Wednesday, May 21, 2008
अब फिर दिखेंगे हिन्दी पेजेस में गूगल के विज्ञापन
अभी तक केवल अंग्रेजी के विज्ञापनों को ही पात्रता प्राप्त होने के कारण हिन्दी पेजेस में गूगल के विज्ञापनों का प्रदर्शन नहीं हो रहा था किन्तु अब उपरोक्त परिवर्तन हो जाने से कम से कम छवि विज्ञापनों (image ads) का दिखाई देना शुरू हो जायेगा।
इससे अपने हिन्दी ब्लोग्स/वेबसाइट्स में गूगल विज्ञापन प्रदर्शित करने वालों की निराशा थोड़ी बहुत तो दूर होगी।
मर रे मानव मर!
Tuesday, May 20, 2008
मीडिया प्लेयर में आटो प्ले लिस्ट बना कर पसंदीदा संगीत सुनें।
आटो प्लेलिस्ट्स (Auto Play lists) बनाने के लिये संगीत फाइल्स की टैगिंग होना आवश्यक है। केवल टैगिंग ही वह सुविधा प्रदान करता है जिससे आपके पसंद के गानों को पहचान कर आपका कम्प्यूटर उनकी लिस्ट तैयार कर सके। टैगिंग की विधि नीचे दी जा रही है।
संगीत फाइल्स को टैग कर के मनपसंद नाम दें!
संगीत फाइल्स को टैग (Tag) कर के नया नाम तथा वांछित जानकारी देने के लिये अनेकों टैग एडीटर्स (Tag Editors) उपलब्ध हैं। यदि आप Windows XP का प्रयोग करते हैं तो आपको किसी अलग टैग एडीटर की आवश्यकता नहीं है क्यों कि XP में उपलब्ध विन्डोज मीडिया प्लेयर (वर्सन 9 या उससे ऊपर) में ही संगीत फाइल्स को टैग करने की सुविधा उपलब्ध है। टैगिंग करने के लिये निम्न विधि अपनायें।
* विन्डोड़ मीडिया प्लेयर वर्सन 9 (Windows Media Player version 9) के प्ले लिस्ट या लाइब्रेरी में किसी संगीत फाइल को दाँया क्लिक (right click) करें।
* नये खुलने वाले मीनू में एडव्हान्स्ड टैग एडीटर (Advanced Tag Editor) को क्लिक करें।
* एडव्हांस्ड टैग एडीटर डॉयलाग बॉक्स में ट्रैक की जानकारियाँ प्रविष्ट करें जैसे कि ऊपर के चित्र में किया गया है। अब आर्टिस्ट इन्फो (Artist Info) टैब को क्लिक करें।
* आर्टिस्ट इन्फो में भी वांछित प्रविष्टियाँ करने के बाद चाहें तो अन्य टैब्स को क्लिक कर के जानकारियाँ प्रविष्ट करें और कार्य सम्पन्न हो जाने पर OK को क्लिक कर दें।
इसी प्रकार से सभी संगीत फाइल्स की टैगिंग कर लें।
आटो प्ले लिस्ट बनाना
* विन्डोज मीडिया प्लेयर में लाइब्रेरी खोलें।
* बायीं (left) ओर के विन्डो में आटो प्ले लिस्ट पर दायाँ (right) क्लिक करें।
* नये खुलने वाले विन्डो में न्यू (New) को क्लिक कर दें।
* आटो प्लेलिस्ट (Auto Plalist) डॉयलाग बॉक्स में क्लिक टू एड क्राइटेरिया (Click to add criteria) को क्लिक करें।
* वांछित क्राइटेरिया जैसे कि एलबम आर्टिस्ट (Album Artist) को क्लिक करें।
* Is, Is not..., contains में से किसी एक का चुनाव करके क्लिक तो सेट (Click to set) में उचित प्रविष्टि करें। चाहें तो एण्ड आल्सो इन्क्लुड (And also include) में भी अन्य शर्ते दे सकते हैं। कार्य सम्पन्न होने पर OK को क्लिक कर दें। उदाहरण के लिये यदि आपने 'Is' का चुनाव करके 'किशोर कुमार' प्रविष्ट किया है तो सिर्फ किशोर कुमार के गाये गानों वाली आटो प्लेलिस्ट बन जायेगी।
Monday, May 19, 2008
हमारे देश के अग्रणी संस्थान की हिन्दी?
