उसे लिखने के लिये दो घंटे की मशक्कत के बदले सिर्फ छः ब्लोगवाणी पसंद ही पाया,
इतनी कम पसंद?
क्या हम इतने गये गुजरे हैं?
ये सब सोच कर हमारा भेजा भन्नाया
अरे! ये तो कविता बनती जा रही है। नहीं भाई, मैं कवि नहीं हूँ इसलिये मैं कविता की और लाइने लिख कर आपको बोर नहीं करूँगा।
मैं तो सिर्फ यह जानना चाहता हूँ कि आखिर लोग किसी पोस्ट को पसंद करते हैं तो पसंद बटन पर एक चटका लगाने में कंजूसी क्यों कर जाते हैं? क्या जाता है उनका पसंद बटन पर एक क्लिक करने में? न तो इसके लिये जेब से रुपया खर्च करना पड़ता है और न ही कोई समय गवाँना पड़ता है।
टिप्पणियाँ मिल जाती हैं पर पसंद नहीं मिलता। बताइये भला, यह भी कोई बात हुई?
यह सब मैं अपने पोस्ट को पसंद करवाने के लिये नहीं कह रहा हूँ बल्कि उन सभी पोस्टों के बारे में कह रहा हूँ जिन्हें आप पढ़ कर पसंद करते हैं और टिप्पणी भी करते हैं। आपकी टिप्पणी से सिर्फ ब्लोगर को तुष्टि मिलती है किन्तु आपके पसंद बटन को क्लिक करने से न सिर्फ ब्लोगर को तुष्टि मिलती है वरन ब्लोगवाणी की लोकप्रियता भी बढ़ती है।
ब्लोगवाणी और इसके पसंद बटन की लोकप्रियता बढ़ने पर गूगल को भी इसे अंग्रेजी के डिग, टेक्नोराटी आदि की तरह महत्व देना पड़ेगा। यह मापदंड बन जायेगा हिन्दी ब्लोग की लोकप्रियता का। अधिक पसंद किये जाने वाले पोस्टों को सर्च इंजिन्स में प्रमुख स्थान मिलने लगेंगे। अंग्रेजी के डिग बटन में तो सैकड़ों से हजारों की संख्या में चटके लगते हैं इसी कारण से गूगल सहित अन्य सभी सर्च इंजिन्स की नजरों में डिग का महत्व है। हमें भी यह प्रयास करना है कि ब्लोगवाणी पसंद का भी महत्व डिग, टेक्नोराटी जैसा हो जाये।
तो पसंद आने वाली पोस्टों में आप चाहे टिप्पणी करें या न करें पर पसंद बटन पर चटका लगाना कभी भी न भूलें। ऐसा करके आप ब्लोगर को प्रोत्साहन तो देंगे ही साथ ही साथ हिन्दी ब्लोग्स को आगे बढ़ाने में भी आपका योगदान हो जायेगा। पर चटका उसी पोस्ट के लिये लगायें जो आप को पसंद हो, जो पोस्ट आपको पसंद नहीं हैं उस पर चटका लगाना पसंद बटन का दुरुपयोग होगा।
चलते-चलते
आज के हमारे इस पोस्ट का शीर्षक पढ़ कर कैसा लगा? यही ना कि हमने मांगने वाला स्टाइल अपनाया आज। और आप तो जानते ही हैं
रहिमन वे नर मर चुके जो कछु मांगन जाहि।
उन ते पहिले वे मुए जिन मुख निकसत नाहि॥
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"संक्षिप्त वाल्मीकि रामायण" का अगला पोस्टः
25 comments:
अवधिया साहब, मैं तो दो देना चाह रहा था, मगर ब्लॉग वाणी दूसरे की परमीशन नहीं दे रहा ! :)
किसी ऐसी बात पर आलेख लिखें .. जिसपर खूब विवाद हो .. पसंद तुरंत बढ जाएगा .. हम हिन्दी ब्लोगरों की यही मानसिकता है .. क्या कहूं ??
अवधिया जी आपकी आज्ञा सर आंखो पर,बोहनी का चटका लगा रहा हूं और हां ये दुरूपयोग नही है,सच मे पसंद है,बोनस मे टिपण्णी भी दे रहा हूं।
laga diya ji............
khush ?
badhiya tareeka hai ...ha ha ha
अवधिया जी-यार बांटते चलो-प्यार बांटते चलो, मै टिप्पणी भले ही ना कर पाऊँ, बटन पर जरुर एक ठोकर लगा देता हुं, पता नही मुझे क्यों लग रहा था आपकी एकाध पोस्ट इस पर आने वाली है, आप भी टी आर पी बढाने के नये-नये तरीके ईजाद कर इसमे ईजाफ़ा कर ही लेते हैं जिससे नवीन ब्लागरों को मार्गदर्शन मिलता है, हाँ एक बात अऊ हे जौन घर ले खा पी के निकलथे तेखर भर जेवन सबो जगा माड़हे रहिथे।
अवधिया जी काहे दुखी होते हैं जी, कंप्यूटर रिस्टार्ट कीजिए और खुद दुबारा पसंद कीजिए। संख्या बढ़ती जाएगी। अभी ब्लागवाणी ने इस में लॉगिन चालू नहीं किया है।
हम तो आप को चिट्ठा जगत पर भी पसंद दे आए हैं, और आप की तरफ से शुक्रिया भी ले आए हैं। लो ब्लागवाणी भी चटका देते हैं।
द्विवेदी जी,
पसंद और टिप्पणी के लिये धन्यवाद!
