Saturday, May 5, 2012

चैटिंग - एक सजा या मजा

लेखः मुकेश कैन

चैटिंग का नशा एक भयंकर रोग के जैसा होता है। ये जिसे एक बार लग गया, तो समझो वो सारे काम-धंधे से गया। भारत में दिनों-दिन इंटरनेट यूजर्स बढ़ते जा रहे हैं, और लोग इस नशे का शिकार होते जा रहे हैं। इसकी चपेट में सबसे ज्यादा भारतीय छात्र-छात्राए एवं शादी सुदा जोड़े है।  फेसबुक, याहू, स्काइप, जीमेल आदि साइट्स पर हर कोई दूसरे से अनजान बनकर चैट करते रहते हैं। वो इतना रोमांचित होता है के इंसान स्वयं के बस में नहीं रहता, और कुछ नया, और कुछ नया की चाह में घंटो-घंटो इन्टरनेट पर लगे रहते है। इसका अंजाम बहुत बुरा होता है। इसका नशा ऐसा होता है कि न दिन में चैन रहता है और न रात को नींद आती है। ना खाने की सुध ना नहाने का समय। कई बार तो पति पत्नी स्वयं एक दूसरे से ही चैटिंग कर रहे होते और उन्हें लगता है के उन्हें उनका पसंदीदा साथी मिल गया जबकि वे वास्तविक जीवन में एक दूसरे से दूरिया बनाये रखते है  । कई बार तो चैटिंग करने वाले लोग गलत लोगो के जाल में भी फँस जाते है। कुछ साइट्स पर लड़किया इसे वैश्यावृति के लिए भी इस्तेमाल कर रही है। भोले-भाले लोग उन्हें आम लड़की समझ कर बातचीत करते है और उनसे दोस्ती कर बैठते है, और बाद में हकीकत सामने आने पर भी कुछ नहीं कर पाते है। कुछ लोग इसे अन्य लोगों को ठगने के लिए भी इस्तेमाल करते है, अपने आप को किसी स्वयंसेवी संस्था से जुड़ा हुआ बताते है और अनाथो या विधवाओ की सेवा के बहाने पैसा ऐंठते है। और कई बार तो लक्की ड्रा जेसे लुभावने जाल में फंसाते है।

हमें जरूरत है ऐसे धोखेबाजों से बचने की। सावधानी से इस उपयोगी सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल करने की। यदि हम चैटिंग का सावधानीपूर्वक उपयोग करें तो ये बहुत काम की चीज है। मान लीजिये आप का कोई रिश्तेदार सात समुंदर पार आपसे बहुत दूर बैठा है और आपको उसे देखना या उससे बात करना चाहते हैं तो चैटिंग बहुत ही काम की चीज हो सकती है। आज के भाग-दौड वाले जीवन में लोग पैसा कमाने के लिए विदेश चले जाते है। ऐसे में बूढ़े माँ-बाप अपने बच्चो को देखना चाहते है। उनसे बातें करना मोबाइल या टेलीफोन के जरिये काफी माँगा पड़ता है। टेलीफोन के मुकाबले इन्टरनेट पर बात करना और अपनों को लाइव देखना बहुत ही सस्ता होता है लगभग ना के बराबर खर्च पर।

अब ये आप के ऊपर है कि आप चैटिंग को कैसे इस्तेमाल करते है। इस लेख का मकसद अनजान लोगो को सचेत करना मात्र है ना की किसी व्यक्ति विशेष अथवा किसी संस्था को बदनाम करना।