मित्रों, मैं ब्लोगवाणी वालों का बहुत आभारी हूँ जो उन्होंने मेरे अदना से ब्लोग को भी अपने एग्रीगेटर में स्थान दिया है। इसके लिये उन्हें कोटिशः धन्यवाद! किन्तु मुझे आज तक समझ में नहीं आया कि जब भी उनके एग्रीगेटर में मेरा ब्लोग दिखता है तो उसके साथ इन
नामालूम सज्जन की तस्वीर भी दिखती है। इन सज्जन को मैं जानता ही नहीं। अजी जानना तो क्या मैंने कभी इन्हें रू-ब-रू देखा तक नहीं। और ये सज्जन हैं कि जबरिया मेरे ब्लोग के बाजू में आ कर बैठ जाते हैं। मान न मान मैं तेरा मेहमान।
भाई मेरे यदि हो सके तो मेरे ब्लोग के बाजू में मेरा चित्र दिखा दो और यदि ऐसा नहीं कर सकते तो मुझे इन
के जैसा गुमनाम ही रहने दो, मेरा हक किसी और को तो मत दो।
वैसे मेरी जगह कोई दूसरा बुड्ढा होता तो चित्र को देख कर जरूर खुश हो जाता क्योंकि उस चित्र में वह बुड्ढा नहीं जवान लगता है। पर मैं तो हूँ सठियाया हुआ बुड्ढा, अपने स्थान पर किसी और को देखने के बजाय गुमनाम रहना पसंद करने वाला।