यदि आपका ब्लोग है तो उसे अपडेट करना भी जरूरी है और अपडेट करना है तो नई पोस्ट तो लिखनी ही है। तो प्रश्न यह उठता है कि आखिर रोज रोज लिखा क्या जाये?
पर इसके लिये चिन्ता में घुलने की कोई जरूरत नहीं है। माता सरस्वती बहुत ही दयालु देवी हैं। सुझा ही देती हैं कुछ ना कुछ लिखने के लिये। अब कल सुबह हमारा शहर धुंध से बुरी तरह से घिर गया। उस दृश्य को देखते ही सूझ गया हमें "जब हम हर्बल सिगरेट पीते थे ... कुछ यादें बचपन की ..." लिखने के लिये। ललित भाई की चौबे जी से मुलाकात हुई तो उन्हें चौबे जी और इरफ़ान भाई (कार्टूनिस्ट) में समानता नजर आई और बन गईं एक नहीं दो दो पोस्टें "इरफ़ान भाई (कार्टूनिस्ट) से एक मुलाकात रायपुर में!!..." और "कहीं ये दोनों मेले में बिछड़े हुए भाई तो नहीं है?" अनिल पुसदकर जी का मूड खराब होता है और बन जाती है पोस्ट "आज मूड़ बहुत खराब है!"
तो दोस्तों! बस अपने आस पास के दृश्य, वातावरण, घटनाएँ आदि पर निगाह बनाये रखिये और मिल ही जायेगा आपको लिखने के लिये कुछ ना कुछ मैटर और आप भी कहेंगे "मैं पोस्ट लिखता नहीं पोस्ट बन जाती है"।
18 comments:
बिल्कुल सही बात है, अपना भी कुछ ऐसा ही है।
जैसे ये बन गई!
और जैसे ही बन जाती है हम फ़ट से हाजिर हो जाते हैं ...हैं न
सुनो दुनिया वालों मैं पीता नहीं हूँ पिलायी गयी है :)
अच्छी ओबजर्वेशन है, अवधिया जी।
सही है।
अवधिया जी-आज हम् भी ऐसे ही आपके गुरुमंत्र से एक पोस्ट ठेल डाले हैं। एक दु बार और रिठेल भी हो जाएगा। जय हो बधाई हो।
सहीं कह रहे हैं. आपका बदला हुआ हेडर बहुत सुन्दर लग रहा है.
बाकी दिन तो आपने कुछ लिखा भी .. पर आज तो सचमुच बिना लिखे पोस्ट बन गयी है !!
बिल्कुल सही बात है.....
लेकिन हम तो पोस्टे पढ़ने मे ही इतना खो जाते हैं कि भूल ही जाते हैं कि पोस्ट भी लिखनी है...;))
सहीं कह रहे हैं.... आप.....
मजेदार जी
सोच रहा हूं अगली पोस्ट लिखूं...हर शब्द से नई पोस्ट बन सकती हैं...पोस्ट से सीरीज़ बन सकती
है...सीरीज़ से पूरा ब्लॉग बन सकता है...ब्लॉग से पूरी वेबसाइट बन सकती है..वेबसाइट से पोर्टल बन सकता है...फिर उसके बाद...इक तारा बोले...सुन सुन सुन...क्या कहे है तुम से...तुन तुन तुन तुन...
जय हिंद...
पोस्ट तो ऐसे ही बनती है
कल हम इसी विषय पर दे मारते हैं एक पोस्ट..................
बढिया तरीका सुझाया आपने
लाजवाब है.
सही हैं आप। पोस्ट बनाने की चीज है, लिखने की नहीं!
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