Friday, March 5, 2010

ललित जी ने उचकाया ... हमने फाग गाया

फाग तो बहुत सारे पढ़े आपने, लीजिये आज रंगपंचमी के दिन सुन भी लीजिये। बहुत बेसुरा गला है हमारा पर क्या करें दो पैग लगाने के बाद ललित जी ने उचका दिया और हम चढ़ गये चने के झाड़ पर याने कि शुरू कर दिया फाग गाना। आज रंग पंचमी है तो सोचा कि आपको भी सुना दे हमारा गाया हुआ फाग। आज तक आपने अदा जी और शैल जी के कर्णप्रिय स्वर सुने हैं पर आज हमारा कर्कश गान सुन लीजिये।


पतली कमर मोर लचके

4 comments:

Girish Kumar Billore said...

जो गुरु देव आपने गाया
वो फगुआ मेरे मन भाया
भला ललित जी उकसाया
वरना आपसे जाता गाया ?

डॉ टी एस दराल said...

बढ़िया अवधिया जी , गा तो दिया ही न । बधाई।

M VERMA said...

ललित जी ने सही उकसाया
आपने तो बहुत खूब गाया

स्वप्न मञ्जूषा said...

ha ha ha ..!!
waah..!!
Bhaiya sach mein aapki patali kamar lachak hi rahi thi gaate hue...
mazaa aa gaya aakhir mere bhaiya hai to gaana gaaye bina kaise rehte...
bahut hi badhiya...