Monday, December 21, 2009

हिन्दी ब्लोगर्स का दरवाजा खटखटाने वाली है लक्ष्मी जी

वो दिन अब दूर नहीं है जब लक्ष्मी माता हिन्दी ब्लोगर्स का दरवाजा खटखटाते नजर आयेंगी। गूगल का पहले 'हैबातों में दम?' प्रतियोगिता आयोजित करना और बाद में "हिन्दी बुलेटिन बोर्ड" बनाना इस बात का संकेत है कि गूगल अब हिन्दी को नेट में तेजी के साथ बढ़ाना चाहता है। यद्यपि हिन्दी को नेट में आगे लाने के पीछे गूगल की मंशा भारत में अपने व्यवसाय को फैलाना है किन्तु इस बात में भी दो मत नहीं हो सकता कि गूगल के इस कार्य से हिन्दी का बहुत भला होने वाला है।

वास्तव में देखा जाये तो नेट में आगे बढ़ने के लिये हिन्दी को बहुत अधिक संघर्ष करना पड़ रहा है। और इसके लिये एक नहीं अनेक कारण हैं जिनमें से कुछ मुख्य कारण ये हैं

सबसे बड़ा कारण है लिखने के मामले में हिन्दी का कुछ जटिल होना। एक ही शब्द को एक से अधिक प्रकार से लिखा जाता है जैसे कि कोई "विंध्याचल" लिखता है तो कोई उसी को "विन्ध्याचल" लिखता है।

हिन्दी शब्द सूची (वोकाबुलारी) का विशाल डेटाबेस न होना। हिन्दी शब्दों का डेटाबेस जितना अधिक बढ़ेगा उतने अधिक समानार्थी शब्दों का नेट में प्रयोग होने लगेगा। उदाहरण के लिये कोशिश, प्रयास, प्रयत्न, चेष्टा आदि समानार्थी शब्द हैं। इंटरनेट में भाषाओं के लिये जो सॉफ्टवेयर बनते हैं वे बहुत ही जटिल होते हैं। ये सॉफ्टवेयर न केवल हमारे लेखों को पढ़ते हैं बल्कि उसे समझने और दूसरी भाषाओं मे अनुवाद करने का भी कार्य करते हैं। सही डेटाबेस उपलब्ध नहीं होने के कारण ये सॉफ्टवेयर सही काम नहीं कर पाते। यही कारण है कि गूगल ट्रांसलेट के द्वारा किया गया अनुवाद गलत और यहाँ तक कि हास्यास्पद भी हो जाता है। यदि हम He is a kind man. वाक्य का गूगल ट्रांसलेट से अनुवाद करें तो वह "वह एक तरह का आदमी है." बताता है। इसका स्पष्ट कारण है कि उसके डेटाबेस में अंग्रेजी के kind शब्द के लिये हिन्दी में "तरह" के साथ ही साथ "प्रकार", "दयालु", "कृपालु" आदि शब्द नहीं हैं, यदि होता तो अवश्य ही अनुवाद सही याने कि "वह एक दयालु आदमी है." होता। गूगल अपने अनुवादक में “contribute better translation” कह कर हम से इसके लिये सहायता भी माँगता है (नीचे चित्र देखें) किन्तु हम ही उसे सहयोग नहीं दे पाते।

हिन्दी शब्दों के हिज्जों में गलतियों का बहुतायत से पाया जाना जैसे कि 'कोशिश' को 'कोशीश', 'पुरी' को 'पूरी' लिखना आदि। कोशिश को कोशीश लिखने पर भी पढ़ने वाला एक बार समझ लेता है कि हिज्जे की गलती हो सकती है क्योंकि हिन्दी में कोशीश शब्द नहीं होता किन्तु पुरी को पूरी लिखने से भ्रम की स्थिति बन जाती है क्योंकि हिन्दी में ये दोनों अलग अलग शब्द हैं।

खैर ये तो हिन्दी की कुछ कठिनाइयाँ हैं। अब आते हैं "लक्ष्मी जी" वाली बात पर! लक्ष्मी जी हमारे पास तभी आयेंगी जब हमारे पास पाठकों का एक विशाल समूह होगा और पाठकों का विशाल समूह तब होगा जबः

  • हम हिन्दी में अच्छे, जानकारीपूर्ण, पाठकों को पसंद आने वाले, जहाँ तक हो सके हिज्जों की गलतियों से रहितसामग्री लिखेंगे।
  • "हिन्दी बुलेटिन बोर्ड" में अपने विचारों को रखेंगे। इसमें आप अपने ब्लोग का लिंक देक अपने ब्लोग कोलोकप्रिय भी बना सकते हैं।
तो मित्रों, अब हमें ठान लेना है कि हिन्दी को नेट में आगे बढ़ाने के लिये हम गूगल का जी जान से सहयोग करेंगे ताकि लक्ष्मी जी की हमपर जल्दी से जल्दी कृपा हो।

17 comments:

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

बहुत बढिया जानकारी अवधिया जी,आभार

Khushdeep Sehgal said...

