क्यों बार बार सामने आता है आतंकवाद का घिनौना चेहरा? क्यों होते हैं बमों के धमाके?
क्योंकि आज युवावर्ग दिशाहीन हो गया है और उसकी दिशाहीनता से अपना स्वार्थ सिद्ध करते हैं मानवता के घोर दुश्मन और मौत के सौदागर।
दिशाहीन युवकों को गलत दिशा में मोड़ कर और उनके भीतर नफरत का जहर भर कर उन्हें वहशी दरिंदे बना कर अनेक निरीह लोगों की हत्या करवाने तथा अंत में उन्हें कुत्ते की मौत मरने के लिये मजबूर कर देने वाले महाकायर होते हैं। वे वहशी दरिंदों को मरने मारने के लिये खुला छोड़ देते हैं किन्तु वे स्वयं मौत से इतना डरते हैं कि स्वयं चूहे की तरह बिलों में घुसे रहते हैं और कभी सामने नहीं आते। मानवता के इन दुश्मनों को किसी से भी प्रेम नहीं होता, स्वयं अपने देश से भी नहीं। उन्हें प्रेम होता है तो सिर्फ अपने तथा अपने स्वार्थ से।