो जाता है और ये छुट्टियाँ 365 दिनो के बाद आने के बजान 355 दिनों के बाद आती हैं। अब मान लीजिये कि किसी साल ईद जनवरी माह के पहले सप्ताह में आती है तो अगली बार वह उसी साल के दिसम्बर माह के अन्तिम सप्ताह में आयेगी।

जहाँ मुस्लिम कैलेंडर चन्द्र की गति पर आधारित है वहीं हिन्दू कैलेंडर भी चन्द्र की गति पर ही आधारित है और हिन्दू त्यौहार भी प्रतिवर्ष 10 दिन पीछे हो जाते हैं। किन्तु हिन्दू कैलेंडर में चन्द्र की गति के साथ ही साथ सूर्य की गति को भी महत्व देकर उसे भी आधार बनाया गया है। इसीलिये प्रति तीन वर्ष में एक अधिक माह जोड़ दिया जाता है और इस प्रकार से फिर से समायोजन हो जाता है। मुस्लिम कैलेंडर में इस प्रकार के किसी समायोजन का प्रावधान नहीं है।

चलिये जाने थोड़ा सा हिन्दू पंचांग के बारे में

सामान्य

वेदों में पंचांग (calendar) के अनेकों प्रसंग मिलते हैं जिससे ज्ञात होता है कि हिन्दू पंचांग की उत्पत्ति वैदिक काल में ही हो चुकी थी।

प्रायः सभी हिन्दू पंचांग सूर्य सिद्धान्त में निहित सिद्धान्तों का ही अनुगमन करते हैं।

वैदिक काल के पश्चात् आर्यभट, वाराहमिहिर, भास्कर आदि जैसे ज्योतिष के प्रकाण्ड पण्डितों ने हिन्दू पंचांग को विकसित किया।

हिन्दू पंचाग के पाँच अंग (1) तिथि (2) वसर (3) नक्षत्र (4) योग और (5) करन होते हैं, इसी कारण से इसका नाम पंचांग (पंच+अंग) पड़ा।
विक्रम तथा शालिवाहन संवत

विक्रम तथा शालिवाहन संवत सर्वाधिक प्रयोग किये जाने वाले हिन्दू कैलेन्डर हैं।

विक्रम तथा शालिवाहन संवत क्रमशः उत्तर भारत व दक्षिण भारत में अधिक लोकप्रिय हैं।

विक्रम तथा शालिवाहन संवत दोनों में ही बारह चंद्रमास होते हैं।

पूर्ण चंद्र वाली रात्रि (पूर्णिमा) के अगले दिन से महीने का आरम्भ होता है।

प्रत्येक चंद्रमास को शुक्लपक्ष एवं कृष्णपक्ष नामक दो पक्षों में विभाजित किया गया है। प्रत्येक चंद्रमास का आरम्भ कृष्णपक्ष से होता है और अन्त शुक्लपक्ष से।
हिन्दू पंचाग के बारह चंद्रमासों के नाम

1. चैत्र
2. वैशाख
3. ज्येष्ठ
4. आषाढ़
5. श्रावण
6. भाद्रपद
7. आश्विन
8. कार्तिक
9. मार्गशीर्ष
10. पौष
11. माघ
12. फाल्गुन

चलते-चलते

त्यौहार के उपलक्ष्य में एक दम्पति ने पण्डित जी को भोजन के लिये निमन्त्रित किया था। पत्नी किचन में गरम गरम पूरियाँ निकाल रही थी और पति डॉयनिंग रूम में पण्डित जी को परस रहा था। पण्डित जी थे कि खाये चले जा रहे थे, खाये चले जा रहे थे।

लगाया गया आटा पूरा चुक गया। पत्नी ने इशारे से पति को बुलाया और बोली, "आटा चुक गया है जी, मैं जल्दी से और आटा गूँथ लेती हूँ, तब तक आप जरा पण्डित जी को बातों में लगा कर उनका हाथ रोकिये।"

पति ने पण्डित जी को बातों में लगाना शुरू किया, "खाना तो अच्छा बना है न पण्डित जी?"

"बहुत सुस्वादु भोजन है यजमान! भगवान तुम्हें सुखी रखे।"

"पूरियाँ कुछ ठंडी हो गई हैं, मैं अभी गरम निकलवा कर लाता हूँ। तब तक आप जरा पानी-वानी पीजिये।"

"पानी तो हम आधा पेट भरने के बाद ही पीते हैं यजमान।"

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"संक्षिप्त वाल्मीकि रामायण" का अगला पोस्टः

सुमन्त का अयोध्या लौटना - अयोध्याकाण्ड (18)

14 comments:

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

Aaadarniya

awadhiya ji,

aapki yeh jaankari bahut achchi lagi....


dhanyawaad....

संगीता पुरी said...