अवधिया जी,
मैंने एक दिन पहले ही सबको ब्लॉगिंग के फीलगुड के बारे में बताया था...आपने और मुंह मीठा करने वाली जानकारियां दे दीं...बस नया साल हिंदी ब्लॉगिंग की ज़ोरदार पहचान साबित होने का है...फिर ये पीछे मुड़ कर नहीं देखेगी, ऐसा मेरा विश्वास है...

वैसे हमारी अगुआई के लिए आप, पाबला जी है हीं...हमें तो बस हुक्म दीजिए, खूंटे कैसे गाड़ने हैं...

जय हिंद...

निर्मला कपिला said...

वधिया जी बहुत अच्छी जानकारी । हम जैसे टेकनालोजी मे अनजान लोगों के लिये कुछ डितेल मे बातायें तो और भी सुविधा रहेगी। आपका मार्गदर्शन होगा तो सभी बहुत कुछ कर पायेंगे। धन्यवाद्

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

हार्दिक शुभ कामनाये, अवधिया साहब ! हां यह बात आपकी उल्लेखनीय है कि जब भी हमें समय मिले और हम गूगल के ट्रांस्लेसन वाले शब्दकोष में अपना उत्कृष्ट योगदान कर सकते है !

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

अवधिया जी, हम तो पिछले कई सालों से ऐसा सुनते आ रहे हैं। मेरा तो मानना है जब कृपा हो जाए, तभी जानो।
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इसे आप पहचान पाएंगे? कोशिश तो करिए।
सन 2070 में मानवता के नाम लिखा एक पत्र।

Unknown said...

ज़ाकिर भाई, आपका कहना सही है किन्तु ये कई साल क्यों लग रहे हैं? क्योंकि हम लोग ही हिन्दी को बढ़ाने में सहयोग नहीं कर रहे हैं। यदि हम सभी जुट जायें तो कोई भी रोक नहीं सकता हिन्दी को आगे बढ़ने में और व्यावसायिक होने में।

अजय कुमार झा said...

अवधिया जी , समय समय पर इस तरह की बहुमूल्य जानकारी देते रहा करिये ......इसका क्या लाभ कब होता है ये तो खुद लाभान्वित होने वाले भी समझ नहीं पाते ..हां हम जैसै लोगों का मार्गदर्शन जरूर हो जाता है ....आज की पोस्ट को बुकमार्क कर लिया है

अन्तर सोहिल said...

नमस्कार जी
बहुत बढिया जानकारी दी है आपने,
Contribute a better translation पर तो कभी ध्यान ही नही दिया था। इसमें तो मेरे जैसे कम पढे लोग भी कुछ सहयोग कर सकते हैं।
और म,न,ण,ञ,ङ आदि अक्षरों का आधा लिखने के लिये अनुस्वर ं (बिन्दु)का भी प्रयोग होता है।
जैसे गंगा और गङ्गा का एक ही उच्चारण होता है।
है बातों में दम प्रतियोगिता में मेरी पोस्ट स्वीकृत हो गई है? यह मुझे कैसे पता लगेगा।
आशा है आपसे आगे भी इसी तरह मार्गदर्शन मिलता रहेगा।

प्रणाम स्वीकार करें

Unknown said...

अन्तर सोहिल

"है बातों में दम प्रतियोगिता में मेरी पोस्ट स्वीकृत हो गई है? यह मुझे कैसे पता लगेगा।"

गूगल से स्वीकृति का मेल मिलेगा आपको!

Anonymous said...

बढ़िया! आपके लिए 4+1 D :=-)

कुछ ऐसी ही विचार रखते हुए यह पोस्ट लिखी गई थी ब्लॉगरों को साफ सुथरी हिंदी लिखने की ज़रूरत क्यों है?

बी एस पाबला

रंजू भाटिया said...

इन्तजार है जी कब बरसेगा धन यहाँ से :)इस जानकरी के लिए शुक्रिया

डॉ महेश सिन्हा said...

सही कहा आपने

विवेक रस्तोगी said...

अवधिया जी बहुत अच्छी जानकारी दी है, वैसे जब भी मैं ट्रांसलेशन करता हूँ गूगल पर जरुर अपडेट कर देता हूँ कि सबको सहायता हो।

राज भाटिय़ा said...

जी.के. अवधिया, आप को अगर एड चाहिये तो जिस समय चाहो मिल जायेगी, कई बार बच्चे बहुत अच्छी बात बताते है, मेरे लडके ने यह कर के दिखया, लेकिन मै इन चक्क्रो मै पढना नही चाहता, अगर आप को ऎड चाहिये तो सब से पहले अपने ब्लांग को अग्रेजी मै बनाये बस देखे आप कॊ कितनी ऎड मिलती है जब ऎड मिल जाये तो उस अग्रेजी को कुडे के डिब्बे मै फ़ेंक दे, ओर मजे से हिन्दी मै ब्लांग लिखे... राम राम

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

हम तो जब भी नैट स्टार्ट करते है तो ये स्तुति जरूर कर लेते हैं...
"लक्ष्मी माई, ब्लाग दुहाई
आओ चेतो, करो भलाई"
अब देखते है माता किस दिन सुनती है :)

विनोद कुमार पांडेय said...

ज़रूर सहयोग करेंगे..बढ़िया जानकारी..आभार

shikha varshney said...

maatwpurn jaankari...us din ka intzaar rahega.:)