प्रस्तुत हैं हिन्दी की कुछ लोकोक्तियाँ तथा मुहावरे और उनके अर्थ। उनके अर्थ मैंने अपनी अल्पबुद्धि के अनुसार बनाए हैं और उनमें त्रुटि की सम्भावना है अतः यदि आपको त्रुटियाँ नजर आएँ तो कृपया टिप्पणी करके सही अर्थ बताने का कष्ट करें।
इन तिलों में तेल नहीं
अर्थः किसी प्रकार का आसरा न होना।
इसके पेट में दाढ़ी है
अर्थः कम उम्र में बुद्धि का अधिक विकास होना।
इस हाथ दे उस हाथ ले
अर्थः किसी कार्य का फल तत्काल चाहना।
ईद का चॉद
अर्थः लम्बे अरसे के बाद दिखाई देने वाला
उँगली पकड़ कर पहुँचा पकड़ना
अर्थः थोड़ा आसरा पाकर पूर्ण अधिकार पाने का प्रयास करना।
उल्टा चोर कोतवाल को डॉंटे
अर्थः दोषी होने पर भी दूसरों पर धौंस जमाना।
उगले तो अंधा, खाए तो कोढ़ी
अर्थः दुविधा में पड़ना।
उत्त़र जाए या दक्खिन, वही करम के लक्ख़न
अर्थः स्थान बदल जाने पर भी व्यक्ति के लक्षण नहीं बदलते।
उलटी गंगा पहाड़ चली
अर्थः असंभव कार्य।
उलटे बाँस बरेली को
अर्थः विपरीत कार्य करना।
ऊँची दुकान फीका पकवान
अर्थः तड़क-भड़क करके स्तरहीन चीजों को खपाना।
ऊँट किस करवट बैठता है
अर्थः सन्देह की स्थिति में होना।
ऊँट के मुँह में जीरा
अर्थः अत्यन्त अपर्याप्त।
ऊधो का लेना न माधो का देना
अर्थः किसी के तीन-पाँच में न रहना, स्वयं में लिप्त होना।
एक अंडा वह भी गंदा
अर्थः बेकार की वस्तु।
एक अनार सौ बीमार
अर्थः किसी वस्तु की मात्रा बहुत कम किन्तु उसकी माँग बहुत अधिक होना।
एक आवे के बर्तन
अर्थः सभी का एक जैसा होना।
एक और एक ग्यारह होते हैं
अर्थः एकता में बल है।
एक तो करेला ऊपर से नीम चढ़ा
अर्थः बहुत अधिक खराब होना।
एक गंदी मछली सारे तलाब को गंदा कर देती है
अर्थः अनेकों अच्छाई पर भी एक बुराई भारी पड़ती है।
4 comments:
अच्छी प्रस्तुति ...काफी कहावते और मुहावरे याद दिला दिए
ज्ञान और भी बढ़ता जा रहा है। बस प्रश्नपत्र मत पकड़ाईयेगा।
सार्थक कहावतों की प्रस्तुति।
किंतु मुझे लगता है यह कहावत अर्थ समर्थ नहिं,
इन तिलों में तेल नहीं
अर्थः किसी प्रकार का आसरा न होना।
अर्थ यह होना चाहिए: 'इनमें सार नहिं'(व्यक्तियों में या बातों में)
विनय सहित…
हम साथ चल रहे हैं।
सुज्ञ जी की बात पर ध्यान अपेक्षित है।
आभार।
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