"नमस्कार लिख्खाड़ानन्द जी!"
"नमस्काऽऽर! आइये आइये टिप्पण्यानन्द जी!"
"लिख्खाड़ानन्द जी, हम तो आपके लेखन के कायल हैं! लाज़वाब लिखते हैं आप! लोग आपको उस्ताद जी कहते और मानते हैं। क्या बात है आपकी! आज हम जानना चाहते हैं कि आखिर इतना अच्छा लिख कैसे लेते हैं जिसे पढ़ने और टिपियाने के लिये लोग दौड़े चले आते हैं? भई मानना पड़ेगा कि इधर आपकी पोस्ट आई नहीं कि टिप्पणियाँ आनी शुरू हो जाती है, लगता है कि लोग इंतजार करते रहते हैं कि कब आपका पोस्ट आये और कब वे टिप्पणी करें। हमें भी बताइये ना कि आप इतना अच्छा कैसे लिख लेते हैं? आखिर आपकी सफलता का रहस्य क्या है?"
"अरे टिप्पण्यानन्द जी, भला ऐसे रहस्य कभी किसी को बताये जाते हैं क्या? हमसे हमारा रहस्य जानकर कल को खुद हमारी जगह लेना चाहते हैं क्या आप?"
"हे हे हे हे! हम भला क्या खा के आपकी जगह लें पायेंगे? हमें लिखना आता ही कहाँ है? बस कुछ ऐसा वैसा घसीट दिया करते हैं। हमें तो बताना ही पड़ेगा आपको अपना रहस्य।"
"ठीक है हम आपको बताते हैं अपना रहस्य पर आप किसी और को मत बताना। देखिये टिप्पण्यानन्द जी!
हिन्दी ब्लोग्स को प्रायः हिन्दी ब्लोगर्स ही पढ़ते हैं। इसलिये सबसे पहले तो यह ध्यान रखना आवश्यक है कि जो भी पोस्ट लिखा जाये वह सामान्य पाठकों को ध्यान में रखकर नहीं बल्कि दूसरे ब्लोगरों को ध्यान में रखकर लिखी जाये।
सामान्य पाठक तो किसी विषय पर अच्छी से अच्छी जानकारी वाली अच्छी सामग्री (कंटेंट्स) पढ़ना पसंद करते हैं। अब हमारे पोस्टों को तो पढ़ने वाले हमारे साथी ब्लोगर्स ही हैं जिनके पास पहले से ही बहुत सारी जानकारी है इसलिये यदि आप कोई जानकारी वाली पोस्ट लिखोगे तो वह फ्लॉप ही होने वाला है। अब देखिये ना
ललित शर्मा जी ने पोस्ट लिखा
"सफलता कैसे मिले?" तो उस पोस्ट ने कितने लोगों को आकर्षित किया?
अरे भाई जो लोग पहले से ही सफल हैं उन्हें अपने पोस्ट में सफलता सिखाओगे तो भला वे क्यों उस पोस्ट को पढ़ने के लिये आयेंगे? जो पहले से ही सफल हैं उन्हें सफलता सिखाना, जिनके पास पहले से ही जानकारी है उन्हें जानकारी देना, जिनका पेट पहले से ही भरा हुआ है उन्हें खाना देना भला कहाँ की बुद्धिमत्ता है?""पर पोस्ट में अच्छी सामग्री नहीं होगी तो नेट में हिन्दी आगे कैसे बढ़ेगी?"
"अच्छी सामग्री? अरे कैसी बात कर रहे हैं आप?