भारतीय स्टेट बैंक की हिन्दी वेबसाइट
(windows xp - internet explorer)
जुतियाना
यह तो हम सभी जानते हैं कि राजनीति, खास करके आज के जमाने की राजनीति, और जुतियाने में चोली दामन का सम्बन्ध है। जिस नेता के पास जुतियाने वाले चम्मचों की टीम नहीं होती, वास्तव में वह असली नेता ही नहीं होता। जुतियाना नेताओं के चम्मचों का जन्मसिद्ध अधिकार होता है। शक्ति प्रदर्शन करके अपना बड़प्पन स्वीकार करवाने का एक मात्र माध्यम जुतियाना ही है।
जब भी इंसान को गुस्सा आता है, किसी न किसी को जुतियाने का मन हो ही जाता है। अक्सर तो होता यह है कि गुस्सा किसी और पर आता है और जुतियाया कोई और जाता है। अब आप अपने से जादा ताकतवर को नहीं जुतिया सकते ना, पर गुस्सा शांत करने के लिये जुतियाना जरूरी भी है। इसीलिये जब आफिस में बॉस और घर में बीबी पर गुस्सा आता है तो चपरासी और नौकर ही जुतियाये जाते हैं।
'श्रीलाल शुक्ल' जी ने "राग दरबारी" में जुतियाने का जो तरीका बताया है वही तरीका हमें जुतियाने का सबसे अच्छा लगा। वास्तव में उससे अच्छा तरीका और हो ही नहीं सकता। उनके तरीके के अनुसार यदि किसी को जुतियाना हो तो उसे गिन कर 100 जूते लगाने चाहिये, न एक कम और न एक ज्यादा। और गिनती के 93-94 तक पहुँचने पर भूल जाना चाहिये कि अब तक कितने जूते लग चुके हैं। अब भूल गये तो फिर से जुतियाना तो शुरू करना ही पड़ेगा।
हम सोच रहे थे कि जुतियाना शब्द तो जूते से बना है। तो जब इस संसार में जूता नहीं हुआ करता था तो लोग भला कैसे अपना गुस्सा उतारते रहे होंगे? शायद जूते की जगह खड़ाऊ लगा कर। तो 'जुतियाने' को अवश्य ही 'खड़ुवाना' कहा जाता रहा होगा। और शायद उस जमाने में नेता के चम्मच के बजाय राजाओं के मुसाहिब और खुशामदी लोग 'खड़ुआते' रहे होंगे।
जुतियाने का सबसे बढ़िया प्रयोग तो फिल्म 'शोले' में किया गया था संजीव कुमार के द्वारा अमजद खान को बड़े बड़े कील वाले जूते खिलवा कर। सच्ची बात तो यह है कि जो जितना अधिक जुतियाने का प्रयोग करेगा वह उतना ही आगे बढ़ेगा। हम तो आज तक आगे नहीं बढ़ पाये क्योंकि हमें जुतियाना ही नहीं आता।
Sunday, May 18, 2008
न बोलते हुये भी बहुत कुछ बोलते हैं हम
जब हम अकेले होते हैं, किसी प्रकार का 'काम्युनिकेशन' नहीं होता किन्तु एक से दो या अधिक व्यक्ति होते ही 'काम्युनिकेशन' स्वतः शुरू हो जाता है। हम हर पल एक दूसरे से काम्युनिकेट करते रहते हैं। आपके समक्ष चाहे कोई परिचित हो या अजनबी, आप उसके साथ काम्युनिकेट करेंगे ही और वह भी आप के साथ काम्युनिकेट करेगा। काम्युनिकेट करना हमारे व्यवहार का एक अभिन्न अंग है।
आपसी सम्बन्धों में मधुरता या कटुता इसी काम्युनिकेशन के ही परिणाम है। सही और उचित काम्युनिकेशन से सम्बन्धों में मधुरता बढ़ती है और गलत काम्युनिकेशन से कटुता। काम्युनिकेशन का हमारे जीवन में बहुत महत्व है। पिता-पुत्र, पति-पत्नी, भाई-भाई, मित्र-मित्र आदि में प्रेम या मनमुटाव का कारण भी यही काम्युनिकेशन है। हमारा काम्युनिकेशन हमारे व्यवहार को प्रदर्शित करता है।
काम्युनिकेशन को सीधा (direct) और स्पष्ट (clear) होना चाहिये अपरोक्ष तथा अस्पष्ट काम्युनिकेशन से हमेशा गलत संदेश जाने की आशंका बनी रहती है। यदि आप किसी को पाँच मिनट इंतजार करने के लिये कहकर आधे घंटे बाद वापस आते है तो यह आपका गलत काम्युनिकेशन होगा। गलत काम्युनिकेशन से संबंधों के बिगड़ने के पूरे अवसर बन जाते है।
एक सीधा व सरल व्यवहार वाला व्यक्ति बनने के लिये हमें हमेशा अपने काम्युनिकेशन का ख्याल रखना चाहिये।