Thursday, May 13, 2010

आज जरूरत है तो श्रेष्ठता, महत्ता आदि को भूल कर निस्वार्थ भाव से ब्लोगिंग करने की

हिन्दी ब्लोगिंग से कमाई कुछ भी नहीं होती, कमाई होना तो दूर अपने जेब के पैसे भी घुस जाते हैं। आखिर इंटरनेट कनेक्शन मुफ्त में थोड़े ही प्राप्त होता है। हिन्दी का ब्लोगर अपना बहुमूल्य समय और गाढ़ी कमाई खर्च करके ब्लोगिंग कर रहा है। आखिर क्यों? क्या उद्देश्य है ब्लोगिंग करने का?

बिना उद्देश्य के कोई कार्य नहीं होता। ब्लोगिंग करने के लिये भी अवश्य ही उद्देश्य हैं। ब्लोगिंग करने का उद्देश्य महज अपने विचारों को लोगों के समक्ष रखना ही है। ब्लोगिंग के रूप में एक बहुत अच्छा मंच मिल गया है अपने विचारों की प्रस्तुति के लिये।

स्वाभाविक है कि जब बहुत सारे लोग ब्लोगिंग करेंगे तो सभी एक बराबर तो रहेंगे नहीं, कुछ लोग आगे निकल जायेंगे और कुछ लोग पीछे रह जायेंगे। और ये आगे निकल जाना और पीछे रह जाना ही तरह-तरह के उठा-पटक पैदा करने लग जाता है; अनेक प्रकार के विवादों को जन्म देने लगता है। हम ब्लोगिंग करने के लिये आते हैं एक भला उद्देश्य लेकर किन्तु महत्ता प्राप्त करने के चक्कर में भूल जाते हैं अपने उद्देश्य को और जुट जाते हैं एक दूसरे को नीचा दिखाने में। तरह-तरह के हथकंडे अपनाने लगते हैं।

आज जरूरत है तो श्रेष्ठता, महत्ता आदि को भूल कर निस्वार्थ भाव से ब्लोगिंग करने की।

18 comments:

M VERMA said...

पूरी तरह से सहमत

Unknown said...

sahi baat........

महेन्द्र मिश्र said...

आपके विचारो से शत प्रतिशत सहमत हूँ ....आभार

अन्तर सोहिल said...

सही कहा जी आपने

प्रणाम

arvind said...

आज जरूरत है तो श्रेष्ठता, महत्ता आदि को भूल कर निस्वार्थ भाव से ब्लोगिंग करने की।शत प्रतिशत सहमत हूँ.

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

आपकी बात शत प्रतिशत सही है..अच्छी पोस्ट

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

सही कहे गुरुदेव
आपका कथन विचारनीय है।
आभार

शिवम् मिश्रा said...

आपके विचारो से शत प्रतिशत सहमत हूँ ....आभार|

राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर said...

समर्थन है आपकी बात को...........
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जय हिन्द, जय बुन्देलखण्ड

राज भाटिय़ा said...

सहमत है जी आप के लेख से,

राजकुमार सोनी said...

कोशिश तो अपन पूरी करते हैं लेकिन तटस्थ नहीं रह सकते हैं इसलिए कूद पड़ते हैं। इस आदत को थोड़ा सुधारना है।

Udan Tashtari said...

सत्य वचन!

... said...

उन गद्दारों (जमाल, असलम, सलीम अयाज, सफत , इदरीसी, जीशान) का क्या? जो जिस थाली में खाते हैं उसी में छेद करते हैं. वन्दे मातरम् कहने में जिनकी---------- फटती है

Gyan Darpan said...

पूरी तरह से सहमत

Mithilesh dubey said...

बिल्कुल सही कहा आपने ।

सूर्यकान्त गुप्ता said...

एकदम गाँठ बान्ध कर रखने लायक बात।

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

जब सब लोग सहमत हैं तो हमें भी सहमत ही समझिए...पूरी तरह से!!

honesty project democracy said...

बहुत ही सार्थक विचार ,ब्लोगिंग का मकसद सिर्फ और सिर्फ सत्य और न्याय की रक्षा व परोपकार हो तो सर्वोत्तम रहेगा /