Saturday, May 1, 2010

बाप की कटिंग बीस रुपये में और बेटे की सौ रुपये में

बाल बढ़ जाते हैं तो कटवाना तो पड़ता ही है। कल हमारे लड़के ने बाल कटवाने के लिये हमसे पैसे माँगे तो हमने उसे बीस रुपये दे दिये। दो ढाई घंटे बाद वह एकदम स्मार्ट बनकर आया और हमसे सौ रुपये माँगने लगा। पूछने पर उसने बताया कि साठ रुपये तो सिर्फ बाल कटवाने के लगे और फेस मसाज के साथ और भी ना जाने क्या क्या के चालीस रुपये अलग लगे। मित्र से उधारी लेना पड़ा। अब हम क्या करते? सौ का एक नोट निकाल कर देना पड़ा उसे।

पहले तो हमें यह खयाल आया कि कि हम तो मात्र बीस रुपये में बाल कटवाते हैं और हमारा बेटा सौ रुपये में, फिर हमें अपने कॉलेज के दिनों की याद आ गई जब हमारे पिताजी दो रुपये में कटिंग करवाते थे तो हम पाँच रुपये में।

याने कि सदा से यही परम्परा रही है कि बाप के कटिंग से बेटे की कटिंग की कीमत ज्यादा होती है।

चलते-चलते

नाई की दुकान में एक आदमी एक बच्चे को लेकर पहुँचा और नाई से अपनी और बच्चे की कटिंग करने के लिये कहा। नाई बच्चे की कटिंग करने के लिये कुर्सी पर पाटा लगा रहा था तो आदमी ने कहा, "देखो भाई, मुझे बाजार में कुछ जरूरी काम है। तुम पहले मेरी कटिंग बना दो ताकि जब तक तुम बच्चे की कटिंग करोगे मैं अपना काम निबटा लूंगा।"

नाई ने वैसा ही किया। कटिंग बन जाने पर आदमी बाजार के लिये निकल गया और नाई ने बच्चे की कटिंग करना शुरू किया।

बच्चे की कटिंग बन जाने पर भी आदमी वापस नहीं आया तो नाई ने बच्चे से पूछा, "बेटे, पापा किधर गये हैं?"

"वो मेरे पापा नहीं हैं।" बच्चे ने बताया।

"तो चाचा होंगे।"

"वो मेरे चाचा भी नहीं हैं।"

"तो कौन हैं?"

"उन अंकल को तो मैं जानता ही नहीं। मैं खेल रहा था तो वे आकर बोले कि बेटे फ्री का कटिंग करवाओगे? और मेरे हाँ कहने पर मुझे अपने साथ यहाँ ले आये।" बच्चे ने उत्तर दिया।

Friday, April 30, 2010

हमने बनाया मैट्रिमॉनी कम कम्युनिटी साइट .. अब जरूरत है आप सबके सहयोग की

शादी विवाह हेतु उपयुक्त रिश्ता खोजना शुरू से ही दुष्कर कार्य रहा है। यद्यपि इंटरनेट में अनेक वैवाहिक साइट उपलब्ध हैं जो इस दुष्कर कार्य को सहज बनाने का कार्य कर रही हैं किन्तु इन साइट्स को फीस के रूप में अपनी गाढ़ी कमाई की मोटी रकम देनी पड़ती है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए बहुत दिनों से हमारे मन में एक विचार चल रहा था कि क्यों न एक मैट्रिमॉनी साइट बनाया जाये जिसकी सेवा मुफ्त में उपलब्ध हों और समाजसेवा का कार्य भी सम्पन्न हो। हर्ष की बात है कि हमने "बन्धन" नामक एक मैट्रिमॉनी कम कम्युनिटी साइट बना लिया है जिसमें समस्त सेवाएँ मुफ्त में उपलब्ध हैं।

