फाग तो बहुत सारे पढ़े आपने, लीजिये आज रंगपंचमी के दिन सुन भी लीजिये। बहुत बेसुरा गला है हमारा पर क्या करें दो पैग लगाने के बाद ललित जी ने उचका दिया और हम चढ़ गये चने के झाड़ पर याने कि शुरू कर दिया फाग गाना। आज रंग पंचमी है तो सोचा कि आपको भी सुना दे हमारा गाया हुआ फाग। आज तक आपने अदा जी और शैल जी के कर्णप्रिय स्वर सुने हैं पर आज हमारा कर्कश गान सुन लीजिये।
पतली कमर मोर लचके
4 comments:
जो गुरु देव आपने गाया
वो फगुआ मेरे मन भाया
भला ललित जी उकसाया
वरना आपसे जाता गाया ?
बढ़िया अवधिया जी , गा तो दिया ही न । बधाई।
ललित जी ने सही उकसाया
आपने तो बहुत खूब गाया
ha ha ha ..!!
waah..!!
Bhaiya sach mein aapki patali kamar lachak hi rahi thi gaate hue...
mazaa aa gaya aakhir mere bhaiya hai to gaana gaaye bina kaise rehte...
bahut hi badhiya...
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