धान की बालियों के साथ छत्तीसगढ़ की संस्कृति और परम्पराओं की झलक दिखाता हुआ मेरे ब्लोग का यह नया हेडर ललित शर्मा जी का कमाल है। ललित जी का कोटिशः धन्यवाद कि मेरे एक बार अनुरोध करने पर उन्होंने मुझे इतना अच्छा और सुन्दर हेडर बनाकर दे दिया।
मैं सोचा करता था कि काश मेरे ब्लोग के लिये भी एक धाँसू हेडर होता! किन्तु ग्राफिक्स में जीरो होने के कारण मैं कोई हेडर बना नहीं सकता था इसलिये मन मसोस कर रह जाता था। किन्तु कुछ ही दिनों पहले ललित जी से मेरी निकटता हो गई तो मेरा यह सपना उनके सौजन्य से साकार हो गया।
रायपुर में रहने के बावजूद भी बहुत दिनों तक मेरा सम्पर्क छत्तीसगढ़ के ब्लोगर बन्धुओं से नहीं हुआ था क्योंकि मैं थोड़ा रिजर्व टाइप का आदमी हूँ। जानता तो छत्तीसगढ़ के सभी ब्लोगर्स को था और उनसे सम्पर्क करने की इच्छा भी थी पर अपने आलसीपन के कारण उन लोगों से न तो कभी मिल पाया और न ही कभी उनसे फोन या मोबाइल से ही सम्पर्क कर पाया। फिर एक रोज मैंने "अमीर धरती गरीब लोग" वाले 'अनिल पुसदकर' जी को अपना मोबाइल नंबर मेल कर दिया। उन्होंने मुझे रिंग किया तो मैं सुखद आश्चर्य से अभिभूत हो गया। यह पहला सम्पर्क था मेरा छत्तीसगढ़ के किसी ब्लोगर से। बाद में अनिल जी व्यक्तिगत रूप से मुझसे मिलने भी आये। अनिल जी मस्त मौला इंसान हैं, फिकिर नॉट वाले। किन्तु किसी के भी सुख-दुख में साथ देने के लिये वे सबसे आगे रहते हैं। दोस्तो की समस्या कैसी भी हो वे हल निकाल ही लेते हैं। अनिल जी के लेखन के विषय में तो आप सभी जानते ही हैं कि उनके पोस्ट कितने अधिक प्रभावशाली रहते हैं! बहुत ही अच्छा लगा मुझे उनसे मिल कर।
फिर एक दिन मेरे पास ललित जी का मेल आया जिसमें उन्होंने मुझे अपना मोबाइल नंबर दिया था। जी हाँ, मैं "ललितडाटकॉम" वाले ललित शर्मा जी की बात कर रहा हूँ। ऐसा तो हो ही नहीं सकता कि आप उन्हें जानते न हों, बहुत ही कम समय में उन्होंने हिन्दी ब्लोग जगत में अपना एक महत्वपूर्ण स्थान बना लिया है। मैंने फौरन मोबाइल द्वारा उनसे सम्पर्क किया। हम दोनों को ही बड़ी खुशी हुई आपस में बातें करके। दो-तीन दिनों बाद ही उन्होंने अभनपुर से रायपुर आकर मुझसे मुलाकात की। मात्र बीस मिनट के उस मुलाकात में हम दोनों के बीच अन्तरंग सम्बन्ध बन गया। कुछ दिनों के बाद हमारी फिर मुलाकात हुई जो कि लगभग तीन घंटे से भी अधिक देर तक की रही। उस रोज मुझे ललित जी की बहुमुखी प्रतिभा के विषय में जानने का अवसर मिला। लेखन और पत्रकारिता के अलावा समाजसेवा से भी जुड़े हए हैं वे। ग्राफिक्स में तो कमाल हासिल है उन्हें। बस अपने लिये एक हेडर बनाने के लिये कह दिया जिसका परिणाम आप मेरे इस ब्लोग के हेडर के रूप में देख रहे हैं।
इस बीच एक रोज मैं फिर खुशी से झूम उठा जब मेरे मोबाइल में एक कॉल आई और मैंने सुना कि "अवधिया जी हैं क्या, मैं बी.एस. पाबला बोल रहा हूँ भिलाई से।" पाबला जी से अब तक बातें ही हुई हैं किन्तु जल्दी ही व्यक्तिगत मुलाकात भी हो जायेगी। और कल फिर मैं सुखद आश्चर्य से भर उठा जब कि "आरंभ" वाले 'संजीव तिवारी' जी एकाएक मेरे पास आ पहुँचे। लगभग दो घंटे तक बातें चलती रहीं हमारे बीच। बहुत ही सीधा और सरल व्यक्तित्व है तिवारी जी का।
अब तो मुझे विश्वास हो गया है कि निकट भविष्य में ही छत्तीसगढ़ कें सभी ब्लोगर बन्धुओं से व्यक्तिगत मुलाकात अवश्य ही होगी।
चलते-चलते
ग्राफिक्स में जीरो हैं तो क्या, किसी दूसरे का कोई अच्छा ग्राफिक्स दिखा तो सकते हैं आप लोगों कोः
23 comments:
हरा केला?