नेट में क्या हिन्दी आगे बढ़ रही है? अरे नेट में तो हिन्दी ब्लोगर्स ही बढ़ते जा रहे हैं जो आपस में एक दूसरे को पढ़ें या ना पढ़ें पर टिप्पणी जरूर करते हैं।
यदि नेट में हिन्दी आगे बढ़ रही होती तो ब्लोग्स को पढ़ने के लिये ब्लोगर्स के साथ ही साथ आज जो करोड़ों हिन्दीभाषी नेट यूजर्स हैं वे भी क्या नहीं आते? आपने अभी ही हमारे लेखन को लाजवाब बताया है क्योंकि आप एक ब्लोगर हैं। पर हम जानते हैं कि हम अपने पोस्टों को किसी अच्छी पत्रिका में प्रकाशित करने के लिये भेज दें तो वह प्रकाशित होने के बदले कूड़ेदान में ही जायेगा। संपादक को चाहिये ऐसी रचनाएँ जिन्हें पाठक पसंद करे। हमारे पास ऐसी रचना तो है ही नहीं। हम तो सिर्फ वो लिखते हैं जिन पर दूसरे ब्लोगर अपनी टिप्पणी दें।
हमारी ब्लोगिंग तो मौज लेने के लिये होती है, टिप्पणी पाने के लिये होती है, गुट बनाने के लिये होती है, नये ब्लोगर बनाने के लिये होती है नये नये पाठक लाने के लिये थोड़े ही होती है। हम कौन सा यहाँ हिन्दी को आगे बढ़ाने के लिये आये हैं? हमें तो खुद को आगे बढ़ाना है भाई! हम आगे बढ़ेंगे तो हिन्दी भी अपने आप ही आगे बढ़ जायेगी। फालतू बातें करके टोकते रहते हैं आप। जो हम बता रहे हैं उसे सुनना है तो सुनिये नहीं तो अपना रास्ता लीजिये।"
"अरे आप तो नाराज ही हो गये। चलिये अब बीच में कुछ भी नहीं बोलेंगे हम, आप जारी रखिये।"
"तो मैं बता रहा था कि पोस्ट लिखते समय जानकारी आदि को ताक में रखकर इस बात का ध्यान रखना चाहिये कि हमारे ब्लोगर मित्र क्या पसंद करते हैं। यदि आपने उनकी पसंद को जान लिया तो समझ लीजिये कि आप सफल भी हो गये।"
"तो यही बताइये कि क्या पसंद करते हैं हमारे ब्लोगर मित्र?"
"उनकी सबसे पहली पसंद है कि लोग उनके पोस्टों में टिप्पणी करें।
अंग्रेजी और दूसरी भाषाओं की ब्लोगिंग में अच्छे पोस्ट का मापदंड पाठकों की संख्या और डिग, टेक्नोराटी जैसे सोशल बुकमार्किंग साइट में बुकमार्क्स की संख्या होती है पर हिन्दी ब्लोगिंग में अच्छे पोस्ट का मापदंड पोस्ट में मिली टिप्पणियों की संख्या होती है। इसलिये सबसे पहले तो आप दूसरे ब्लोगर्स के पोस्टों में जाकर टिप्पणी कीजिये। इससे फायदा यह होगा कि जब आपका पोस्ट प्रकाशित होगा तो वे लोग भी आपके पोस्ट में टिप्पणी करने जरूर आयेंगे। हो सकता है कुछ सिरफिरे टाइप के लोग न भी आयें पर यकीन मानिये कि बहुत से लोग आयेंगे और जो लोग नये नये ब्लोगर बने हैं वे लोग तो गारंटीड आयेंगे।"
"यहाँ तक तो हम आपकी बात समझ गये जी, पर टिप्पणी करने के लिये सारे पोस्टों को पढ़ना तो पड़ेगा। इतना समय हम कैसे निकालें?
"अरे टिप्पण्यानन्द जी! रहे आप भी पोंगू के पोंगू ही।
टिप्पणी करने के लिये भला पोस्टों को पढ़ने की क्या जरूरत है? ये रही टिप्पणियों की लिस्टः
- शुभकामनाएँ
- बधाई
- बधाई स्वीकारे
- बहुत-बहुत बधाईयाँ
- शुक्रिया!
- अच्छा आलेख
- अनोखी पोस्ट
- अच्छी रचना
- बहुत ही सटीक रचना
- इस रचना के लिये आभार
- सही लिखा है
- बढिया लिखा है आपने
- मजा आ गया पढ़ कर।
- बहुत सुंदर
- सत्य वचन!
- nice
- आपके विचारो से सहमत हूँ
- फलाने (जिसे आप अच्छा टिप्पणीकर्ता समझते हैं) से सहमत
- आपकी लेखनी तो कमाल करती ही है
- आपकी लेखनी के बारे में कुछ भी कहना सूरज को दिया दिखाना है
बस आप इनमें से किसी एक को चेंप दीजिये।"
"अच्छा अब यह बताइये कि पोस्ट में क्या लिखा जाये जो पढ़ने वालों को पसंद आये?"
