सुखसागर ग्रन्थ के अनुसारः
(1) ब्रह्मपुराण में श्लोकों की संख्या दस हजार हैं।
(2) पद्मपुराण में श्लोकों की संख्या पचपन हजार हैं।
(3) विष्णुपुराण में श्लोकों की संख्या तेइस हजार हैं।
(4) शिवपुराण में श्लोकों की संख्या चौबीस हजार हैं।
(5) श्रीमद्भावतपुराण में श्लोकों की संख्या अठारह हजार हैं।
(6) नारदपुराण में श्लोकों की संख्या पच्चीस हजार हैं।
(7) मार्कण्डेयपुराण में श्लोकों की संख्या नौ हजार हैं।
(8) अग्निपुराण में श्लोकों की संख्या पन्द्रह हजार हैं।
(9) भविष्यपुराण में श्लोकों की संख्या चौदह हजार पाँच सौ हैं।
(10) ब्रह्मवैवर्तपुराण में श्लोकों की संख्या अठारह हजार हैं।
(11) लिंगपुराण में श्लोकों की संख्या ग्यारह हजार हैं।
(12) वाराहपुराण में श्लोकों की संख्या चौबीस हजार हैं।
(13) स्कन्धपुराण में श्लोकों की संख्या इक्यासी हजार एक सौ हैं।
(14) वामनपुराण में श्लोकों की संख्या दस हजार हैं।
(15) कूर्मपुराण में श्लोकों की संख्या सत्रह हजार हैं।
(16) मत्सयपुराण में श्लोकों की संख्या चौदह हजार हैं।
(17) गरुड़पुराण में श्लोकों की संख्या उन्नीस हजार हैं।
(18) ब्रह्माण्डपुराण में श्लोकों की संख्या बारह हजार हैं।
8 comments:
कुल 399600
400 श्लोक और होते तो पुरे ४ लाख हो जाते... पुरी उम्र निकल जाए पढने में...
थैंक्स..
सुन्दर लेखन।
बने जानकारी देय हस।
कतका ला पढ डारे बबा?
जोहार ले
achha laga
waah !
बहुत सुंदर लगी यह जानकारी जी, अगर इन श्लोको का अर्थ भी करे साथ साथ मे तो कितना समय लगेगा जी..... धन्यवाद
बेहद उम्दा जानकारी, आभार आपका |
बेहतरीन जानकारी का आभार.
बेहतरीन जानकारी के लिए धन्यवाद
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