Saturday, November 29, 2008

युवकों को वहशी दरिंदे बनाने वाले होते हैं महाकायर

क्यों बार बार सामने आता है आतंकवाद का घिनौना चेहरा? क्यों होते हैं बमों के धमाके?

क्योंकि आज युवावर्ग दिशाहीन हो गया है और उसकी दिशाहीनता से अपना स्वार्थ सिद्ध करते हैं मानवता के घोर दुश्मन और मौत के सौदागर।

दिशाहीन युवकों को गलत दिशा में मोड़ कर और उनके भीतर नफरत का जहर भर कर उन्हें वहशी दरिंदे बना कर अनेक निरीह लोगों की हत्या करवाने तथा अंत में उन्हें कुत्ते की मौत मरने के लिये मजबूर कर देने वाले महाकायर होते हैं। वे वहशी दरिंदों को मरने मारने के लिये खुला छोड़ देते हैं किन्तु वे स्वयं मौत से इतना डरते हैं कि स्वयं चूहे की तरह बिलों में घुसे रहते हैं और कभी सामने नहीं आते। मानवता के इन दुश्मनों को किसी से भी प्रेम नहीं होता, स्वयं अपने देश से भी नहीं। उन्हें प्रेम होता है तो सिर्फ अपने तथा अपने स्वार्थ से।

3 comments:

Anil Pusadkar said...

अवधिया जी महाकायर लोग जब युवाओ को आतँकवादी बना सकते है तो हम अपने युवाओ को देश भक्त क्यो नही बना सके इस बात पर भी विचार करना होगा.आपने लिखा बहुत सही है,आपसे पूरी तरह सहमत हूँ.कभी फुरसत मिले तो मिलियेगा ज़रुर.

कुश said...

"युवकों को वहशी दरिंदे बनाने वाले होते हैं महाकायर"

माँ लिया... लेकिन उन महा कायरॉ को कौन वहशी बनता है?? कोई ओर महा कायर ? ओर फिर कोई ओर महा कायरॉ को?

ये सब दिल बहलाने वाली बाते है.. कोई किसी को कुछ नही बनाता.. सब अपने आप बनते है. अपनी इच्छा से बनते है.. मेरी दृढ़ता है.. मुझे कोई वहशी नही बना सकता.. क्या आपको कोई वहशी बना सकता है? तो फिर उनको कैसे इतनी आसानी से बना लेते है?

अनिल जी से भी सहमत हू.. क्या हम देश भक्त नही बना सकते?

Gyan Dutt Pandey said...

दुनियां भर में यह दहशतगर्दी है। और गहरे में सोचना होगा। यह धर्म की बर्बरता है या तेल के पैसे का खुमार? आधुनिक और पुरातन की तकरार है या मास्टरमाइण्ड बरगला ले रहा है जवान आदमी को।