"सीधी सी बात है कि
जब भी किसी प्रकार का विवाद होता है तो सभी को मजा आता है। इसलिये ऐसे पोस्ट लिखिये जिससे विवाद की स्थिति पैदा हो। आप चाहो तो किसी बहाने से दो लोगों को आपस में लड़वा दो और उसी पर पोस्ट लिख डालो।"
"भाई ये लोगों को लड़वाना, झगड़वाना और विवादास्पद पोस्ट लिखना तो अपने बस की बात नहीं है। कोई और तरीका बताइये।"
"तो फॉर्मूलों का प्रयोग कीजिये, जिस प्रकार से हिन्दी फिल्मों को हिट कराने के फॉर्मूले होते हैं उसी प्रकार से पोस्ट को भी हिट कराने के फॉर्मूले होते हैं।"
"हमें भी कुछ फॉर्मूले बताइये ना।"
"ठीक है हम आपको फॉर्मूलों की लिस्ट दे रहे हैं पर इन फॉर्मूलों के आधार को पहले समझ लीजिये।
यह तो आप जानते ही हैं कि मॉडर्न आर्ट को कोई समझ नहीं पाता पर तारीफ उसकी खूब करता है। ऐसे ही जो पोस्ट ऊपर ही ऊपर से गुजर जाये वह पोस्ट खूब पसंद की जाती है और उसे खूब टिप्पणियाँ मिलती हैं। तो यह है फॉर्मूलों की लिस्टः
- पोस्ट किसी एक विषय से शुरू कीजिये और उसका अन्त किसी और विषय से करिये
- ऑफिस में सहकर्मियों के साथ की गई बातचीत ऑफिस में किये गये काम आदि को लिख कर उसे हिन्दी ब्लोगिंग से जोड़ दीजिये
- रात को नींद पूरी क्यों नहीं हुई, खाना हजम क्यों नहीं हुआ आदि बातें बताते हुए पोस्ट लिख मारिये
- आप कहाँ गये, क्या किये इन बातों को लिख कर उन्हें दर्शन शास्त्र से जोड़ दीजिये
- कुत्ते के पिल्ले, बिल्ली के बच्चे, बकरी के मेमने इत्यादि पर चित्र सहित पोस्ट लिखिये और उन्हें मानवीयता के साथ जोड़ दीजिये
- भिगमंगे, बावले आदि पर पोस्ट लिखकर दया, करुणा आदि मानवीय भावनाओं के साथ जोड़ दीजिये
- शुद्ध हिन्दी में कभी पोस्ट मत लिखिये बल्कि पोस्ट के बीच बीच में ऐसे अंग्रेजी शब्दों का प्रयोग अवश्य कीजिये जिसका जो जैसा भी चाहे अर्थ निकाल सके, आप तो जानते ही हैं कि एक ही अंग्रेजी शब्द के कई हिन्दी अर्थ होते हैं, अंग्रेजी शब्दों के प्रयोग से पोस्ट प्रभावशाली बनता है
- पोस्टों में हिन्दी भाषा तथा शब्दों के साथ खूब खिलवाड़ याने कि प्रयोग कीजिये ताकि हिन्दी भाषा और अधिक निखरे और सँवरे
- पोस्ट के बीच-बीच में अंग्रेजी और हिन्दी दोनों के कुछ क्लिष्ट शब्दों का प्रयोग करिये जिनका अर्थ या तो समझ में ही ना आये या फिर समझने के लिये डिक्शनरी देखना पड़े
- यात्रा के दौरान कहाँ कहाँ क्या क्या हुआ और क्या तकलीफ हुई बताते हुए पोस्ट लिख मारिये और तकलीफ के लिये सरकारी विभाग को दोषी ठहरा दीजिये
- यदि कुछ विशेष जानकारी दे रहे हैं तो आधी अधूरी दीजिये और जहाँ से जानकारी मिली उस अंग्रेजी साइट का लिंक दे दीजिये
"तो टिप्पण्यानन्द जी, अभी इतने ही फॉर्मूलों से काम चलाइये, बाद में और भी फॉर्मूले देंगे हम आपको।"
"धन्यवाद लिख्खाड़ानन्द जी! अब मैं चलता हूँ, नमस्कार!"
"नमस्काऽर!"