Wednesday, December 23, 2009

अंतरजाल (Internet) या इन्द्रजाल (Conjuration)?

टिम बर्नर ली ने अगस्त, 1991 में वर्ल्ड वाइड वेब अर्थात् इंटरनेट का आविष्कार करते समय स्वयं भी नहीं सोचा रहा होगा कि उनका यह आविष्कार आगामी कुछ ही वर्षों में समस्त विश्व में अपना जादू जगा देगा। यद्यपि इंटरनेट की खोज साठ के दशक में ही हो चुका था किन्तु उसका प्रयोग मात्र सैन्य सूचनाओं के आदान प्रदान के लिये ही किया जा रहा था। इंटरनेट का व्यावसायिक प्रयोग 1991 में वर्ल्ड वाइड वेब के आविष्कार हो जाने के बाद ही सम्भव हो पाया।

आपको किसी भी प्रकार की जानकारी की जरूरत हो, बस इंटरनेट को खंगालिये और आपको आपकी वांछित जानकारी अवश्य ही मिल जायेगी। यदि आपके पास इंटरनेट से जुड़ा एक कम्प्यूटर है तो समझ लीजिये कि सारा संसार आपके पहुँच में है। चाहे आपको कहीं संदेश भेजना हो (ईमेल), चाहे अपना कुछ खाली समय बिताने के लिये गपशप करना हो (चैटिंग), चाहे शापिंग करनी हो या अपना कुछ सामान बेचना हो, बात की बात में इंटरनेट आपकी चाहत को पूरा कर देगा। आज आप कोई भी काम अपने घर बैठे ही आनलाइन कर सकते हैं।

आज इंटरनेट ने पूरी दुनिया को अपने आप में समेट लिया है। रेल फ्लाइट्स और होटल्स की बुकिंग नेट से हो रहे हैं, शादियाँ नेट के द्वारा तय की जा रही हैं, मिनटों के भीतर शेयर्स का लेनदेन इंटरनेट के जरिये हो रहा है, शापिंग आनलाइन किया जा रहा है, कहने का तात्पर्य हर काम आनलाइन हो रहा है। हमारा देश भारत भी अब इस आनलाइन की दौड़ में शामिल हो चुका है और तेजी के साथ अन्य देशों को पीछे छोड़ता जा रहा है। आज देश के 75 लाख लोग अधिकांशतः आनलाइन रहते हैं। जहाँ अधिकतर लोग मात्र एक दो घंटे के लिये आनलाइन होते हैं वहीं प्रतिदिन चार पाँच घंटे तक आनलाइन रहने वाले लोगों की संख्या भी अच्छी खासी है, ऐसे लोगों की भी कमी नहीं है जो कि दिन दिन भर आनलाइन बने रहते हैं।

व्यापार का तो यह इतना सशक्त माध्यम बन गया है कि आप सप्ताह के सातों दिन, चौबीसों घंटे कुछ भी वस्तु खरीदी बिक्री कर सकते हैं। भारत की बड़ी बड़ी कंपनियाँ अब इंटरनेट के द्वारा व्यापार करना शुरू कर चुकी हैं। बैंकों, बीमा कम्पनियों, ट्रैव्हल एजेंसियों, वैवाहिक साइट्स आदि के विज्ञापन अब इंटरनेट में धड़ल्ले के साथ दिखाई पड़ने लगे हैं क्योंकि इन विज्ञापनों से विज्ञापनदाताओं के व्यापार में आशातीत वृद्धि हो रही है। किन्तु इंटरनेट मार्केटिंग से धन कैसे बनाया जाये के मामले में भारत अभी भी बहुत पीछे है और इसी कारण से अब तक छोटी कंपनियाँ तथा व्यक्तिगत रूप से व्यापार करने वाले व्यापारीगण नेट मार्केटिंग में कम ही दिखाई देते हैं किन्तु लोग धीरे धीरे अब इस गुर को भी जानने लगे हैं। वह दिन अब दूर नहीं है जब कि छोटी कम्पनियाँ और व्यक्तिगत रूप से व्यापार करने वाले व्यापारी नेट से भरपूर मुनाफा कमाते नजर आयेंगे।

(यह लेख मेरे एक अन्य ब्लोग "इंटरनेट भारत" से)

15 comments:

निर्मला कपिला said...