छत्तीसगढ़ के सभी ब्लागर स्नेही हैं (आप सहित)… संजीत, पुसदकर जी, पाबला जी टेलिफ़ोनिक चर्चा तथा संजीव तिवारी से चैटिंग हो चुकी है… सभी के लिये मेरी समस्त शुभकामनाएं… हेडर भी जानदार बन पड़ा है… ग्राफ़िक्स के मामले में तो हम भी जीरो हैं…
अवधिया जी सबसे पहले तो नए हैडर के लिए मुबारकबाद ..वाकई शर्मा जी ने कमाल कर दिया है और रही बात मुलाकातों के सिलसिले की तो हमारी शुभकामना आपके साथ है इश्वर करे ये मेला यूं ही लगा रहे सजा रहे
जय हो अवधिया जी, हम का कही?
करे करावे आप है पल्टु-पल्टु शोर
सु्रेश जी-आप भी मेरे से चर्चा कर सकते हैं, मुझे क्यों छोड़ रहे हैं। मेरा नम्बर पावला जी या अनिल भाई से ले सकते है। स्वागत है।
बहुत खूब, यथा नाम तथा तस्वीर वाला हेडर बन गया, साथ ही मैं सोच रहा हूँ कि अगर मैं अपने अंधड़ के लिए ग्राफिक्स बनाने बैठा तो क्या तस्वीर बनेगी ? :)
हेडर बहुत खूबसूरत है..... संजीव तिवारी जी से मिल कर बहुत अच्छा लगा.....
bahut badhiya hai header..
aasha hai jald hi bat-mulakat hogi..
सचमुच बहुत सुन्दर हेडर बना है। काफी देर तक देखता रहा। बिल्कुल नाम के अनुरूप है।
गोदियाल जी की चिंता जायज है, आशा है ललित जी उनकी भी सुनेंगें।
आपको केले के लिये धन्यवाद नही दूंगा, केला कडवा है;)
प्रणाम स्वीकार करें
प्रभावी हेडर है। वही मैं सोच रहा था कि आपने कैसे इतना प्यारा हेडर बना डाला।
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मानवता के नाम सलीम खान का पत्र।
इतनी आसान पहेली है, इसे तो आप बूझ ही लेंगे।
एक हेडर के लिए हम भी काफी दिनों से कोशिश कर रहे थे, लेकिन इतना ज्ञान न होने की वज़ह से खाली पड़ा है।
बहुत सुन्दर बन पड़ा है, अवधिया जी।
हेंडर बहुत सुंदर है, यह काम मेरे बेटे कर देते है मेरे लिये, अब मुझे भी थोडा थोडा आ गया, ओर यह केला तो लाजवाव है जी छिला तो बीच मै से गुरकन( विदेशी खीरा) निकल आया, चलिये इसे खाईये बहुत स्वाद है, लेकिन खीरे से अलग
आखिर हेडर बनाने वाले कौन हैं. बड़े हेड वाले.
एक ऐसा कंप्यूटर जो हर तरह का हुनर जानता है.
भाईजी अभी कुछ ही दिनों पहले दूर-दर्शन में किसी
चैनल में आलू व टमाटर एक ही पेड़ में फला हुआ दिखा
रहा था
और इसे कुदरत का करिश्मा बता रहा था
तो भैया ललित भी कम थोड़े ही हैं
दिखा दिया केले में खीरा
अरे ये तो ब्लॉग जगत के हीरा हैं हीरा
आखिर हेडर बनाने वाले कौन हैं. बड़े हेड वाले.
एक ऐसा कंप्यूटर जो हर तरह का हुनर जानता है.
भाईजी अभी कुछ ही दिनों पहले दूर-दर्शन में किसी
चैनल में आलू व टमाटर एक ही पेड़ में फला हुआ दिखा
रहा था
और इसे कुदरत का करिश्मा बता रहा था
तो भैया ललित भी कम थोड़े ही हैं
दिखा दिया केले में खीरा
अरे ये तो ब्लॉग जगत के हीरा हैं हीरा
हेडर सुंदर है, लेकिन हेडर के कुछ अक्षर दब गए हैंष वे चमकने चाहिए। छत्तीसगढ़ में सभी बहुत स्नेही हैं। इस वातावरण को बने रहना चाहिए। बावजूद सैद्धांतिक और अन्य मतभेदों के। इस से ही नए रास्ते निकलते हैं जिन की समाज और देश को बहुत जरूरत है।
अब आपका ब्लोग वास्तविक रुप ''धान के देश मे''
लग रहा है और मनभावन भी, बधाई हो।
हेडर तो शानदार है...
ललित तो छुपे रूस्तम निकले :-)
अभी फोन करता हूँ अपने ब्लॉग के हैडर के लिए
बी एस पाबला
भई ललित जी तो मास्टर आदमी हैं...
वैसे हैडर सचमुच बहुत सुन्दर बनाया है इन्होने...ब्लाग शीर्षक से एकदम मैच करता हुआ ।
ये ललित तो जादूगर है।एक सज्ज्न को मैने बस्तर की तस्वीरें दी थी अपने ब्लाग पर लगाने पर पता नही वो कंहा है।खैर मुझे ललित के बारे मे पता नही था अब उसको तंग करना पड़ेगा और आपको भी।बहुत दिनो से आपसे भेंट नही हुई है।
सुन्दर हेडर है जी, हमने पिछले पोस्ट में ही कहा था, ललित भाई ग्राफिक्स के मास्टर हैं.
आपके 'धान के देश में' को सचित्र कर दिया है ललित शर्मा जी ने .. वैज्ञानिकों ने आपके ग्राफिक्स को देख लिया तो कल हरे केले भी बाजार में दिखाई देने लगेंगे!!
अवधिया जी,
छत्तीसगढ़ की छटा ही निराली है...
केले की भी अपनी महिमा है...
जय हिंद...
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