Sunday, December 20, 2009

मैं पोस्ट लिखता नहीं पोस्ट बन जाती है

यदि आपका ब्लोग है तो उसे अपडेट करना भी जरूरी है और अपडेट करना है तो नई पोस्ट तो लिखनी ही है। तो प्रश्न यह उठता है कि आखिर रोज रोज लिखा क्या जाये?

पर इसके लिये चिन्ता में घुलने की कोई जरूरत नहीं है। माता सरस्वती बहुत ही दयालु देवी हैं। सुझा ही देती हैं कुछ ना कुछ लिखने के लिये। अब कल सुबह हमारा शहर धुंध से बुरी तरह से घिर गया। उस दृश्य को देखते ही सूझ गया हमें "जब हम हर्बल सिगरेट पीते थे ... कुछ यादें बचपन की ..." लिखने के लिये। ललित भाई की चौबे जी से मुलाकात हुई तो उन्हें चौबे जी और इरफ़ान भाई (कार्टूनिस्ट) में समानता नजर आई और बन गईं एक नहीं दो दो पोस्टें "इरफ़ान भाई (कार्टूनिस्ट) से एक मुलाकात रायपुर में!!..." और "कहीं ये दोनों मेले में बिछड़े हुए भाई तो नहीं है?" अनिल पुसदकर जी का मूड खराब होता है और बन जाती है पोस्ट "आज मूड़ बहुत खराब है!"

तो दोस्तों! बस अपने आस पास के दृश्य, वातावरण, घटनाएँ आदि पर निगाह बनाये रखिये और मिल ही जायेगा आपको लिखने के लिये कुछ ना कुछ मैटर और आप भी कहेंगे "मैं पोस्ट लिखता नहीं पोस्ट बन जाती है"

18 comments:

विवेक रस्तोगी said...

बिल्कुल सही बात है, अपना भी कुछ ऐसा ही है।

दिनेशराय द्विवेदी said...

जैसे ये बन गई!

अजय कुमार झा said...

और जैसे ही बन जाती है हम फ़ट से हाजिर हो जाते हैं ...हैं न

डॉ महेश सिन्हा said...

सुनो दुनिया वालों मैं पीता नहीं हूँ पिलायी गयी है :)

डॉ टी एस दराल said...

अच्छी ओबजर्वेशन है, अवधिया जी।

अनूप शुक्ल said...

सही है।

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

अवधिया जी-आज हम् भी ऐसे ही आपके गुरुमंत्र से एक पोस्ट ठेल डाले हैं। एक दु बार और रिठेल भी हो जाएगा। जय हो बधाई हो।

36solutions said...

सहीं कह रहे हैं. आपका बदला हुआ हेडर बहुत सुन्‍दर लग रहा है.

संगीता पुरी said...

बाकी दिन तो आपने कुछ लिखा भी .. पर आज तो सचमुच बिना लिखे पोस्‍ट बन गयी है !!

परमजीत सिहँ बाली said...

बिल्कुल सही बात है.....

लेकिन हम तो पोस्टे पढ़ने मे ही इतना खो जाते हैं कि भूल ही जाते हैं कि पोस्ट भी लिखनी है...;))

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

सहीं कह रहे हैं.... आप.....

राज भाटिय़ा said...

मजेदार जी

Khushdeep Sehgal said...

सोच रहा हूं अगली पोस्ट लिखूं...हर शब्द से नई पोस्ट बन सकती हैं...पोस्ट से सीरीज़ बन सकती
है...सीरीज़ से पूरा ब्लॉग बन सकता है...ब्लॉग से पूरी वेबसाइट बन सकती है..वेबसाइट से पोर्टल बन सकता है...फिर उसके बाद...इक तारा बोले...सुन सुन सुन...क्या कहे है तुम से...तुन तुन तुन तुन...

जय हिंद...

M VERMA said...

पोस्ट तो ऐसे ही बनती है

राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर said...

कल हम इसी विषय पर दे मारते हैं एक पोस्ट..................

राजीव तनेजा said...

बढिया तरीका सुझाया आपने

मनोज कुमार said...

लाजवाब है.

Gyan Dutt Pandey said...

सही हैं आप। पोस्ट बनाने की चीज है, लिखने की नहीं!