तो लल्लू लाटा मर गया। मरना तो खैर प्रत्येक प्राणी की नियति है और जन्म के साथ ही मरने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। एक दिन आखिर सभी को मरना ही पड़ता है। अस्तु, तो लल्लू लाटा मर गया। संभ्रांत होने के कारण उसकी मृत्यु के पश्चात् मुहल्ले में एक शोक सभा आयोजित करने की योजना भी बन गई। मुहल्ला समिति के प्रमुख को एक छोटा सा भाषण भी देना था।
समिति प्रमुख के सामने बड़ी समस्या खड़ी हो गई, आखिर बोले तो क्या बोले। कोई भी अच्छा कार्य, जिसे कि लल्लू लाटा ने किया हो, उसे याद ही नहीं आ रहा था। और फिर किसी दिवंगत की बुराई भी तो नहीं की जा सकती। भई, अब किसी के मरने के बाद उसकी बुराई कैसे करें?
अंततः समिति प्रमुख ने सभा में कहा, "ये माना कि लल्लू लाटा एक नंबर का कमीना था। पूरा हरामी था। कई बार डाके डाले थे उसने और कितनों की हत्याएँ भी की थी। मुहल्ले की बहू बेटियों पर हमेशा बुरी नजर रखा करता था। मुहल्ले का ऐसा कोई भी निवासी नहीं होगा जिसे कि उसने परेशान न किया हो। फिर भी वो अपने भाई कल्लू काटा से लाख गुना अच्छा था!"
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12 comments:
कल्लू काटा इस व्यक्तव्या के समय कहाँ था स्पष्ट किया जाये.
भूल सुधार :
उपरोक्त मेरे कमेंट मे व्यक्तव्या के स्थान पर व्यक्तव्य पढा जाये
धन्यवाद्
अवधिया जी,
ब्लॉग जगत के लल्लू लाटाओं और कल्लू काटाओं के बारे में क्या ख्याल है...
जय हिंद...
अवधिया जी बहुत खूब, समिति को अभी से सोचना शुरू करना चाहिये के कल्लू काटा के निधन पर वह क्या कहेंगे?
वाह अवधिया जे मस्त है कमाल हो गया
बहुत खूब्!
कैराणवी जी का कहना भी एकदम सही है । समिति को अभी से सोचना शुरू कर ही देना चाहिए :)
कल्लू काटा पहले ही फौत हो चुका होगा। वरना मुहल्ला प्रधान की इतनी हिम्मत!
कल्लू काटा.... बेचारा किसी शरीफ़ गुंडे को चेन से मरने भी नही देती दुनिया... लेकिन अपने बाप से कम कमीना था यह कल्लू काटा, अभी नर्क मै ऊधम मचा रहा होगा
hahahahahaha......... bechara kallu kaata phaaltu mein gaali sun gaya.......
लल्लू काटा को तो कुदरत ने निपटा दिया और कल्लू काटा को आपने..........हा हा हा
बहुत बड़े काटू लगते हैं आप !
समिति प्रमुख ने सभा में कहा, "ये माना कि लल्लू लाटा एक नंबर का कमीना था। पूरा हरामी था। कई बार डाके डाले थे उसने और कितनों की हत्याएँ भी की थी। मुहल्ले की बहू बेटियों पर हमेशा बुरी नजर रखा करता था। मुहल्ले का ऐसा कोई भी निवासी नहीं होगा जिसे कि उसने परेशान न किया हो। फिर भी वो अपने भाई कल्लू काटा से लाख गुना अच्छा था!"
समिति पर्मुख जरूर मेरा को मेले में बिछडा भाई होगा अवधिया साहब, अपने देश का कोई politician मरता है तो मेरे मुख से निकलने वाले पहले उदगार यही होते है !
:)
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