करी शब्द तमिल के कैकारी, जिसका अर्थ होता है विभिन्न मसालों के साथ पकाई गई सब्जी, शब्द से बना है। ब्रिटिश शासनकाल में कैकारी अंग्रेजों को इतना पसंद आया कि उन्होंने उसे काट-छाँट कर छोटा कर दिया और करी बना दिया। आज तो यूरोपियन देशों में करी इंडियन डिशेस का पर्याय बन गया है।
भारतीय ग्रेव्ही, जिसे कि अक्सर करी और तरी भी कहा जाता है, का अपना अलग ही इतिहास है। जी हाँ, आपको जानकर आश्चर्य होगा कि भारतीय करी का इतिहास 5000 वर्ष पुराना है। प्राचीन काल में, जब भारत आने के लिये केवल खैबर-दर्रा ही एकमात्र मार्ग था क्योंकि उन दिनों समुद्री मार्ग की खोज भी नहीं हुई थी। उन दिनों में भी यहाँ आने वाले विदेशी व्यापारियों को भारतीय भोजन इतना अधिक पसंद था कि वे इसे पकाने की विधि सीख कर जाया करते थे और विश्वप्रसिद्ध भारत के मोतियों, ढाका के मलमल आदि के साथ ही साथ विश्वप्रसिद्ध गरम मसाला खरीद कर अपने साथ ले जाना कभी भी नहीं भूलते थे।
मोतियों, मलमल, मसाले आदि के व्यापार ने भारत को एक ऐसा गड्ढा बना कर रख दिया था जिसमें संसार भर का धन आ आ कर जमा होते जाता था पर उसके उस गड्ढे से निकल जाने का कोई रास्ता नहीं था। पर बाद में मुगल आक्रान्ताओं ने इस देश को ऐसा लूटा और अंग्रेज रूपी जोक ने इस देश का खून ऐसा चूसा कि धन सम्पत्ति का वह गड्ढा पूरी तरह से खाली हो गया।
अस्तु, करी की बात चली है तो थोड़ी सी बात भारतीय भोजन की भी कर लें!
भारतीय खाना....
याने कि स्वाद और सुगंध का मधुर संगम!
पूरन पूरी हो या दाल बाटी, तंदूरी रोटी हो या शाही पुलाव, पंजाबी खाना हो या मारवाड़ी खाना, जिक्र चाहे जिस किसी का भी हो रहा हो, केवल नाम सुनने से ही भूख जाग उठती है।
भारतीय भोजन की अपनी एक विशिष्टता है और इसी कारण से आज संसार के सभी बड़े देशों में भारतीय भोजनालय पाये जाते हैं जो कि अत्यंत लोकप्रिय हैं। विदेशों में प्रायः सप्ताहांत के अवकाशों में भोजन के लिये भारतीय भोजनालयों में ही जाना अधिक पसंद करते हैं।
स्वादिष्ट खाना बनाना कोई हँसी खेल नहीं है। इसीलिये भारतीय संस्कृति में इसे पाक कला कहा गया है अर्थात् खाना बनाना एक कला है। और फिर भारतीय भोजन तो विभिन्न प्रकार की पाक कलाओं का संगम ही है! इसमें पंजाबी खाना, मारवाड़ी खाना, दक्षिण भारतीय खाना, शाकाहारी खाना, मांसाहारी खाना आदि सभी सम्मिलित हैं।
भारतीय भोजन की सबसे बड़ी विशेषता तो यह है कि यदि पुलाव, बिरयानी, मटर पुलाव, वेजीटेरियन पुलाव, दाल, दाल फ्राई, दाल मखणी, चपाती, रोटी, तंदूरी रोटी, पराठा, पूरी, हलुआ, सब्जी, हरी सब्जी, साग, सरसों का साग, तंदूरी चिकन न भी मिले तो भी आपको आम का अचार या नीबू का अचार या फिर टमाटर की चटनी से भी भरपूर स्वाद प्राप्त होता है।
चलते-चलते
यजमान प्रेमपूर्वक खिला रहा था पण्डित जी को और पण्डित जी सन्तुष्टिपूर्वक खा रहे थे। देसी घी से बने मोतीचूर के लड्डुओं ने पण्डित जी के मन को इतना मोहा कि वे लड्डू ही लड्डू खाने लगे। इतना अधिक खा लिया कि अब उनसे उठते भी नहीं बन रहा था।
उनकी इस हालत से चिन्तित यजमान ने कहा, "कोई चूरन वगैरह लाऊँ क्या पण्डित जी?"
पण्डित जी बोले, "यजमान, यदि पेट में चूरन खाने के लिये जगह बची होती तो एक लड्डू और न खा लिया होता!"
12 comments:
आज ही गोभी आलू कि करी बनवाई है.... आपकी कि इस पोस्ट ने सुबह सुबह ही भूख बढ़ा दी है....
बहुत खूब, अवधिया साहब, चित्र में थाली देख मुझे गुजरात की याद आ जाती है, जब भी वहां जाता हूँ गुजराती थाली ही खाता हूँ !
बहुत खूब अवधिया जी, आपने आज 11 बजे ही भूक लगादी, अब सोचना पड रहा है लंच कहाँ किया जाए कहाँ ....करी बढिया मिलती हो वह भी हमारे वाली,
जाने वालों को सुधार नहीं सकते पुराने बिगडे हुए हैं आने वालों को याददहानी के लिए चटका न.1
बहुत खूब प्रस्तुति.
और अंत में - ऐसे पण्डित जी Waah Waah!
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टिप्पणी कीजिये खूब कोई शरारत ना कीजिये - ग़ज़ल
कुछ भी पोस्ट करो बस खाने के बारे में न करो, मूँह में पानी भर आता है भई और काम में मन नहीं लगता :)
यह कैकारी वाली बात पता नहीं थी। जानकारी के लिए धन्यवाद।
घुघूती बासूती
करी का नाम सुनकर ही मेरे मुंह में पानी आ जाता है। जानकारी के लिए शुक्रिया।
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शानदार रही लखनऊ की ब्लॉगर्स मीट
नारी मुक्ति, अंध विश्वास, धर्म और विज्ञान।
बहुत ही स्वादिष्ट पोस्ट !!!!!!!
badi swaadisht jaankaari di prabhu !
dhnyavaad.........
bhartiy kari ka koi jawab nahin..vaakai !
करी उर्फ़ कैकारी उर्फ़ तरी उर्फ़ झोल उर्फ़ रसा !!! भाई खूब स्वादिस्ट वाले बनाना जानता हूँ इसमें मेरी खूब महारथ है !
काश ब्लॉग जगत वाले साथियो को कभी गरम गरम पका कर अपने हाथो खिलने का मौक़ा मिले !
करी उर्फ़ कैकारी उर्फ़ तरी उर्फ़ झोल उर्फ़ रसा !!! भाई खूब स्वादिस्ट वाले बनाना जानता हूँ इसमें मेरी खूब महारथ है !
काश ब्लॉग जगत वाले साथियो को कभी गरम गरम पका कर अपने हाथो खिलने का मौक़ा मिले !
चित्रों सहित ऎसी कमाल की पोस्ट लिखी आपने कि सचमुच पढ कर आनन्द आ गया.....पढते पढते भूख भी जाग उठी ।
वैसे एक बात कहें कि हम तो चूरन के लिए हमेशा पेट में जगह बचाकर रखते हैं:)
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