Tuesday, January 5, 2010

मुझे वही पोस्ट अधिक पसंद आता है जो कि आम पाठकों के लिये लिखी गई हो

रोज ही मैं हिन्दी ब्लोगों के अधिकतर पोस्टों को पढ़ता हूँ किन्तु मुझे वही पोस्ट अधिक पसंद आता है जो कि आम पाठकों के लिये लिखी गई हो। आम पाठकों के लिये लिखी गई पोस्ट से मेरा मतलब है जिसे पढ़ने से किसी की कुछ जानकारी मिले, उसे कोई सार्थक सन्देश मिले या फिर उसका स्वस्थ मनोरंजन हो। मिसाल के तौर पर ललित शर्मा जी की पोस्ट दीवारें भी चमकेंगी नई रौशनी से! "एक नया अविष्कार" बेहद पसंद आई। इस पोस्ट से एक नई जानकारी मिलती है। हो सकता है कि कुछ लोग इसमें बताई गई बात को पहले से ही जानते हों किन्तु मैं समझता हूँ कि अधिकतर लोगों के लिये यह बिल्कुल ही नई जानकारी है। इसी प्रकार से महफ़ूज अली के पोस्ट "जानना नहीं चाहेंगे आप संस्कार शब्द का गूढ़ रहस्य..." भी एक अच्छी जानकारी देने वाला पोस्ट है। ऐसे और भी उदाहरण अवश्य हैं किन्तु वे अपेक्षाकृत कम हैं। मैं तो समझता हूँ कि अच्छी जानकारी वाले पोस्ट हर किसी को पसंद आयेंगे ही।

प्रत्येक व्यक्ति की अपनी कुछ न कुछ विशेष रुचि होती ही है और अपनी रुचि वाले विषय में वह इतना अधिक खोज-बीन करता है कि उसके पास अच्छी जानकारियों का भण्डार हो जाता है। आप भी किसी न किसी क्षेत्र में अवश्य ही महारत रखते होंगे तो फिर क्यों न उस क्षेत्र की अच्छी जानकारी दूसरों को उपलब्ध करवायें?

इसी प्रकार से आप अपने खट्टे-मीठे अनुभव भी लोगों को बाँट सकते हैं। यदि आप अपने पोस्ट में बताते हैं कि क्यों और कैसे आप किसी विपत्ति में फँस गये थे और उससे कैसे छुटकारा मिला तो वह भी पाठक के लिये एक जानकारी ही होती है और आपका पाठक आपके अनुभव से लाभ उठा सकता है। याने कि आपके खट्टे-मीठे अनुभव भी अच्छी जानकारी है पाठकों के लिये। इसी प्रकार से आपके संस्मरण भी लोगों को ज्ञान बाँटने तथा मनोरंजन देने के साधन हो सकते हैं। तो जब भी कुछ लिखें तो ऐसा लिखें जिससे कि लोगों को एक सार्थक सन्देश प्राप्त हो।

यदि आप अपने ब्लोग में अच्छी जानकारी से युक्त पोस्ट देंगे तो न केवल हिन्दी की सेवा होगी बल्कि हिन्दी ब्लोग की पाठक संख्या भी दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ेगी।

15 comments:

अविनाश वाचस्पति said...

अवधिया जी यहां धान नहीं
अब हिन्‍दी सेवा का मिल रहा है मेवा
पर हम उसे सूखने नहीं देंगे
हिन्‍दी हित सक्रिय रहेंगे सदा।

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

जो आज्ञा गुरुदेव, आपके आदेश का पालन होगा,
ज्ञान वर्धक पोस्ट, आभार

Unknown said...

अपनी लायकी तो नहीं है, लेकिन फ़िर भी बीच-बीच में कोशिश करते रहते हैं ऐसा कुछ लिखने की… जिसे "सार्थक ब्लॉगिंग" कहा जा सके…। देखते हैं कितना सफ़ल हो पाते हैं…

Unknown said...