"बन्धन" में प्रोफाइल इस प्रकार से बनाया जाता है कि सदस्य का गोत्र, जाति, राशि आदि के साथ साथ अन्य मूल जानकारी, शारीरिक गठन, शैक्षणिक योग्यताएँ, आजीविका विषयक योग्यताएँ आदि सभी कुछ ज्ञात हो जाये और रिश्ते तय करने में पूरी पूरी आसानी रहे।

"बन्धन" न केवल उपयुक्त रिश्ते सुझाने का कार्य करेगा बल्कि यह समुदाय विकास करने का कार्य भी करेगा क्योंकि इसमें तत्काल एवं आफलाइन संदेश भेजने, फोटो तथा व्हीडियो गैलरी तैयार करने, ब्लोगिंग करने आदि की सुविधाएँ भी उपलब्ध हैं। निकट भविष्य में चैट तथा फोरम की सुविधाएँ भी उपलब्ध करा दी जायेंगी।

अब हमें जरूरत है आप सभी के सहयोग की क्योंकि "बन्धन" साइट के सभी क्रिया कलापों की जाँच परख करना जरूरी है जो कि सदस्यों के अभाव में नहीं हो सकता। अतः आप सभी से अनुरोध है कि आप "बन्धन" के मुफ्त सदस्य बनकर अन्य परिचितों को भी सदस्य बनवा कर हमें सहयोग प्रदान करें।

"बन्धन" हमारा ही नहीं बल्कि आप सभी का अपना साइट है और हमें विश्वास है कि "बन्धन" से आप सभी को सामाजिक लाभ अवश्य ही होगा।

तो देर किस बात की है? यहाँ  क्लिक कर के तत्काल "बन्धन" में मुफ्त रजिस्ट्रेशन करा लीजिये और हमें सहयोग प्रदान कर समाजसेवा का पुण्यलाभ भी प्राप्त कीजिये।

चलते-चलते

"बन्धन" में फिलहाल एकमात्र सदस्य याने कि हम ही हैं। हमें यहाँ सदस्य के रूप में देखकर कहीं यह ना सोच लीजियेगा कि हम स्वयं के लिये कोई रिश्ता देख रहे हैं और हमारी श्रीमती जी को खबर कर दें (बहुत डरते हैं हम उनसे)। भाई साइट को टेस्ट करने के लिये हमारा प्रथम सदस्य बनना निहायत जरूरी था।

Thursday, April 29, 2010

क्या कोई मुझे बतायेगा कि स्क्रोल लॉक की का उपयोग क्या है?

कम्प्यूटर कीबोर्ड में स्क्रोल लॉक नाम का एक की होता है जो कि प्रायः प्रिंट स्क्रीन और पाउज की के बीच में पाया जाता है। आज तक मैं समझ नहीं पाया कि इस की का क्या उपयोग है? अन्य प्रोग्राम्स पर इस की के आन होने का कुछ असर तो मैं देख नहीं पाया किन्तु यदि यह की आन रहे तो एक्सेल के स्क्रोलिंग पर इसका अवश्य ही प्रभाव पड़ता है।

क्या कोई मुझे बतायेगा कि स्क्रोल लॉक की का उपयोग क्या है?

Wednesday, April 28, 2010

बिना बात कोई नापसंद का चटका लगाता है क्या?

नापसन्द है .. नापसन्द है .. नापसन्द है ..

अब नापसन्द है तो नापसन्द है। कोई हमें नापसन्द का चटका लगाने से रोक सकता है क्या? हम तो लगायेंगे जी नापसन्द का चटका।

कल के हमारे पोस्ट "ट्रिक्स टिप्पणियाँ बढ़ाने के"  में अदा बहन ने अपनी टिप्पणी में यह लिखते हुए कि "आज कल एक नया ट्रेंड चला है पोस्ट को नीचे लाने का...बिना बात के लोग नापसंद का चटका जो लगा रहे हैं" हमसे नापसन्द के बारे में लिखने के लिये अनुरोध किया था। हमें भी लगा कि इस पर कुछ लिखा जाये। और कुछ हो या न हो कुछ नापसन्द के चटके ही मिल जायेंगे हमें।

