Tuesday, January 11, 2011

तब हम कितने असभ्य थे। अब हम कितने सभ्य हैं!

तब
अब
सुबह मुर्गे की बाँग सुनकर उठते थे।Nokia , LG या Samsung जैसे बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा बनाए गए मोबाइल का अलार्म सुनकर उठते हैं।
माता-पिता के चरणस्पर्श कर आशीर्वाद प्राप्त करते थे।किसी की आशीर्वाद का भला कुछ अर्थ है?
नित्यकर्म से निवृत होकर शुद्ध काली मिट्टी से हाथ धोते थे।नित्यकर्म से निवृत होकर बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा बनाए गए Dettol handwash से हाथ धोते हैं।
नीम या बबूल के दातून से दाँत साफ करते थे।बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा बनाए गए Pepsodent , colgate या close -up दाँत साफ करते हैं।
बेसन, हल्दी, चन्दन आदि से बने उबटन लगाकर स्नान करते थे।बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा बनाए गए Lux, Liril, Lifebuoy,Pears,
Dov साबुन लगाकर स्नान करते हैं।
मिश्री मिश्रित एकाध गिलास शुद्ध दूध पीते थे।red label, brooke bond, Taj mahal, Nestle जैसे बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा पैक की गई चाय या कॉफी पीते हैं साथ में बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा बनाए गए ब्रेड/बिस्किट भी खाते हैं।
देसी काँच से बने आईने में देखकर बाल सँवारते थै।बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा बनाए गए Saint Gobain के काँच से बने आईने में देखकर बाल सँवारते हैं।
नारी मक्खन, देसी घी आदि चेहरे पर लगाकर सौन्दर्य निखारती थीं।नारी बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा बनाए गए Ponds, Vaseline की कोल्ड क्रीम, बालोपे L'Oreal , Lux , Axe ki शोवर जेल, Ponds, Axe की पावडर आदि लगाकर सौन्दर्य निखारती हैं।
घर में बने पोहा, पराठे आदि का नाश्ता करते थे।विदेशी फॉस्ट फूड का नाश्ता करते हैं।
कपड़ों पर जूही, चमेली, गुलाब आदि फूलों के इत्र लगाते थे।कपड़ों पर बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा बनाए गए Rexona, Axe परफूम का स्प्रे मारा जाता है।
कोसा, रेशम, मलमल आदि के बने वस्त्र पहनते थे।बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा बनाए गए Arrow के शर्ट Blackberry की पेंट पहनते हैं।
अपने देश में बने साधारण जूते, चप्पल यहाँ तक कि खड़ाऊ भी पहनते थे।NIke, Woodland, fila, addidas, Red tape, Puma,
Reebok, Bata जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा बनाए गए किसी ब्रांड के बूट पहनते हैं।
घर में बने रोटी, चाँवल, दाल, सब्जी खाकर तथा लस्सी पीकर क्षुधा शान्त करते थे।Pizza hut या Dominoz से मँगवाए गए पिज्जा, बर्गर आदि खाकर तथा coke या pepsi पीकर क्षुधा शान्त करते हैं।
तब हम कितने असभ्य थे।अब हम कितने सभ्य हैं!

6 comments:

अन्तर सोहिल said...

समय के साथ बदलाव तो होता ही है जी
गंगा भी जाने कितनी बार अपना रास्ता बदल चुकी है

प्रणाम

P.N. Subramanian said...

असभ्य रहते हुए हम गाना गाते थे, "नया ज़माना आएगा, नया ज़माना आएगा"

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

हां-हां... बढ़िया बाते उठाई !

प्रवीण पाण्डेय said...

कितना बदल गया इन्सान।

Rahul Singh said...

व्‍यवहार तो बदलता रहता है, स्‍वभाव का बना रहना जरूरी है.

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

यह तो है..