सुरेश जी, मेरी निगाहों में तो आप बहुत लायक हैं और आपके प्रत्येक पोस्ट से एक सार्थक सन्देश मिलता है। इसीलिये आपके पाठकों संख्या भी, मैं समझता हूँ कि, सबसे अधिक है। आप बहुत परिश्रम भी करते हैं अपने लेख के लिये! मुझे आशा ही नहीं विश्वास है कि भविष्य में आपसे और भी बहुत से अच्छे लेख मिलते रहेंगे।

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

अवधिया साहब, आपने बिकुल सही कहा मगर क्या करे अपुन तो बस स्वर्गीय राज कपूर जी के एक जोकर की तरह है, बिना किसी उद्देश्य थोड़ा बहुत जग को हसाने की कोशिश भर कर लेते है !

मनोज कुमार said...

आपकी बातें बहुत सही, सटीक और रुचिकर लगी। अपनी अल्प बुद्धि से ही सही, प्रयास रत हूं।

निर्मला कपिला said...

बिलकुल सही कहा आपने कोशिश करेंगे की आपकी आपे़अओं पर खरे उतर सकें धन्यवाद्

डॉ टी एस दराल said...

जी यही प्रयास रहेगा।

स्वप्न मञ्जूषा said...

एकदम सही बात कहे हैं भईया....
दरअसल इस ब्लॉग पर जिसका आपने जिक्र किया है ...कई पोस्ट ऐसी ही रही हैं.....जैसे 'संस्कार', 'ॐ जय जगदीश हरे' बाबू, 'टाटा' 'ओ के' ...इत्यादि .जहाँ वो जानकारी मिली जिसके बारे में हमें सही में कुछ नहीं मालूम था.....
अब आपका प्रयास भी बहुत महत्वपूर्ण है ...वाल्मीकि रामायण.....यह कृति ब्लॉग जगत कि धरोहर मानी जायेगी....
सुरेश जी का ब्लॉग भी जानकारीपूर्ण होता है....राकेश सिंह भी इस मामले में अच्छी जानकारी देते हैं.....
पाबला जी भी कुछ न कुछ नयी जानकारी लाते हैं...गोदियाल साहब ...और खुशदीप जी सार्थक विषय पर बात करते हैं....
सही मायने में इनदिनों सार्थक पोस्ट बहुत कम हैं....लेकिन हैं.....
कुछ ब्लॉग तो ऐसे हैं ...कि लगता है कि वो इश्क स्पेसिलिस्ट हैं.....बस उठते-बैठते इश्क के सिवा कुछ है ही नहीं.....२४ घंटे बस.....छिछोरा इश्क.....
कभी कभी किसी और विषय पर भी लिखना चाहिए.....
अरे दुनिया में और भी गम हैं मोहब्बत के सिवा....

हम भी अब कोशिश करेंगे कुछ ढंग की बात करने कि...

अजय कुमार झा said...

बस एक यही कारण था जिसने मुझे मजबूर किया कि अलग अलग ब्लोग पर लिखूं क्योंकि गंभीर बातों को मैं जाने किस अंदाज में लिख जाऊं गंभीर होके या अगंभीर होके ,और मेरा खुद मानना यही है कि यदि हमेशा ही नहीं तो कम से कम कभी कभी तो जरूर ही ऐसा लिखने का प्रयास होना चाहिए ,बहुत ही मार्गदर्शन देने वाली पोस्ट लिखी आपने

राज भाटिय़ा said...

अवाधिया जी आप के बातये रास्ते पर चले तो सही लेकिन पहले लिखना तो आये, हम तो बस जो दिल मै आया लिख दिया, ब्लांग को भी ज्न्दगी की तरह एक मजाक ही समझ रहे है.धन्यवाद

संगीता पुरी said...

ज्‍योतिष का चिट्ठा होने के बावजूद मैं ऐसी ही सामग्री लिखती हूं .. जो आम लोगों के लिए उपयोगी हों !!

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

हमारा भी यही प्रयास रहता है कि कुछ सार्थक लिखा जाए....बाकी तो पाठक जानें!

वन्दना अवस्थी दुबे said...

अच्छा है.

s.rehman said...

aapka vichar acha hai,,,