अवधिया जी सही बात कही है हम तो उस दिन के इन्तज़ार मे है जब हमे भी कुछ कमाने को मिलेगा। धन्यवाद्

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

आदरणीय अवधिया जी,

बहुत अच्छी लगी यह जानकारी परक पोस्ट....

सादर

महफूज़...

संगीता पुरी said...

नेट से सब तो कमा ही रहे हैं .. हमारी कमाई हो तो बात बनें !!

Ashish (Ashu) said...

बिल्कुल सही कहा आपने...

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

जय हो इन्टरनेट की , इसमें कोई दो राय नहीं कि अच्छी चीजी ढूंढोगे तो वो भी सारी उपलब्ध है, और बुरी चीजे भी( यह मैं बच्चो के परिपेक्ष में लिख रहा हूँ ) !

संजय बेंगाणी said...

जानकारी का समन्दर है....

डॉ टी एस दराल said...

बेशक।
इंटरनेट की जय।

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

सच है...
नैट की माय़ा अपरम्पार है!

डॉ महेश सिन्हा said...

कलयुगी इंद्रजाल

राज भाटिय़ा said...

बहुत सुंदर जान कारी, वेसे मैने इस इंटर नेट के जरिये बहुत कमाई की ओर खर्च भी बहुत किया, मेरे यहां एक आटेची लेदर का पडा था, जब मकान बदला तो मुझे मकान मै पडा मिला, जो सडा गला था, मेने कई बार मकान मालिक से कहा कि ओर भी बचे कुडे को फ़ेंकवा दे, लेकिन हम दोनो ही आलसी निकले मै कह कर ओर वो सुन कर भुल गया, मेने सब से पहले उस अटेची का चित्र खींचा ओर ईवे पर लगा दिया, ६५ € का बिक गया, फ़िर मेने सारा समान फ़ेंकने वाला ईवे पर लगना शुरु कर दिया, ओर मुझे ४,५ हजार € मिल गये,बच्चे कई बार अपने कपडे ईवे से लेते है, लेकिन घर आने पर प्संद नही आते, तो नजर दोडाये आप अपने घर के कबाड पर ओर बेच दे ई वे पर.... मोजा ही मोजा

अन्तर सोहिल said...

"वह दिन अब दूर नहीं है जब कि छोटी कम्पनियाँ और व्यक्तिगत रूप से व्यापार करने वाले व्यापारी नेट से भरपूर मुनाफा कमाते नजर आयेंगे।"
आपकी यह बात बिल्कुल सही है जी

सचमुच इन्टरनेट ने जिन्दगी को काफी आसान भी बना दिया है।

प्रणाम

M VERMA said...

सुन्दर आलेख.
पूरा विश्व सिमट गया है अब तो इस नेट जाल में

36solutions said...

सुन्‍दर जानकारी से परिपूर्ण पोस्‍ट के लिए धन्‍यवाद गुरूदेव.

आगामी भविष्‍य में यह सारे संचार के सूचना माध्‍यमों को अपने आप में समेट लेगी और संपूर्ण विश्‍व में इसका उपयोग होने लगेगा.

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

अवधिया जी अब तो नेट पर दुकान खोलना ही पडेगा,क्योंकि चांद पर भी बस्ती बसने वाली है। पावला जी ने प्लाट ले लिया है, उन्हे वहां का सी एन्ड एफ़ बना देंगे फ़िर बल्ले ही बल्ले।

Khushdeep Sehgal said...

अवधिया जी,
wwww यानि wise, wonderful, winning

जय हिंद...