बिना बात के कोई बात नहीं होती। प्रत्येक कार्य के लिये कुछ ना कुछ कारण होना जरूरी होता है। नापसन्द करने के लिये भी कारण होते हैं। नापसन्द का चटका लगाने के पीछे पोस्ट का नापसन्द होना कारण नहीं होता बल्कि पोस्ट लिखने वाले का नापसन्द होना होता है। पोस्ट लिखने वाले को नापसन्द करने के भी अनेक कारण होते हैं मसलनः

  • हम इतना अच्छा लिखते हैं पर ब्लोगवाणी के हॉटलिस्ट में कभी आ ही नहीं पाता। और इस स्साले को देखो रोज ही इसका पोस्ट चढ़ जाता है हॉटलिस्ट में। नापसन्द का चटका लगा कर खींच दो इसकी टाँगे।

  • अरे इस स्साले ने तो बड़ी छीछालेदर की थी हमारी, आज देखते हैं इसका पोस्ट कैसे ऊपर चढ़ पाता है?

  • ये तो फलाँ क्षेत्र का ब्लोगर है जहाँ से बहुत सारे ब्लोगर हिट हो रहे हैं, क्यों ना इसके पोस्ट को नापसन्द का चटका लगाया जाये?

  • ये आदमी तो हमें फूटी आँखों नहीं सुहाता।

  • अरे इसने तो उसके बारे में पोस्ट लिखा है जो हमें फूटी आँखों नहीं सुहाता। लगा दो स्साले को नापसन्द का चटका।

  • ये तो विधर्मी है और हमारे धर्म के विरुद्ध लिखता है।
आदि आदि इत्यादि ...

दोस्तों, नापसन्द बटन बनाने का उद्देश्य पोस्ट के विषयवस्तु के लिये था किन्तु इसका प्रयोग पोस्ट लिखने वाले के लिये हो रहा है। कई बार आपने ब्लोगवाणी में ऐसे पोस्ट भी देखे होंगे जिसका व्ह्यू 0 होता है किन्तु  पसन्द दिखाता है -1, याने कि पोस्ट को बिना पढ़े और उसकी विषयवस्तु को बिना जाने ही नापसन्द का चटका लगा दिया जाता है।

धन्य है ऐसे लोग! ऐसे ही लोगों के लिये गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरितमानस में लिखा हैः

पर अकाजु लगि तनु परिहरहीं। जिमि हिम उपल कृषी दलि गरहीं॥

Tuesday, April 27, 2010

ट्रिक्स टिप्पणियाँ बढ़ाने के

हिन्दी ब्लोगिंग के लिये बने संकलकों के हॉटलिस्ट के तीन मुख्य आधार, व्ह्यूज़, पसंद और टिप्पणियों की संख्या हैं। इन्हीं तीनों के बढ़ने से कोई पोस्ट हॉटलिस्ट में ऊपर चढ़ते जाता है। इसका सीधा-सीधा मतलब यह है कि यदि कोई अपने पोस्ट में येन-केन-प्रकारेण टिप्पणियों की संख्या बढ़ाता जाये तो वह पोस्ट हॉटलिस्ट में चढ़ते चला जायेगा। टिप्पणियों की संख्या बढ़ाना कोई बहुत मुश्किल काम नहीं है। इसके लिये कई तरीके हैं जैसे किः
  • पोस्ट लिखने के बाद स्वयं ही टिप्पणी करना।
  • बेनामी बनकर खुद ही टिप्पणी करना।
  • मित्रों से सम्पर्क कर टिप्पणियाँ करवाना।
  • एक ही टिप्पणी को बार-बार दोहराते चले जाना।
आदि-आदि इत्यादि ...

