Saturday, January 9, 2010

नये ब्लागवाणी में बार बार लागिन करने की जरूरत नहीं है

नये साल में ब्लागवाणी ने भी अपना नया रूप पेश किया। अब नये ब्लागवाणी में यदि आपको किसी पोस्ट को पसंद करना हो तो पहले लागिन करना पड़ता है। बहुत से लोगों को परेशानी आ रही है कि उन्हें बार बार लागिन करना पड़ता है। किन्तु यह कोई बहुत बड़ी परेशानी नहीं है और इसे बहुत ही आसानी के साथ दूर किया जा सकता है। सबसे पहले ब्लागवाणी को अपने कम्प्यूटर में खोलिये और सीधे हाथ की तरफ सबसे ऊपर में "लागिन" को क्लिक करिये। क्लिक करते ही एक बॉक्स खुलता हे जिसमें आपको अपना ईमेल और पासवर्ड डालना होता है। उस बॉक्स में पासवर्ड के लिये दिये गये स्थान के नीचे लिखा होता है "मुझे याद रखना"। बस आपको इस बॉक्स को चेक कर देना है और बार बार लागिन करने की परेशानी से मुक्त हो जाना है। स्नैपशॉट देखें:

अब जब भी आप अपना कम्प्यूटर खोलेंगे, स्वयं को ब्लागवाणी में लागिन ही पायेंगे जब तक कि आप स्वयं लाग आउट नहीं होंगे तब तक आपका कम्प्यूटर आपके लागिन को याद रखेगा।

चलते-चलते

शाम का धुंधलका छा गया था और हल्की बारिश हो चुकी थी। मेकेनिकल इंजीनियर साहब की कार का पहिया पंचर हो गया। उन्होंने गाड़ी रोकी और जैक लगाकर पहिया बदला किन्तु जब पहिये को कसने के लिये नटों को देखा तो पता चला कि चारों नट ढुलक कर खो गये हैं। अब बड़े परेशान हो गये वे। माथा ठोंक लिया और उनके मुँह से निकल पड़ा, "हे भगवान! अब क्या करूँ।"

पास ही पागलखाना था जहाँ एक खिड़की पर बैठा हुआ पागल यह सब देख रहा था। उसने वहीं पर से पुकार कर कहा, "साहब! परेशान क्यों हो रहे हो? कार के बाकी तीन पहियों से एक एक नट निकाल कर चौथा पहिया कस लो। घर या गैराज तक तो पहुँच ही जाओगे।"

इंजीनियर साहब ने वैसा ही किया और खुश होकर बोले, "यार! किसने तुझे पागलखाने में भेज दिया है? भाई! तू जरा भी पागल नहीं है!!"

पागल ने गम्भीर स्वर में कहा, "नहीं साहब! पागल तो मैं हूँ, पर बेवकूफ नहीं हूँ।"

12 comments:

Anil Pusadkar said...

सही है।

निर्मला कपिला said...

वाह अवधिया जी आपने तो समस्या हल कर दी। पागल तो हम थे हा हा हा शुभकामनायें

सूर्यकान्त गुप्ता said...

डेढ़ होशियार तो हम समझ लेते हैं अपने आप को
छोटी सी बात भी नहीं बन पाती वक्त पे
याद करने लग जाते हैं बड़े बाप को
हास्य के साथ सीख लेने वाली बात बहुत अच्छा
(अब सर बहुत अच्छा = कितना)

सुरेश शर्मा . कार्टूनिस्ट said...

अच्छी जानकारी मिली, समस्या से निजात मिली, आभार !

Gyan Dutt Pandey said...

"नहीं साहब! पागल तो मैं हूँ, पर बेवकूफ नहीं हूँ।"
---------
ग्रेट! गम्भीरता से।

Unknown said...

MAIN BHI PAAGAL NAHIN HOON ..
BAS MERA DIMAAG KHARAB HAI...
HA HA HA HA

दिनेशराय द्विवेदी said...

सही है बेवकूफ मैकेनिकल इंजिनियर को समझदार पागल सलाह दे सकता है।

डॉ टी एस दराल said...

ओह !गज़ब का पागल।
जानकारी सही है।

vandana gupta said...

badhiya jankari magar pagal bhi sahi baat kah gaya..........bahut khoob.

ghughutibasuti said...

ऐसे पागलों की संख्या में वृद्धि हो!
घुघूती बासूती

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

बढिया जानकारी!!
आज पता चला कि बेवकूफी पागलपन से कहीं अधिक चिन्ताजनक है :)

Udan Tashtari said...

:) जय हो!!