Sunday, May 2, 2010

खोलो रेल्वे की साइट को और झेलो पॉप-अप विज्ञापनों को

पता नहीं आप लोगों को आती है या नहीं पर मुझे पॉप-अप विज्ञापनों से बड़ी खुन्दक आती है और गुस्सा तब और बढ़ जाता है जब ये पॉप-अप विज्ञापन अधिकतर उपयोग किये जाने वाले महत्वपूर्ण साइट्स में हों। बैनर विज्ञापन तो एक बार चलता है क्योंकि इनकी तरफ ध्यान देना या ना देना आप के ऊपर निर्भर करता है किन्तु पॉप-अप विज्ञापन जबरन आपके ध्यान को भटका देते हैं। आप इन्हें देखना ना भी चाहें तो भी "मान ना मान मैं तेरा मेहमान" जैसे जबरन आये हुए इन विज्ञापनों को बंद करने के लिये इन्हें देखना ही पड़ता है।

पीएनआर स्टेटस की जानकारी, रेलगाड़ियों की जानकारी, आरक्षण के विषय में जानकारी आदि के लिये अक्सर भारतीय रेल्वे के साइट को खोलना ही पड़ता है। और इसे खोलने पर पॉप-विज्ञापनों को झेलना एक बहुत बड़ी मजबूरी बन जाती है। एक बार पॉप-अप विज्ञापन आये तो चलो झेल भी लिया जाये पर आप भारतीय रेल्वे के साइट में जितने बार भी किसी लिंक को क्लिक करेंगे उतने ही बार पॉप-अप विज्ञापन आते हैं।

पता नहीं भारतीय रेल्वे ने अपना यह साइट सेवा प्रदान करने के लिये बनाया है या फिर विज्ञापनों से कमाई करने के लिये?

पर किया ही क्या जा सकता है? रेल्वे की साइट हमारी मजबूरी है इसलिये खोलो रेल्वे की साइट को और झेलो पॉप-अप विज्ञापनों को।

9 comments:

honesty project democracy said...

इन्टरनेट के विस्तार में ये अवांछित तत्व बहुत बड़ी बाधा हैं / समझ में नहीं आता इन्टरनेट कनेक्सन के मासिक शुल्क देने के बाद भी इन विज्ञापनों की इस तरह से प्रस्तुती कहाँ तक जायज है /

निशांत मिश्र - Nishant Mishra said...

मैं फायर फौक्स पर ऐड ब्लोक ऐड ऑन का प्रयोग करता हूँ. यह पोप अप को तो कंट्रोल करता ही है, ब्लौगों और साइटों पर लगे अनाप-शनाप विजेट्स, मैप्स, घड़ियाँ आदि भी ब्लोक कर देता है. इसके फीचर शानदार हैं.

विवेक रस्तोगी said...

पॉप अप ब्लॉकर का उपयोग करें, हम तो ये देखना बिल्कुल पसंद ही नहीं करते और हमारा ब्राऊजर भी नहीं दिखाता है, सेटिंग्स कर लें सब ठीक हो जायेगा।

Unknown said...

विवेक जी,

पॉप अप ब्लॉकर के प्रयोग करने का आपका सुझाव बहुत अच्छा है किन्तु मुख्य मुद्दा मैंने यह उठाया है कि भारतीय रेल्वे जैसे महत्वपूर्ण साइट के द्वारा पॉप अप विज्ञापन दिखाना कहाँ तक उचित है? क्या यह लोगों की मजूबूरी का फायदा उठाना नहीं है?

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

जायज तो नहीं है, पर क्या किया जाए इन्हे झेलना भी तो मजबूरी है। रेल्वे की वेबसाइट पर हर क्लिक के साथ एक पाप अप विंडो विज्ञापन लेकर प्रकट होती है।

इन्हे रोकना चाहिए-आभार

निशांत मिश्र - Nishant Mishra said...

अवधिया जी, निजी हों या सरकारी, सारे प्रतिष्ठान घोर व्यवसायी हो गए हैं. स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया भी न जाने कितने तरीकों से खाताधारकों की रकम काटने लगा है. कोई कुछ नहीं कर सकता. मजबूरी है. झेलना पड़ेगा. रेलवे ने निजी हांथों में बहुत सी सेवाएं सौंपी हुई हैं. वे जो चाहे करते हैं.

शिवम् मिश्रा said...

तभी तो रेलवे मुनाफे में है !

राज भाटिय़ा said...

अवधिया जी आप इन सब को खुद ही बन्द कर सकते है जी, फ़िर कोई दिक्कत नही होगी

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

नार्टन इंटरनेट फायरबाल का प्रयोग करें...