Sunday, April 4, 2010

मौन मूर्खता को छिपाता है

मौन रह कर लोगों को सोचने दो कि तुम मूर्ख हो या नहीं, मुँह खोल कर उन्हे समझ जाने का अवसर मत दो कि तुम वास्तव में मूर्ख हो!

(Better to remain silent and be thought a fool, than to open your mouth and remove all doubt.)

13 comments:

Anil Pusadkar said...

सही कहा अवधिया जी न बोले तो कौयें कोयलों कि बीच खप सकता है।

ताऊ रामपुरिया said...

आपने पहले नही बताया. हमारी इसी आदत के कारण हमारा मुर्ख होना पकडा गया.

रामराम.

Ashok Pandey said...

बहुत खूब। आपने सच्‍ची बात कही।

संजय बेंगाणी said...

:।

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

मैं तो अवधिया साहब, चुप रह ही नहीं सकता .... हा...हा...हा !

सूर्यकान्त गुप्ता said...

बहुत अच्छा
अभी "विचारों" का सिलसिला जारी है

M VERMA said...

इस कुहराम में चुप रहना ही अच्छा है
बिन बोले जो कहा जायेगा वह गहराई से सुना जायेगा.

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

शायद इसीलिए यहाँ कुछ लोग मुद्दों पर जुबान नहीं खोलते। चुप्पी साध जाते हैं :-)

कृष्ण मुरारी प्रसाद said...

यह पोस्ट आप प्रवचन देने बाले पोस्ट और ब्लॉग पर डाल देन...
सौरी अब मौन हो जाता हूँ,,,,
.संवेदनशील प्रस्तुति......
http://laddoospeaks.blogspot.com/

siddheshwar singh said...

मौन !

VICHAAR SHOONYA said...

अच्छा इसलिए ज्यादा कुछ नहीं कहा अपने।
और देखिये फिर भी आप टॉप पर पहुच गए।
कथन जिसका भी है एकदम सत्य है।
पर फिर भी मुझे तो अपनी बात कहने के लिए
खूब बोलना, खूब लिखना अच्छा लगता है।
वही यहाँ पर भी करूँगा।
मैं नहीं सुधरूंगा । बोलता ही रहूँगा..........बोलता ही रहूँगा....... बोलता ही रहूंगा.......बोलता ही रहूँगा......

अजित गुप्ता का कोना said...

अंग्रेजी और हिन्‍दी के अनुवाद में साम्‍यता दिखायी नहीं दे रही है कृपया भाव स्‍पष्‍ट करें।

अजित गुप्ता का कोना said...

अंग्रेजी और हिन्‍दी के अनुवाद में साम्‍यता दिखायी नहीं दे रही है कृपया भाव स्‍पष्‍ट करें।