गर्मी के दिनों में प्रायः प्यास से कण्ठ सूखने लगता है। क्या करते हैं हम प्यास बुझाने के लिये? कोकाकोला, पेप्सी जैसे शीतल पेयों सेवन करके मुनाफाखोर बहुराष्ट्रीय कंपनियों को अपनी गाढ़ी कमाई लुटाते हैं। इनके विज्ञापनों के (कु)प्रभाव के कारण हम अपनी कमाई लुटा कर खुश भी होते हैं। हमारा इस प्रकार से ब्रेनवाशिंग कर दिया गया है कि हमें प्याऊ में उपलब्ध शीतल जल हानिप्रद लगने लगता है और न जाने कितने दिनों पहले पैक किया हुआ सड़ा पानी लाभप्रद। हम पैसे देकर पानी खरीदते हैं।
पहले के समय में भी तो आखिर गर्मी के दिन आते थे और लोग उस गर्मी और लू से मुकाबला भी किया करते थे। उन्हें पता था कि गर्मी से मुकाबला करने के लिये प्रकृति ने हमें मौसमी फलों के रूप में बहुत से उपहार दिये हैं। आइये जानें इन मौसमी फलों के बारे में।
तरबूज
प्यास बुझाने के लिये सर्वोत्तम है तरबूज का सेवन करना। तरबूज जहाँ सुस्वादु होता है वहीं इसमें पानी की इतनी अधिक मात्रा होती है कि प्यासे आदमी को यह तरोताजा कर देता है। तरबूज खाने से जहाँ प्यास बुझती है वहीं यह कैंसर के खतरे से भी मुक्त करता है। इसके सेवन से प्रोटीन और फैट भी मिलता है। गर्मी के दिनों में बाजार में तरबूज अटे पड़े होते हैं और आपको आसानी से प्राप्य है।
खरबूज
तरबूज के जैसे ही खरबूज में भी पर्याप्त मात्रा में पानी होता है और इसे खाने से प्यास बुझती है।
ककड़ी और खीरा
ककड़ी और खीरा में पानी की पर्याप्त मात्रा होती है। इनमें पोटेशियम की भी मात्रा होती है जो कि आपके शरीर में मिनरल का संतुलन बनाये रखते हैं। इनके भीतर पाया जाने वाला स्ट्रोल कोलोस्ट्रोल के स्तर को कम करता है। चूँकि स्ट्रोल खीरे के छिलके में अधिक होता है, इसलिये इसे छिलके के साथ ही खाना अधिक लाभप्रद है।
प्याज
प्याज में पाये जाने वाले तत्व शरीर को लू से लड़ने की पर्याप्त क्षमता प्रदान करते हैं। यही कारण है कि गर्मी के दिनों में प्याज के सेवन का चलन परम्परागत रूप से चला आ रहा है। पुराने समय में तो लोग गर्मी की दोपहरी में निकलते समय कम से कम एक प्याज अपने साथ ही रख लिया करते थे।
टमाटर
टमाटर को लाल रंग प्रदान करने वाला रसायन लिंकोपेन गर्मियों में सूर्य के ताप से त्वचा की रक्षा करने की क्षमता प्रदान करता है। टमाटर विटामिन से भरपूर होते हैं और साथ ही साथ इसमें फैट की भी थोड़ी बहुत मात्रा पाई जाती है। कैंसर से लड़ने की शक्ति तो इसमें होती ही है।
स्ट्राबेरी
स्ट्राबेरी में पानी की पर्याप्त मात्रा होने के साथ ही साथ विटामिन सी भी भरपूर होता है। इसमें पाया जाने वाले एंटी ऑक्सीडेंट्स सूर्य के प्रकाश से त्वचा की रक्षा करते हैं। कैंसर से रक्षा करने वाले तत्व भी इसमें विद्यमान होते हैं।
आम
गर्मी के दिनों की बात हो और आम की बात न हो तो बात ही अधूरी रह जाती है। आम ग्रीष्म ऋतु का प्रमुख फल है और इस फलों का राजा माना गया है। रसीले आमों में पाया जाने वाला पोटेशियम शरीर में मिनरल की कमी को पूरा करता है।
और अन्त में प्रस्तुत है सेनापति का ग्रीष्म ऋतु वर्णनः
वृष को तरनि तेज सहसौं किरन करि
ज्वालन के जाल बिकराल बरखत हैं।
तचति धरनि, जग जरत झरनि, सीरी
छाँह को पकरि पंथी पंछी बिरमत हैं॥
सेनापति नैकु दुपहरी के ढरत, होत
धमका विषम, जो नपात खरकत हैं।
मेरे जान पौनों सीरी ठौर कौ पकरि कोनों
घरी एक बैठी कहूँ घामैं बितवत हैं॥
12 comments:
ितना कुछ देख कर तो मुँह मे पानी आ गया। लेकिन जहाँ आजकल मै हूँ वहाँ तो बहुत ठँड है। आप खाईये। शुभकामनायें
एक और उम्दा जानकारी अवधिया जी !
भाई साहब हमारे यहाँ कोला से ज्यादा छाछ का प्रचलन है. दुपहर में छाछ का सेवन होता है. छाछ के पैकेट पान की दुकान तक में मिलते है.
संजय जी,
जानकर बहुत अच्छा लगा कि आपके यहाँ छाँछ के सेवन का प्रचलन है। छाँछ, दही, लस्सी इत्यादि जहाँ हमें स्वाद और शीतलता प्रदान करते हैं वहीं हमारे शरीर को आवश्यक तत्व भी देते हैं।
बाजारीकरण ने आज पानी खरीद के पीने को मजबुर कर दिया है, हमारे पुर्वजों ने कभी सोचा नही था कि पानी भी खरीद कर पीना पड़ेगा, वो भी पांच रुपया गिलास, हद हो गयी है।
अच्छी पोस्ट अवधिया जी,
आभार
pyaas kaise bujhe ji........
jabse paani 15 rupaye botal hua hai paani bhi litar ke hisaab se nahin , ghoont ke hisaab se peene lage hain
lekin aapne bada achha sujhaav diya hai
thank you sir !
वैसे तो आपकी पोस्ट पढकर ही इस भरी गर्मी में शीतलता का एहसास होने लगा..
आपका कहना कि खीरे के छिलके में स्ट्रोल की मात्रा अधिक होने के कारण उसे छिलके सहित ही खाना चाहिए...वैसे छिलका कभी खा कर तो नहीं देखा लेकिन मेरे ख्याल से इसका छिलके में कडवापन होता है...तो फिर कैसे खाया जाएगा!
गर्मी का मौसम आ गया है..अच्छी काम की जानकारी दी आपने.
इतने सारे फलों को देखकर तो मूंह में पानी आ गया । लेकिन इनके दाम सुनकर मूंह सूख जाता है।
आवधिया जी हम ने तरक्करी कर ली है जी.... बचपने मै हम कच्ची लस्सी ओर शिकंजबी पी कर प्यास बुझाते थे, ओर घडे का ठंडा पानी पीते थे .... लेकिन आप ने इतने सारे फ़ल गिना दिये..... बाबा बाकी तो सब यहां मिल जायेगे लेकिन आम आप को भेजने पडेगे....
ऋतु के मुताबिक पोस्ट
और सेनापति जी द्वारा ऋतु वर्णन
अनुपम.
आभार अऊ जय जोहार...
हमने तो इस काले पीले पानी का प्रयोग बरसों से बन्द कर रखा है ना पीते है और ना ही पिलाते हैं।
Post a Comment