संसार भर में मंदी के चलते कच्चे तेल की कीमत में भारी गिरावट आ गई है। जब कच्चे तेल की कीमत 147 डॉलर प्रति बैरल हो गई थी तो सरकार ने, यह कहकर कि कीमतें न बढ़ाने पर तेल कंपनियां तबाह हो जाएंगी, पेट्रोल-डीजल के दाम को बढ़ा दिया था। किन्तु आज जब कच्चे तेल की कीमत 48 डॉलर प्रति बैरल से भी कम हो चुकी हैं तो सरकार आज भी तेल कंपनियों को बढ़े दामों में पेट्रोल-डीजल क्यों बेचने दे रही है। तेल कंपनियाँ रु.35.00 की खरीदी वाले पेट्रोल को रु.50.00 प्रति लीटर में बेच रही हैं यानी कि 40% से भी अधिक मुनाफा कमा के।
जब दाम बढ़ने पर लोगों को पेट्रोल डीजल को महंगा किया जाता है तो कीमत घट जाने पर क्या सस्ता नहीं करना चाहिये?
2 comments:
बड़ा तर्कसंगत है आपका कथन।
मार्केट इकॉनमी की बात करें तो न सबसिडी होनी चाहिये और कीमतें एडमिनिस्टर्ड होने की बजाय पेट्रोलियम के भाव से गवर्न होनी चाहियें।
सरकार क्या कर रही है ये तो नहीं पता... पर ऐसे समय में रिजर्व बढ़ा लेने चाहिए ताकि कीमतें बढ़ने पर उसका इस्तेमाल हो सके.
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