Monday, August 2, 2010

हिन्दी ब्लोगिंग की महत्वपूर्ण बातें

  • किसी भी नये ब्लोगर को उसके पहले ही पोस्ट पर इतना स्वागत् और इतनी वाहवाही मिलती है जितनी कि उसे अपने जीवन में पहले कभी न मिली हो!
  • ब्लोगरों की हर वो रचना जो कि समस्त पत्र-पत्रिकाओं से 'खेद सहित वापस' आ गई रहती है ब्लोग में आसानी के साथ खप जाती है और उसे वाहवाही भी मिलती है।
  • ब्लोगरों को लिखने के लिये किसी विषय का मोहताज नहीं रहना पड़ता। कुछ भी लिखो, किसी भी विषय पर लिखो, कभी कविता लिखो, कभी कहानी लिखो तो कभी घिसे-पिटे समाचारों की रिपोर्टिंग कर दो अर्थात् चाहे जो कुछ भी करो सब चलता है!
  • एक ब्लोगर के लिखे को अन्य ब्लोगर अवश्य पढ़ते हैं।
  • अन्य भाषाओं विशेषकर अंग्रेजी भाषा के ब्लोग लेखकों को अपने पोस्ट की सामग्री कंटेंट के स्तर का ध्यान रखना पड़ता है क्योंकि उनके बीच "कंटेंट इज़ किंग" वाली धारणा काम करती है, उन्हें अपने पाठकों की संख्या अधिक से अधिक बढ़ाने की फिक्र रहती है जो कि स्तर की सामग्री पढ़ने के लिये ही आते हैं। हिन्दी ब्लोग लेखकों के लिये टिप्पणियों का बहुत महत्व होता है क्योंकि माना जाता है कि जिसके पोस्ट में जितनी अधिक टिप्पणियाँ वह उतना ही महान ब्लोगर।
  • यद्यपि हिन्दी ब्लोगिंग में विषयों का विशेष महत्व नहीं है किन्तु ब्लोग, ब्लोगिंग, अन्य ब्लोगर, ब्लोगर मीट आदि ऐसे विषय हैं जिन पर पोस्ट लिखकर अधिक से अधिक टिप्पणी पाई जा सकती है।
  • प्रायः ब्लोगर लोग एक दूसरे की पीठ ठोकते हैं याने कि टिप्पणियों का "इस हाथ दे उस हाथ ले" सिलसिला धड़ल्ले के साथ चलता है।
  • ब्लोगरों को उनका पोस्ट विभिन्न सर्च इंजिनों में आते हैं या नहीं, लोग पोस्ट को सर्च करके पढ़ते हैं या नहीं, गूगल पेज रैंक, अलेक्सा रैंक आदि से कुछ भी मतलब नहीं रहता। उन्हें मतलब रहता है सिर्फ हिन्दी ब्लोग संकलकों तथा उनके हॉट और सक्रियता सूचियों से।
  • हिन्दी ब्लोगिंग में अपने पोस्ट को हिट करवाने और संकलकों के हॉटलिस्ट में शामिल करने के सत्रह सौ साठ तरीके उपलब्ध हैं।
  • ब्लोगरों को 'हॉट और कोल्ड' के चक्कर में पड़ने, संकलको को गाली देने, अपना गुट बनाने, चर्चा करने, लिंकस तथा सक्रियता के चक्कर में पड़ने, फर्जीवाडा बताने, बेनामी बनाने, लड़ने-झगडते, दोस्त और दुश्मन बनाने, कोर्ट-कचहरी की धमकी देने, टंकी पर चढ़ने, दूसरों के धर्म की छीछालेदर करने तथा अपने धर्म को दूसरों के धर्म से महान बताने आदि बातों का पूर्ण अधिकार होता है।
  • यदि कोई ब्लोगर आपके पोस्ट की आलोचना करे तो उसे दूसरे गुट का बताया जा सकता है और ब्लोगरों के अलावा इंटरनेट में सर्फ करने वाले अन्य लोग यदि हिन्दी ब्लोग्स की आलोचना करें तो उन्हें मजमा लगाने वाले छिद्राण्वेषी कहा जा सकता है।
  • अपनी टिप्पणी के समर्थन में अपने समर्थकों से अन्य टिप्पणी लिखवाई जा सकती है।
  • 'बेगैरत', 'बेहुर्मत', 'स्वार्थी', 'खुदगर्ज' आदि नामों के मुखौटे लगाकर अपनी टिप्पणी को प्रभावशाली बनाने वाली टिप्पणी लिखी जा सकती है।
  • हिन्दी ब्लोगिंग में लोग आते अपनी मर्जी से हैं और फिर वहाँ से जाने का मन ही नहीं करता, बस वहीं फँसे रह जाते हैं।

15 comments:

वाणी गीत said...

