Friday, May 30, 2008

मैं परेशान तू मजे में


जीवन में अनेकों बार ऐसी स्थिति आती है कि हम सोचने लगते है मैं तो परेशान हूँ और दूसरे लोग मजे में हैं और यह सोच हमें हीन भावना से ग्रस्त करते जाता है। मनुष्य के व्यवहार से सम्बन्धित इस विषय पर थॉमस एन्थॉनी हैरिस द्वारा लिखित अंग्रेजी पुस्तक I'm OK, You're OK बहुत ही लोकप्रिय है। यह पुस्तक व्यवहार विश्लेषण (Transactional Analysis) पर आधारित है।

श्री हैरिस की पुस्तक I'm OK, You're OK के अनुसार मनुष्यों के आपसी व्यवहार की चार स्थितियाँ होती है -

मैं मजे में तू मजे में (I'm OK, You're OK)
मैं मजे में तू परेशान (I'm OK, You're not OK)
मैं परेशान तू मजे में (I'm not OK, You're OK)
मैं परेशान तू परेशान (I'm not OK, You're not OK)

उपरोक्त परिस्थितियाँ किन्हीं भी दो लोगों के बीच हो सकती हैं चाहे वे पति-पत्नी हों, भाई-भाई हों, बाप-बेटे हों, अफसर-कर्मचारी हों, यानी कि उनके बीच चाहे जैसा भी आपसी सम्बन्ध हों। देखा जाये तो पहली स्थिति आदर्श स्थिति है और चौथी सबसे खराब। मनुष्य के जीवन में आदर्श स्थिति कभी कभार ही आ पाती है और सबसे खराब स्थिति भी कभी-कभी आती है किन्तु दूसरी तथा तीसरी स्थिति संपूर्ण जीवन में बनी रहती है।

श्री हैरिस की पुस्तक इसी बात का विश्लेषण करती है कि उपरोक्त व्यवहारिक स्थितियाँ क्यों बनती हैं। उनका सिद्धांत बताता है कि मनुष्य निम्न तीन प्रकार से सोच-विचार किया करता है:

बचकाने ढंग से (Child): इस प्रकार के सोच-विचार पर मनुष्य की आन्तरिक भावनाएँ तथा कल्पनाएँ हावी रहती है (dominated by feelings)। आकाश में उड़ने की सोचना इसका एक उदाहरण है।

पालक के ढंग से (Parent): यह वो सोच-विचार होता है जिसे कि मनुष्य ने बचपने में अपने पालकों से सीखा होता है (unfiltered; taken as truths)। 'सम्भल के स्कूल जाना', 'दायें बायें देखकर सड़क पार करना' आदि वाक्य बच्चों को कहना इस प्रकार के सोच के उदाहरण है।

वयस्क ढंग से (Adult): बुद्धिमत्तापूर्ण तथा तर्कसंगत सोच वयस्क ढंग का सोच होता है (reasoning, logical)। सोच-विचार करने का यही सबसे सही तरीका है।

हमारे सोच-विचार करने के ढंग के कारण ही हमारे व्यवहार बनते है। जब दो व्यक्ति वयस्क ढंग से सोच-विचार करके व्यवहार करते है तो ही दोनों की संतुष्टि प्रदान करने वाला व्यवहार होता है जो कि "मैं मजे में तू मजे में (I'm OK, You're OK)" वाली स्थिति होती है। जब दो व्यक्तियों में से एक वयस्क ढंग से सोच-विचार करके तथा दूसरा बचकाने अथवा पालक ढंग से सोच-विचार करके व्यवहार करते है तो "मैं मजे में तू परेशान (I'm OK, You're not OK)" या "मैं परेशान तू मजे में (I'm not OK, You're OK)" वाली स्थिति बनती है। किन्तु जब दो व्यक्ति बचकाने या पालक ढंग से सोच-विचार करके व्यवहार करते है तो "मैं परेशान तू परेशान (I'm not OK, You're not OK)" वाली स्थिति बनती है।

उपरोक्त बातों को ध्यान में रखकर व्यवहार करने से ही सभी की संतुष्टि हो सकती है।

2 comments:

PD said...

achchha likha..

Udan Tashtari said...

ज्ञान की बात. अच्छा लगा.