दुःख तो इस बात का है कि लोग उसी तरीके से अपनी पसंद बढ़ाया करते हैं जैसा आपने बताया है। यह तो सिर्फ आत्मतुष्टि हुई। इससे न स्वयं का भला है, ब्लोगवाणी का और नही ही हिन्दी का।
लगा दे, लगा दे...
मौला के नाम पर इक चटका लगा दे...
जो लगाए उसका भला...
जो न लगाए उसका...
जय हिंद...
हम तो साहब आई हुयी टिप्पणीयो को ही पसंद मान लेते है पर आपके लिए एक चटका जरूर लगा देते है !
बधाई हो अवधिया जी आज तो दुकान चल निकली। हा हा हा हा हा हा हा।बुरा मत मानियेगा भई।
अभी सबसे ऊपर पहुँचाता हूँ आपको !
नोट करें, फिलहाल ११ हैं आपकी !
माँगने वाले चाहे मर गये हों , पर देने वाला नहीं मरा अभी :)
अभी सबसे ऊपर पहुँचाता हूँ आपको !
नोट करें, फिलहाल ११ हैं आपकी !
माँगने वाले चाहे मर गये हों , पर देने वाला नहीं मरा अभी :)
अब आपकी १७ हैं, और आप सबसे ऊपर ।
बिल भिजवा दिया है, भुगतान स्वप्नलोक पर कर दें ।
और कोई हमारे लायक सेवा हो तो याद करें ।
जनाब हम तो आपकी पोस्ट पर आपका नाम देख के चटका लगाते हैं, हां बाकी सबके लिये वही तरीका जो आप बता रहे हैं, और शायद निरंतर में ही आपके साथ हूं जो दोस्ती दुश्मनी में छोडा नहीं आपको,
चलते चलते आज फिर मुझे मुबारकबाद दिजिये कि कल मुझे पता चला था कि मेरा एक ब्लाग Page Rank-3 हो गया आज दूसरे ब्लाग का जिस पर केवल 5 पोस्ट हैं Rank-2 हो गया है पता लगा है,
आपको बधाई देनी होगी, आपके अलावा कोई और हिन्दू हो या मुसलमान देगा भी नहीं
ये सारे ब्लागर उस जमाने के हैं जब मास्टरजी नम्बर कम दिया करते थे। तो इन्हें भी नम्बर देने में कंजूसी होती है। द्विवेदी जी कह रहे हैं कि स्वयं ही बढ़ाते रहो, लेकिन अब ऐसा नहीं है। आप केवल एक ही बार चटका लगा सकते हैं। कोई कानूनी गली निकाल ली हो तो पता नहीं।
एक पसंद मेरा भी।
हमारा तो जी यही उसूल है कि जिस पोस्ट पर टिप्पणी की, उस पर चटका जरूर लगा देते हैं...
सबकी अपनी अपनी पसन्द होती है जी. बहुत बार मेहनत से लिखी गई पोस्ट टिप्पणी के लिए तरसती रह जाती है. पसन्द भी ऐसा ही मामला है.
आज तो चटके का ऐसा रिकार्ड बनेगा कि ब्लागिस्तान हमेशा याद रखेगा, यह ध्यान रखना इसमें 13 का भी कमाल होसकता है, आज 13 नवम्बर है, कल मुझे बधाई आपने 13 कमेंटस के बाद देने दी थी,
और हां ब्लागवाणी पर चटके गिन्ती का screen shot लेते रहिये यादगार शाट रहेगा,
चिटका दान-महादान!!
लगा दिया जी. :)
Bahut sahi baat kahi aapne..
ham bhi shamil hain Chitka Daan Mein..
बहुत सही बात -- पसन्द है तो बताने मे क्यो कंजूसी.
पर क्या करू आज तो ब्लोगवाणी का बटन ही नही दिख रहा है
टिप्पणी मे ही लिख रहा हू कि आपकी यह पोस्ट पसन्द है.
४० वा चटका मेरा
इसका मतलब क्या यह नहीं है कि चटके की बजाय टिप्पणियों को पैमाना बनाया जाय पसंद का?
41 चटकों का मैंने स्क्रीनशाट ले लिया, एक दो कोई चटके लगादे तो रिकार्ड के साथ लेलूं, पता नहीं अवधिया जी कहीं खुशी के मारे अवध ना चले गये हों, इस लिये कल शायद हमें पोस्ट बनानी पडे ''जिसने दिया उसका भी भला जिसने ना दिया उसक भी भला''
अवधिया जी इतिहास लिखा जाने में एक चटके की प्रतीक्षा, मेरी जानकारी में नारियों ने अपनी पोस्ट 41 चटके की थी अब कोई एक दो चटके मारदे तो नरों का सर, सर पर रहे
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