बात दीवाली के दिन की ही है। सन् 1973 में 10 अक्टूबर को मैंने नरसिंहपुर में भारतीय स्टेट बैंक की नौकरी ज्वायन की थी। उसके पहले मैं कभी भी रायपुर से बाहर कहीं गया नहीं था। अकेलापन खाने को दौड़ता था। सही तारीख तो याद नहीं पर 25 या 26 अक्टूबर को दिवाली थी, इसीलिए 22 तारीख को ही वेतन भी मिल गई थी। उन दिनों स्टेट बैंक के बॉम्बे (वर्तमान मुंबइ) तथा भोपाल सर्किल में दिवाली के समय स्टाफ वेलफेयर की तरफ से पूरे स्टाफ को दिवाली की मिठाई तथा सूखे मेवे आदि दिए जाने का रिवाज था। तो दिवाली की छुट्टी थी, जेब में रुपये थे, मिठाई और सूखे मेवे का पैकेट सामने रखा था पर मैं उदासी में डूबा हुआ था।
और आज?
आज भी दिवाली है, घर है, परिवार है, परिजन हैं फिर भी उदासी है। आज अपनी व्हैल्यु जो नहीं है।
किन्तु 1973 की उदासी और आज की उदासी में फर्क है। उस समय मैं उदास था और अपनी उदासी को छुपा भी नहीं रहा था पर आज भले ही मैं उदासी अनुभव करूं लोगों को प्रसन्न ही नजर आउँगा।
दीपोत्सव का यह पावन पर्व आपके जीवन को धन-धान्य-सुख-समृद्धि से परिपूर्ण करे!!!---------------------------------------------------------------------------------
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ब्राह्मणत्व की प्राप्ति के पूर्व ऋषि विश्वामित्र बड़े पराक्रमी और प्रजावत्सल नरेश थे। प्रजापति के पुत्र कुश, कुश के पुत्र कुशनाभ और कुशनाभ के पुत्र राजा गाधि थे। ये सभी शूरवीर, पराक्रमी और धर्मपरायण थे। विश्वामित्र जी उन्हीं गाधि के पुत्र हैं।
11 comments:
आपने जो दीपावली के मौके पर मुझे दुआये दी हैं कि 'दीपोत्सव का यह पावन पर्व आपके जीवन को धन-धान्य-सुख-समृद्धि से परिपूर्ण करे!!!' इससे बेहद खुशी हुई है, मुझे लगता है हमने एकदूसरे को दूसरों से बेहतर समझा है, आपके लिये दिपावली तोहफा है हो गर कबूल तो हाजिरी लगाओ पालो 'धान के देश में'.. वह आपका है, धान के देश को आपकी अभी बहुत आवश्यकता है,
मैंने मजाक में भी अवधिया का सम्मान बनाये रखने की कोशिश की थी, आपने समझदारों के लिये मिसाल छोडी है कि अपनी लाइन बडी करने के लिये दूसरों की छोटी ना करो, मेरा इशारा आपके दूसरे ब्लाग की तरफ है खुली सांकल फिर भी सलामत, और क्या कहूं सोचा था दीपावली पर उनको मुबारकाद दूंगा जिन्होंने मुझे ईद पर याद किया था, परन्तु आपका अपने ब्लाग पर कमेंटस देखकर मजबूर हो गया कि कुछ लिखा जाये,
अवधिया जी इस उदासी को छुपाना ही पड़ता है,
वो उदासी छिपती नही है, कंही ना कहीं आदमी को अभिनेता बनना ही पड़ता है। ये दुनिया रंग मंच जो है।
दिवाली की शुभकामनाएँ
अब उदासी को दूर भगाएँ
चलो सब मिल कर दिवाली मनाएँ।
जी.के. अवधिया जी, अब क्या करे, यह तो दुनिया की रीत है, फ़िर कुछ बाते ऎसी है कि हमे खुश रहने का भी दिखावा करना पडता है, आप का लेख पढ कर मै भी डर सा गया.कुछ आंसू आ गये आंखॊ मै.
आप को ओर आप के परिवार को दीपावली की शुभकामनाऐं"
सुख, समृद्धि और शान्ति का आगमन हो
जीवन प्रकाश से आलोकित हो !
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दीपावली की हार्दिक शुभकामनाए
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ताऊ किसी दूसरे पर तोहमत नही लगाता-
रामपुरियाजी
हमारे सहवर्ती हिन्दी ब्लोग पर
मुम्बई-टाईगर
ताऊ की भुमिका का बेखुबी से निर्वाह कर रहे श्री पी.सी.रामपुरिया जी (मुदगल)
जो किसी परिचय के मोहताज नही हैं,
ने हमको एक छोटी सी बातचीत का समय दिया।
दिपावली के शुभ अवसर पर आपको भी ताऊ से रुबरू करवाते हैं।
पढना ना भूले। आज सुबह 4 बजे.
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दीपावली की हार्दिक शुभकामनाए
हेपी दिवाली मना रहा हू ताऊ के संग
मुम्बई-टाईगर
द फोटू गैलेरी
महाप्रेम
माई ब्लोग
SELECTION & COLLECTION
दीपावली मन्गलमय हो जी।
आपको और आपके परिवार को दीपोत्सव की
हार्दिक बधाइयां
अलग अलग आलम मगर बात वही!! :)
सुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
दीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!
सादर
-समीर लाल 'समीर'
यह भी जीवन की एक सच्चाई है।
बी एस पाबला
अवधिया जी, उदास हों आपके दुश्मन...आपका ब्लॉगिंग का परिवार इतना फल-फूल रहा है, आपको तो हर दम खुश रहना चाहिए...बाहर से भी, अंदर से भ...और ज्यादा बात है तो क्या अपने मक्खन और गोपू को भेजूं आपके पास एक-दो दिन के लिए...
जय हिंद...
हाँ जीवन मैं ऐसे पल भी आते हैं ....
बड़ा कठिन होता है एक मुखोटा ओड़ कर मुस्कुराना .. ऐसे नौबत ना आये .. आपकी दिवाली मंगल्मती प्रसंता से भरी हो..
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