रोचक जानकारी ...:)

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

एकदम वाहयात और फ़ालतु पोस्ट है
कुछ सार्थक लिखें,जिससे नए ब्लागर कुछ सीख सकें।
आपसे इस तरह की छिद्रण्वेशी पोस्ट की अपेक्षा नही थी गुरुदेव।
अब भला माने या बुरा,हमने तो कह दिया।

naresh singh said...

सौ प्रतिशत सत्य बात है | हिन्दी ब्लोगिंग आज भी पीठ खुजलाने वाली सीढी पर अटकी हुई है यानी की तूम मेरी पीठ खुजलावो मै आपकी पीठ खुजलाता हूँ |

सुज्ञ said...

अवधिया जी,
हिन्दी ब्लोगिंग अपनी प्रारंभिक अवस्था में है,कुछ ऐसी ही नादानियों के बाद निश्चित रूप से अब परिपक्वता का दौर चल रहा है,सार्थक भी लिखा जा रहा है। ऐसे समय में उत्साह की आवश्यकता है।

जरा सावधानी से सम्हाल लिजिए।

Unknown said...

आपका बताया हुआ यह 1761 वाँ तरीका फ़ेल हुआ कि पास? :) :)

राज भाटिय़ा said...

प्रिय आवधिया जी हम लोगो को सोते जागते सिर्फ़ यह मुयी अंग्रेजी भाषा ही क्यो दिखती है??? ब्लांग तो दुनिया की हर भाषा मै छपते है, लिखे जाते है...लेकिन हम कांमन बेल्थ के लोगो को सिर्फ़ अंग्रेजी भाषा ही उच्च क्यो नजर आती है, हिन्दी भी सम्मानिया भाषा है, यहां भी लोग बहुत ही अच्छा लिखने वाले है, बुराई ओर जगह भी है, आप बुरा ही ना देखे अच्छा भी देखे, अगर हम ही हिन्दी की बुराई करेगे... ओर पराई अंग्रेजी भाषा की तारीफ़ करेगे तो....अगर पराई की तारीफ़ ही करनी है तो दुनिया की अन्य भाषाये बहुत है.
धन्यवाद

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

आपकी लेखनी को सलाम...

संजय बेंगाणी said...

भाटियाजी, अंग्रेजी की बात करना या उससे तुलना करना इस लिए भी हो जाता है कि हम अंग्रेजों से भी ज्यादा अंग्रेजी जानते है और दुसरी भाषाएं आती नहीं इसलिए क्या पता क्या लिखा जा रहा है.

हिन्दी में अच्छा लिखा जा रहा है कह देने से अच्छा नहीं हो जाएगा, इसे आलोचना समझा जाय.

स्तर तो उठाना ही होगा. नहीं तो हम भी कह देते है...वाह वाह लेखनी को सलाम आपको सलाम आप कमाल है क्या कमाल लिख दिया.....

संजय बेंगाणी said...

और यह शैशव काल कितना लम्बा है? खत्म ही नहीं होता.

Dr. Zakir Ali Rajnish said...


जानकारी के लिए आभार।

मुझे चेल्सी की शादी में गिरिजेश भाई के न पहुँच पाने का दु:ख है।

hem pandey said...

कुछ बातें तो कडुवा सच हैं और कुछ कतई गलत. लेकिन अच्छा यह होगा कि हिन्दी ब्लोगिंग को स्तरीय और सार्थक कैसे बनाया जाए यह सुझाव आयें.

अजय कुमार झा said...

यही बात किसी पत्र पत्रिका के संपादक ने कही होती ...फ़िर देखते आप हम क्या कहर ढाते ....अब आपको क्या कहें ..सिवा इसके कि ...........जाईये आप बडे ...वो ,....हैं.. हा हा हा

प्रवीण पाण्डेय said...

यह सब भी होता है यहाँ?

ताऊ रामपुरिया said...

हिन्दी ब्लोगिंग में लोग आते अपनी मर्जी से हैं और फिर वहाँ से जाने का मन ही नहीं करता, बस वहीं फँसे रह जाते हैं।

ये फ़ंसना फ़ंसाना बहुत बुरी बात है जी.:)

रामराम.

Arvind Mishra said...

ब्लॉग प्रकाश !
इस पुस्तकीय सार संक्षेप के लिए अभार ! पूरी किताब प्रेस में होगी न ?