मेरे पास प्रायः मेल आते रहते हैं हिन्दी से कमाई के विषय में जानकारी पूछने के लिये। मेल भेजने वालों में से कुछ ब्लोगर भी होते हैं और कुछ नहीं भी। अतः मैंने इस विषय पर एक पोस्ट लिख देना उचित समझा ताकि जिन्हें भी इस विषय में रुचि है उन्हें कुछ जानकारी मिल जाये।
नेट में कमाई मुख्य रूप से 'पे पर क्लिक', 'एफिलियेट प्रोग्राम' और 'स्वयं के प्रोडक्ट बेचने' से होती है पर दुर्भाग्य से अभी तक हिन्दी के लिये ये चीजें विकसित नहीं हो पाई हैं। क्लिकबैंक.कॉम के डिजिटल प्रोडक्ट्स बेचने से अच्छी खासी कमाई होती है किन्तु हिन्दी का प्रयोग करके हम क्लिकबैंक के डिजिटल प्रोडक्ट्स बेच नही सकते। 'एड्स फॉर इंडियन्स' नाम का एक नेटवर्क है किन्तु मैं उसके विषय में अधिक बता नहीं सकता क्योंकि मैंने उसे प्रयोग नहीं किया है। हाँ, भारत के लिये डीजीएमप्रो.कॉम एक एफिलियेट नेटवर्क है जिससे कुछ कमाई की सम्भावना दिखाई पड़ती है। यदि हम अपने वेबसाइट या ब्लोग के माध्यम से एयर बुकिंग, होटल बुकिंग, आनलाइन शॉपिंग करवा पायें तो डीजीएमप्रो से अवश्य ही कमाई हो सकती है, और मैं इससे कुछ आमदनी कर भी रहा हूँ। किन्तु अभी हमारे देश में आनलाइन बुकिंग और शॉपिंग का चलन बहुत कम है इसलिये यह कमाई बहुत ही कम है। पर धीरे धीरे यह चलन बढ़ते जा रहा है इससे उम्मीद बढ़ती है।
अभी नेट में हिन्दी इतनी व्यावसायिक नहीं हो पाई है कि हिन्दी वेबसाइट या ब्लोग से कमाई हो सके। इसका मुख्य कारण हिन्दी के पाठकों की संख्या नगण्य होना ही है। वर्तमान हिन्दी ब्लोगिंग को देखते हुए ऐसा लग भी नहीं रहा है कि निकट भविष्य में पाठकों की संख्या बढ़ पायेगी किन्तु उम्मीद पर दुनिया कायम है अतः हम लोग भी उम्मीद तो लगा ही सकते हैं।
जब तक हम विषय आधारित वेबसाइट या ब्लोग नहीं बनायेंगे और पाठकों की संख्या नहीं बढ़ेगी, हिन्दी का व्यावसायिक होना मुश्किल है।
इस दिशा में मेरे एक प्रयास को आप मेरे "इंटरनेट भारत" ब्लोग में देख सकते हैं।
10 comments:
अवधिया जी,
कमाई का एक तरीका मुझे नज़र आ रहा है...आप एक ब्लॉगर इंस्टीट्यूट खोल लें...जिसमें एक हफ्ते के क्रैश कोर्स के साथ ऑनलाइन ट्रेनिंग देना जारी रखें...अगर आपके बताए फंडों से किसी की कमाई होती है तो उसमें से कुछ कट अपना रखें...अगर कमाई शुरू होने लगती है तो किसी को भी कट देने में ज़ोर नहीं पड़ेगा...
जय हिंद...
खुशदीप जी, आपका सुझाव तो अच्छा है पर दो दिक्कते हैं। पहली दिक्कत यह कि हिन्दी ब्लोगर्स धन कमाने नहीं टिप्पणी कमाने या सही शब्दों में कहें तो आत्मतुष्टि के लिये आते हैं अतः उन्हें मेरे आनलाइन इंस्टीट्यूट में कोई रुचि होगी ही नहीं। दूसरी और सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि जब पाठकों की संख्या अच्छी खासी बढ़ नहीं जाती, कमाई होने से रही। ये पाठक ही तो ग्राहक होते हैं जिनसे कमाई होती है। और हिन्दी के वर्तमान ढर्रे को देखने से पता चलता है कि पाठकों की संख्या में वृद्धि तो होने से रही।
अवधिया जी-
धनात धर्म: तत: सुखम्।
अब ऑनलाईन इन्स्टी्ट्युट खोल ही लि्या जाए।
खुशदीप जी सलाह मानकर्।
बहुतों को लाभ होगा जो भटकते रहते हैँ।
आपने इस विषय पर चिंतन प्रारम्भ किय है यह अच्छी बात है । हिन्दी ब्लॉगिंग को व्यावसायिक होने मे अभी समय लगेगा । आप ही इस दिशा मे प्रयास करे और अपने अनुभव से सभी का मार्गदर्शन करे तो शायद यह सम्भव है ।
"पर हमारा तो धन कमाने के लिये ही आये हैं ..अच्छ लेख धन्यवाद आपका "
amitraghat.blogspot.com
कमाई तो मिट्टी से भी हो जाती है, प्रतिभा होनी चाहिए. हिन्दी नेट से अभी अच्छी कमाई के आसार नहीं है.
..अच्छ लेख धन्यवाद
उम्मीद पर ही दुनिया कायम है :)
bahut achhi jaankari diya,aapne agar ek panth do kaam ho jaaye to achhi baat hai,pahle mujhe bhi itni gahrayi me jaankari nahi thi is vishy par.aur isi tarh ki jaankariye se avgat karate rahiyega,abhiri rahenge hum.
VIKAS PANDEY
http://vicharokadarpan.blogspot.com/
उम्मीद पर दुनिया कायम है और हम भी उम्मीद ही कर रहे हैं।
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