Tuesday, October 27, 2009

ब्लॉगर खाया हो या न हो, अघाया जरूर होता है

हाँ, अघाया होता है हिन्दी ब्लॉगर, खाया चाहे हो या न हो। वो दर्द और पीड़ा से अघाया होता है। डेजी मरती है पाबला जी की और दर्द तथा पीड़ा से अघा जाता है दिनेशराय द्विवेदी तभी तो लिखता है "डेज़ी तुम्हें आखिरी सलाम! तुम बहुत, बहुत याद आओगी!", अघा जाता है शरद कोकास तभी तो लिखता है "डेज़ी नहीं रही पाबला जी !!"

हिन्दी ब्लॉगर अघाया होता है अपने धर्म के अपमान से, अपने शहीद क्रान्तिकारी राष्ट्रभक्तों की अवहेलना से, अपने बुजुर्गों की बेइज्जती से, अपने लोगों पर होने वाले अन्याय से, अपनी शिक्षा के खोखलेपन से, अपने नेताओं के भ्रष्टाचार से, ....

अधिक क्या कहूँ, समझदार के लिए इशारा ही बहुत होता है। पता नहीं आपने खाया है या नहीं पर मैं जानता हूँ कि आप भी अघाये हुए हैं। आप स्वयं ही बता सकते हैं कि आप किससे अघाये हुए हैं।

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"संक्षिप्त वाल्मीकि रामायण" का अगला पोस्टः

तमसा के तट पर - अयोध्याकाण्ड (11)

15 comments:

Mohammed Umar Kairanvi said...

वाह अवधिया जी आज चलते चलते नहीं फिर भी उसकी कमी नहीं खलने दी आपने, मैं भी अघाया था मैं बलागिंग में अपना कस्‍बा कैराना kairana.blogspot.com ले के आया था, यही अघाने वाली देखकर मैं अघा गया, नतीजा इन अघाने वालों ने भुगता या सभी ने इसे समझने के लिये इशारे की भी जरूरत नहीं है,

Unknown said...

साधुवाद इस उम्दा पोस्ट के लिए..........

वैसे कहना नहीं किसी से, मैं भी अघाया हुआ हूँ......अपनी ही मूर्खताओं से.......देखो न............सुबह से चार बार गर्म चाय आई, लेकिन हर बार ठंडी हो गई...........यार ये ब्लोगिंग का नशा कमाल का नशा है । घूम-घाम के आता हूँ ब्लोगवाणी पे तो कभी चिट्ठाजगत पे और थोड़ी देर में फ़िर फ़िर वहीं चला जाता हूँ टिप्पणी देने जैसे मैं टिप्पणी नहीं करूंगा तो कोई बहुत बड़ी कमी रह जायेगी ज़िन्दगी में.............हा हा हा ,,.,मैं भी अघा गया हूँ............

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

वो दर्द और पीड़ा से अघाया होता है,,..... bilkul sahi kaha aapne....

aghaaya to main bhi hoon.......

Mohammed Umar Kairanvi said...

अवधिया जी, आज ऐसी जानकारी ले के आया जो मैं नेट में 7 साल पहले भर चुका, लेकिन वहां लिख दिया था For Muslim Friends आज हिन्‍दी ब्लागस में भर रहा हूं, देख लिजिये कितनी हैरतअंगेज जानकारी मैं अपने सीने में दबाये बैठा था, जो साबित करता है कि मैं अघाया नहीं अघाया गया हूं,

मनु में दिलचस्‍पी रखने वालों के लिये खास तोहफा कश्‍ती-ए-नूह(मनु) को पुरातत्ववेत्ताओं ने आखिर ख़ोज ही निकाला
डायरेक्‍ट लिंक

परमजीत सिहँ बाली said...

सही बात है...अपना हाल तो अलबेला जी जैसा ही है......
उम्दा पोस्ट ।

शिवम् मिश्रा said...

सटीक पोस्ट लगाई है जी - बहुत बहुत धन्यवाद हमारे मन की बात लिखने के लिए !

दिनेशराय द्विवेदी said...

मौजूदा व्यवस्था तेजी से जर्जरा रही है। यह और अमानवीय होती जाएगी। अभी कहाँ अघाना?

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

मुझे तो पहले सोचना पड़ेगा कि मैं कौन सी कैटेगरी में आता हूँ !

राज भाटिय़ा said...

जी.के. अवधिया, माफ़ी चाहुंगा, मै कई हिन्दी के शव्द समझ नही सकता, अग्रेज नही बना, लेकिन जब ३० सालो से इस भाषा को बोला ही नही तो भुलना आम है, मै इस "अघान " शव्द का मतलब नही समझा, लेकिन मुझे इतना पता है कि दुसरे के दुख मै दुखी होना ही इंसानियत है, ओर शायद इस शव्द का मतलब भी कुछ ऎसा ही होगा... कृप्या जरुर बतलाये.
धन्यवाद

L.Goswami said...

http://sanchika.blogspot.com/2009/02/blog-post.html

शरद कोकास said...

नही हमे अघाना नही है जिस दिन अघा जायेंगे क्रांति वही से लौट जायेगी ।

Paise Ka Gyan said...

Ping in Hindi
IMEI Number in Hindi
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Paise Ka Gyan said...

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Vijay bhan Sir said...

Too Good Information Sir

Prashant Baghel said...

GPS Kya Hai और इसकी परिभाषा - What is GPS in Hindi