यदि संकलक चाहे तो इन सारे तरीकों को खत्म कर सकते हैं, बस इसके लिये उन्हें सिर्फ ऐसी व्यवस्था करना पड़ेगा कि पोस्टकर्ता की और एक ही टिप्पणीकर्ता की एक से अधिक टिप्पणियाँ टिप्पणियों की संख्या में जुड़ने ना पाये। ऐसी व्यवस्था करना मुश्किल कार्य नहीं है।

Monday, April 26, 2010

हिन्दी और हिन्दी ब्लोगिंग ... इक समुन्दर ने आवाज दी मुझको पानी पिला दीजिये

हिन्दी भाषा भी तो एक समुन्दर ही है; एक ऐसा महासागर जिसने अपनी गहराइयों में अनेक रत्नों को छिपा कर रखा हुआ है। इन रत्नों की प्राप्ति के लिये हिन्दी ब्लोगिंग इसके मंथन का कार्य कर रहा है।

पौराणिक कथाओं में बताया गया है कि समुद्र मंथन से निकलने वाली वस्तुएँ रत्न होती हैं। जब देवताओं और दैत्यों ने मिलकर समुद्र मंथन किया था तो चौदह रत्न प्राप्त हुए थे जिनके नाम हैं – (1) हलाहल (विष), (2) कामधेनु, (3) उच्चैःश्रवा घोड़ा, (4) ऐरावत हाथी, (5) कौस्तुभ मणि, (6) कल्पवृक्ष (कल्पद्रुम), (7) रम्भा, (8) लक्ष्मी, (9) वारुणी (मदिरा), (10) चन्द्रमा, (11) पारिजात वृक्ष, (12) शंख, (13) धन्वन्तरि वैद्य और (14) अमृत।

इससे स्पष्ट होता है कि जब भी किसी समुद्र का मंथन होता है तो सबसे पहले हलाहल अर्थात् विष ही निकलता है। आज हिन्दी ब्लोगिंग की स्थिति देख कर मुझे लगता है कि हिन्दी रूपी सागर के मंथन से पहला रत्न निकल चुका है। इस प्रथम रत्न, हलाहल अर्थात् विष, के कारण एक अस्थाई व्याकुलता व्याप्त हो गई है और हिन्दी रूपी समुद्र पानी पीने के लिये तरस रहा है, किसी शायर ने सही कहा हैः

"इक समुन्दर ने आवाज दी मुझको पानी पिला दीजिये"

किन्तु यह स्थिति अस्थाई ही है, शीघ्र ही ज्ञान, विद्या, जागृति, आलोक रूपी रत्न भी निकलेंगे और अन्त में अमृत की भी प्राप्ति होगी।

Sunday, April 25, 2010

क्या आप जानना चाहते हैं कि आप कौन हैं? तो किसी से पूछिये मत ...

क्या आप जानना चाहते हैं कि आप कौन हैं? तो किसी से पूछिये मत। कार्य करना शुरू कर दें। आपका कार्य आपको परिभाषित एवं चित्रित कर देगा। - थॉमस जेफर्सन

Do you want to know who you are? Don't ask. Act! Action will delineate and define you. - Thomas Jefferson

मैं यह नहीं कहूँगा कि मैं 1000 बार असफल हुआ, मैं यह कहूँगा कि ऐसे  1000 रास्ते हैं जो आपको असफलता तक पहुँचाते हैं। - थॉमस एडिसन

I will not say I failed 1000 times, I will say that I discovered threre are 1000 ways that can cause failure. - Thomas Edision

हर कोई इस संसार को बदल डालने के विषय में सोचता है किन्तु स्वयं को बदल डालने के विषय में कोई भी नहीं सोचता। - लियो टॉल्स्टाय

Everyone thinks of changing th world but no one thinks of changing himself. - Leo Tolsty

हर किसी पर विश्वास कर लेना खतरनाक है; किसी पर भी विश्वास न करना बहुत खतरनाक है। - अब्राहम लिंकन

Believing everybody is dangerous; believing nobody is very dangerous. - Abraham Lincoln

यदि कोई समझता है कि उसने जीवन में कभी कोई गलती नहीं की है तो इसका मतलब है कि उसने जीवन में कभी भी कुछ नया करने का प्रयास ही नहीं किया। - आइन्स्टीन

If someone feels that they had never mad a mistake in their life, then it means they had never tried a new thing in their life. - Einstein