लगभग एक महीने बाद आप सब से बतियाने का मौका मिला है, और आगे कब मिलेगा अभी तय नहीं है। वो क्या है कि हमारे कम्प्यूटर जी "घुच्च" हो गये। जो बैठे कि उठने का नाम नहीं ले रहे हैं। हमने भी सोच लिया है कि "बच्चू, बैठे रहो, अब हम तुम्हारी मरम्मत न करवा कर नया ही लायेंगे"। और अपने इस जिद में आप सब से जुदाई मोल ले ली है। पर अब हमें पता चल रहा है कि अपने लोगों से दूर होने में क्या दर्द होता है। बार बार ये गीत याद आते है कि "न पूछो ये दिन हमने कैसे बिताये, सारे ब्लोगर्स हमें बहुत याद आये", "तुझे खो दिया हमने पाने के बाद, तेरी याद आई तेरे जाने के बाद", "तेरा जाना, दिल के अरमानों का खो जाना..."
आज हमें एक मित्र के सौजन्य से आप लोगों से मुलाकात करने का अवसर मिल गया है तो सोचा कि सूचना के तौर पर एक छोटा सा पोस्ट लिख मारें। अब कौन जाने कितने दिन और आप लोगों से दूर रहना पड़े।
ऐसा भी नहीं है कि हमें नेट पर आने का मौका न मिल रहा हो। नेट पर आने का मौका तो मिलता है पर इतने अधिक देर के लिये नहीं कि आप लोगों से रू-ब-रू हो पायें, सिर्फ अपना मेल-वेल देख लेते हैं और आप सभी लोगों के पोस्ट्स के कम से कम हेडिंग्स भी देख लिया करते हैं एग्रीगेटर्स में जा कर।
तो अगला अवसर मिलने तक के लिये फिलहाल अलविदा।