Sunday, February 7, 2010

ब्लोगिंग की समस्यायें

तीन चार रोज पहले पाबला जी ने मुझे फोन करके बताया कि वे मेरे ब्लोग पर टिप्पणी नहीं कर पा रहे हैं। मैंने समझा कि शायद ब्लोगर में कोई अस्थाई समस्या होने के कारण ऐसा हुआ हो अतः उनसे अनुरोध किया कि कुछ समय बाद नये ब्राउजर में मेरा पोस्ट खोल कर टिप्पणी करने का प्रयास करें। बात आई गई हो गई। और लोगों की टिप्पणियाँ आती रहीं मेरे ब्लोग में। पाबला जी के फोन आने के एक दो दिन बाद डॉ. महेश सिन्हा जी ने मुझे मेल करके बताया कि वे भी मेरे ब्लोग में टिप्पणी नहीं दे पा रहे हैं। कुछ और भी मेरे पाठकों से भी मुझे पता चला कि उनके साथ भी यही समस्या आ रही है। यह मेरे लिये बड़ी अजीब बात थी क्योंकि कुछ लोगों की टिप्पणियाँ आ रही थीं और कुछ लोग टिप्पणी कर ही नहीं पा रहे थे। मैंने सोचा कि शायद यह समस्या टेम्पलेट के कारण है इसलिये टेम्पलेट बदल दिया।

कल फिर पाबला जी ने मुझे फोन करके बताया कि मेरे ब्लोग में वे अभी भी टिप्पणी नहीं कर पा रहे हैं। मैंने बहुत प्रकार समस्या का समाधान करने का असफल प्रयास किया और अन्ततः फिर से एक नया टेमप्लेट लाकर अपलोड कर दिया। इससे टिप्पणी वाली समस्या सुलझ गई किन्तु आज राजकुमार ग्वालानी जी ने फोन करके बताया कि मेरा ब्लोग इंटरनेट एक्सप्लोरर में नहीं खुल पा रहा है। याने कि समस्या अभी तक पूरी तरह से अभी भी नहीं सुलझ पाई है।

खैर, इस समस्या को भी सुलझायेंगे ही हम किन्तु फिलहाल इस पोस्ट को इसलिये प्रकाशित कर रहे हैं ताकि आप लोगों को भी पता चले कि कैसी कैसी समस्यायें आती रहती हैं ब्लोगिंग में।

8 comments:

दिनेशराय द्विवेदी said...

समस्याएँ आती हैं और समाधान भी निकल आते हैं।

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

ले बने होगे-येदे होवत हे टिपणी।

निर्मला कपिला said...

अच्छी जानकारी हम जैसे अनजान लोगों के लिये धन्यवाद्

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

कभी कभी एसा होता है कि बिना लाग-इन किये ही ब्लाग पोस्ट पढ़ने के बाद टिप्पणी करें तो यह समस्या आती है क्यों कि पहले से खुला ब्लाग लाग-इन को recognize नहीं करता है. अत: यदि दूसरे ब्लागों को खोलने से पहले यदि लाग-इन कर लिया जाए तो बाद में खोले जाने वाले ब्लाग प्राय: टिप्पणी के समय यह दिक़्क़त नहीं देते.

Unknown said...

sach !

yahi samasya mere saath bhi anek baar hoti hai koi kahta hai tippani nahin kar paaraha hun to0 koi kahta hai ki tumhaara mail box full hai jabki..sabko aisi taklif nahin hoti,
isi praklar paablaa ji ke blog par main roz tippani karne jata hun lekin kabhi kabhi hi kar paata hun kyonki vo box hi nahin khulta mere se

डॉ महेश सिन्हा said...

मूड पर क्या केवल इंसान का अधिकार है :)
ये कम्प्युटर, इंटरनेट, ब्रॉड बंद सब अपनी अपनी मर्जी के मालिक है

डॉ टी एस दराल said...

अवधिया जी , कल ब्लोगर मीट में इस बात पर भी विचार हुआ की ब्लोगिंग की तकनीकि समस्याओं से कैसे निपटा जाये । सुझाव यही था की एक कार्य शाला का आयोजन किया जाये , इस विषय पर।

Asha Joglekar said...

ऐसी समस्यायें तो सबी को ती होंगी पर कई बार अपने आ ही सुलझ जाती हैं । पर डॉ. दराल साहब का सुझाव, गोष्ठी का, अच्छा है ।