नया साल आ गया! खुशी के साथ हम अपना ब्लॉग में गये किन्तु यह क्या? यहाँ तो हमारा हेडर ही गायब है। इस नये साल ने हमें हमारे ब्लॉग का हेडर गायब करके शायद कोई नये प्रकार का गिफ्ट दिया है। चलिये कोई बात नहीं, हम समझते हैं कि ब्लोगर में शायद कुछ परेशानी आ गई होगी जिसे गूगल वाले जल्दी ही ठीक कर लेंगे और हमारा हेडर फिर से वापस आ जायेगा।
अब नये साल से कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न
नया साल तुम क्या लाये हो?
विश्व-शान्ति है क्या तुममें?
या उर में विस्फोट छियाये हो?
ये प्रश्न मैं नहीं कर रहा बल्कि उन्तीस साल पहले 01-01-1981 के दिन मेरे पिता स्व. श्री हरिप्रसाद अवधिया ने नये साल से ये प्रश्न किये थे अपनी कविता "नया साल तुम क्या लाये हो?" में। ये प्रश्न आज भी अपनी जगह पर खड़े हैं।
प्रस्तुत है वही कविताः
नया साल तुम क्या लाये हो?
(स्व. श्री हरिप्रसाद अवधिया रचित कविता)
नया साल तुम क्या लाये हो?
विश्व-शान्ति है क्या तुममें?
या उर में विस्फोट छियाये हो?
नया साल तुम क्या लाये हो?
उल्लास नया है,
आभास नया है,
पर थोड़े दिन के ही खातिर,
फिर तो दिन और रात बनेंगे
बदमाशी में शातिर
वर्तमान में तुम भाये हो,
नया साल तुम क्या लाये हो?
असुर न देव बनेंगे,
जो जो हैं वे वही रहेंगे,
शोषण कभी न पोषण बनेगा
रक्त पियेगा बर्बर मानव
जो चलता था वही चलेगा।
फिर क्यों जग को भरमाये हो?
नया साल तुम क्या लाये हो?
पिछला वर्ष गया है,
आया समय नया है।
क्या भीषण आघातों से
मानवता का किला ढहेगा?
बोलो, तुम क्यों सकुचाये हो?
नया साल तुम क्या लाये हो?
(रचना तिथिः 01-01-1981)
चलते-चलते
एक और प्रस्तुति:
नया साल है
(स्व. श्री हरिप्रसाद अवधिया रचित कविता)
नया साल है-
लेकिन कौन खुशहाल है?
जो पहले चलता था
वही अब भी बहाल है।
नये वर्ष में-
क्या स्वभाव बदल जायेगा?
जो बदरंग रंग जमा था अब तक,
वही रंग फिर रंग लायेगा।
दुनिया पशुता का कमाल है
नया साल है।
वर्ष आते और जाते रहते हैं,
साथ में खुशियाँ और गम लाते रहते हैं,
सच तो यह है कि-
काल का चक्र एक-सा चलता है,
वर्ष नहीं बदलते पर
भावना का संसार बदलता है
और संसार एक जंजाल है,
नया साल है।
कल्याण का संकल्प दृढ़ है तो,
अवश्य ही नया साल है,
अन्यथा न नूतन है न पुरातन है वरन्
सृष्टि में निरन्तर महाकाल है,
नया साल है।
(रचना तिथिः 01-01-1982)
19 comments:
अवधिया साहब, आपको एवं समस्त पारिवारिक जनों को मेरी तरफ से नववर्ष की मंगलमय कामनाये !
आपके और आपके परिवार के लिए भी नववर्ष मंगलमय हो !!
दोनो ही रचनाऎं बहुत कमाल की हैं...
आपको भी सपरिवार नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाऎँ!!!!!
अवधिया जी इन 29वर्षों मे भी कुछ नही बदला है
और आगे 100सालों तक भी नही बदलने वाला, खुन चुसने वाले पिस्सु नही मरने वाले।
पुज्य पिताजी की कविताएं पढवा कर कृतार्थ हो गए
आभार
हेडर सही सलामत है.
कविता पढ़वाने के लिए आभार. जो जैसा है चलता रहेगा. जश्न मनाने का कोई अवसर तलाशते है, यह भी एक बहाना है. बाकि सब ठीक है.
शुभकामनाएं.
दोनों कवितायें उम्दा......अनुपम..........
बधाई और धन्यवाद
हमें ये उपलब्ध कराने के लिए
आपको भी नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाये.
सुख आये जन के जीवन मे यत्न विधायक हो
सब के हित मे बन्धु! वर्ष यह मंगलदयक हो.
(अजीत जोगी की कविता के अंश)
Naye sal k aane par khushi hoti ha ki naya sal nayi ummeede leke aata ha..aur ye to sabhi jante ha Ummeed par duniya qayam ha....to ji naye sal se lagaye dhero umeede aur ho ske to thoda kaam kaj bhi kar le...bas fir kat jayega ek aur NAYA SAAL...
shubhkamnaye...
वेसे हेडर कभी कभी गायब हो जाता है, जो अपने आप आ जाता है, लेकिन आप इस हेडर की फ़ोटॊ समभाल कर रखे.अभी तो ठीक है
आप को ओर आप के परिवार को नववर्ष की बहुत बधाई एवं अनेक शुभकामनाए
बहुत सुन्दर रचना...
आप और आपके परिवार को नववर्ष की सादर बधाई
नव वर्ष की नई सुबह
अवधिया जी, नया साल एक नयी आशा लेकर आता है ।
आपको और आपके समस्त परिवार को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें।
सादर।
डॉ दराल
naya साल मुबारक हो ..दोनों रचनाये बहुत पसंद आई शुक्रिया
आप सब को सपरिवार नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाऎँ!!
नववर्ष की अनेको हार्दिक शुभकामनाये और बधाई ...
अरे सर , जब मैं पहुंचा नए साल की बधाई देने तो हैडर एक दम ट्नाटन हो गया है ....अब कीजिए सेलीब्रेशन
इस नए साल पर आपको, आपके परिवार एवं ब्लोग परिवार के हर सदस्य को बहुत बहुत बधाई और शभकामनाएं । इश्वर करे इस वर्ष सबके सारे सपने पूरे हों और हमारा हिंदी ब्लोग जगत नई ऊंचाईयों को छुए ॥
आपको नव वर्ष 2010 की हार्दिक शुभकामनाएं।
नये वर्ष की शुभकामनाओं सहित
आपसे अपेक्षा है कि आप हिन्दी के प्रति अपना मोह नहीं त्यागेंगे और ब्लाग संसार में नित सार्थक लेखन के प्रति सचेत रहेंगे।
अपने ब्लाग लेखन को विस्तार देने के साथ-साथ नये लोगों को भी ब्लाग लेखन के प्रति जागरूक कर हिन्दी सेवा में अपना योगदान दें।
आपका लेखन हम सभी को और सार्थकता प्रदान करे, इसी आशा के साथ
डा0 कुमारेन्द्र सिंह सेंगर
जय-जय बुन्देलखण्ड
आपको नव वर्ष 2010 की हार्दिक शुभकामनाएं।
दोनो ही रचनाऎं बहुत कमाल की हैं...
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