पिछले कुछ दिनों से हम जो भी पोस्ट लिख रहे थे उसका उद्देश्य था हिन्दी ब्लोग्स से कुप्रचार और विज्ञापनयुक्त टिप्पणियों को समाप्त करना। हमारा उद्देश्य सिर्फ अपने विद्वान बन्धुओं को ही समझाना था न कि किसी मूर्ख को कुछ समझाना। हम जानते हैं कि न तो औंधे घड़े में पानी डाला जा सकता है और न ही किसी मूर्ख को, लाख सर पटक लेने के बाद भी, समझाया जा सकता है। इसीलिए तो तुलसीदास जी ने लिखा हैः
मूरख हृदय न चेत जो गुरु मिलहिं बिरंचि सम।
फूलहिं फलहिं न बेत जदपि जलद बरसहिं सुधा॥
अस्तु, प्रसन्नता की बात है कि हम अपने उद्देश्य में सफल हुए। हमारे ब्लोगर बन्धुओं ने हमारी बात को समझा और अपने अपने ब्लोग्स से गंदगी को निकाल कर फेंक दिया। मैं अपने समस्त ब्लोगर बन्धुओं को इसके लिए साधुवाद देता हूँ।
6 comments:
बधाई हो ! ये एक साझे उद्देश्य की सफलता है |
:) :( :P :D :$ ;)
तो इसका अर्थ यह निकला कि कुत्ते की दुम भी सीधी की जा सकती है!!
बधाई आप को जी , अब छोडे इन को, मै अनुनाद जी की टिपण्ण्णी से सहमत हुं
आपको भी बहुत बधाई जी......
अब अपने मौहल्ले में कुछ स्वच्छता दिखाई दे रही है:)
धान के खेत मुझे हमेशा से सम्मोहित करते रहे हैं।. .
धान नाम का हेडर लिए यह ब्लॉग धन्य है। हिन्दी ब्लॉगिंग को ऐसे 'धनिया अवधिया' योद्धा की बहुत आवश्यकता थी। आभार स्वीकार करें।
उपेक्षा से भी उत्तम अस्त्र चला कर आप ने अपने को साबित कर दिया।
मुबारक हो आपको !!
Post a Comment