प्राचीन काल के ज्‍योतिषियों की गंभीरता और ज्ञान को स्‍पष्‍ट करनेवाली सुंदर पोस्‍ट .. आज के 'चलते चलते' ने स्‍पष्‍ट कर दिया कि पहले के पंडितों और आज के पंडितों में इतना अंतर क्‍यूं है .. पंडित जी की बात सुनने के बाद पति ने पत्‍नी को जाकर यही कहा होगा कि पहले जितना आटा गूंथा था .. उसका डबल अब गूंथे!!

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

बहुत बढिया जानकारी प्रदान की है आपने। और हाँ, लास्ट में सुनाया गया चुटकुला भी जोरदार है। हालाँकि पहले का सुना हुआ है, फिरभी चेहरे पर हंसी की पतली रेख तैर ही गयी।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

संजय बेंगाणी said...

पीछले दिनों से भारतीय तिथिपत्रक में रूची गहरी हुई है. जानकारी के लिए आभार.

Mohammed Umar Kairanvi said...

चांद के कलैंडर पर अच्‍छी जानकारी दी है आपने,ऐसी जानकारियों की सभी को बहुत आवश्‍यकता है, आखरी पंक्ति ऐसी
''मुस्लिम कैलेंडर में इस प्रकार के किसी समायोजन का प्रावधान नहीं है।''
लिखेंगे तो जवाब भी पब्लिश किया करें,

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

इसका मतलब यह कि यहाँ भी हम बाजी मार गए : )

संगीता पुरी said...

संजय बेंगानी जी ने हिन्‍दी दिवस के दिन इस वर्ष का पंचांग इंटरनेट पर डाला है .. शायद इतने से ही उनकी तिथिपत्रक में इतनी रूचि जग गयी है .. परंपरागत ज्ञान में यही तो खासियत है .. सबकुछ देखकर ताज्‍जुब भी होता है .. अभी तक उन्‍हें ही आगे बढाया गया होता .. तो उनका क्‍या स्‍वरूप होता .. कल्‍पना से परे है !!

शरद कोकास said...

यह वर्ष 2000 ई, में हुआ था जब माह रमज़ान की ईद 8 जनवरी और अगली ईद चान्द वर्ष के अनुसार 354.255687 दिन बाद अर्थात 28 दिसम्बर को पड़ी थी । चांद का कैलेंडर आदिम मनुष्य का कैलेंडर है क्योंकि मनुष्य ने दिन पखवाडा माह और वर्ष की गणना चान्द की घटती बढती कलाओं के अनुसार की । हिन्दु मे और इस्लाम मे चान्द का ही कैलेंडर है । हिजरी कैलेंडर के अनुसर वर्ष प्रतिवर्श 10.24651 दिन कम हो जाता है इसलिये इस साल 17 अक्तूबर को दीवाली थी अगले साल 17-18 नवम्बर को आयेगी इस तरह 3 साल मे एक माह बढ़ जाता है विक्रम और शक कैलेन्दर मे तीन साल बाद एक माह बढ़ाकर इसे सौर कैलेंडर के बराबर कर लिया जाता है लेकिन हिजरीसम्वत मे यह निरंतर कम होता जाता है इसलिये 8 ज्नवरी के बाद ईद 28 दिसम्बर को आयेगी उसके अगले साल 18 दिसम्बर को उसके बाद 8 दिसम्बर को ,उसके बाद 27-28 नवम्बर को ।इस तर्ह 3 साल मे यह पर्व सिर्फ एक माह पीछे होगा । 1 जनवरी से 31 दिसम्बर के बीच दोबारा आने के लिये इसे इस तरह 35-36 साल लग जायेगा इसलिये साल मे दो बार छुट्टी के नाम पर खुश होने की ज़रूरत नही है ।

काशिफ़ आरिफ़/Kashif Arif said...

अच्छी जानकारी लेकिन शरद जी ने साल में दो छुट्टियों का मज़ा खराब कर दिया

राज भाटिय़ा said...

वेसे भी भारत मै काम कोन करता है सरकारी दफ़तरो मे तो रोज ही छुट्टी का महोल होता है... बाकी जानकरी बहुत सुंदर लगी,पंडित जी तो खुब जीमे.
धन्यवाद

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

छुटियों के बहाने से आपने बहुत महत्वपूर्ण जानकारी बाँटने का काम किया...जो कि बहुत से लोगों के लिए तो नई ही होगी ।
वैसे पंडितों को जिमाणा कोई आसान काम थोडे ही है....किसी दिन हमें न्यौता देकर देखें...कनस्तर का सारा आटा न खत्म हो जाए तो कहिए :)




चिन्ता मत करें ....इतने पेटू नहीं है हमं :)

Computer Application said...

बहुत ही बड़िया लिखा है आपने धन्यबाद यह भी पड़े IT Kya Hai

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Unknown said...

Excellent Post Thanks For Sharing I am Daily Reader Of Your Blog And Check Out My Post Laptop Me Screenshot Kaise Le Aur Saath Me Photo Banane Wala Apps Post Bhi Read Kar Sakte Hain.